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This Article is From Jul 15, 2015

व्यापमं घोटाले पर संघ चुप क्यों?

Ravish Kumar
  • Blogs,
  • Updated:
    जुलाई 15, 2015 21:25 pm IST
    • Published On जुलाई 15, 2015 21:19 pm IST
    • Last Updated On जुलाई 15, 2015 21:25 pm IST
नमस्कार मैं रवीश कुमार, एक बार इस सवाल से टकरा कर देखिये कि काश राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व्यापमं घोटाले पर सार्वजनिक रूप से कोई लाइन ले लेता। व्यापमं घोटाला तो मानवीय आधार पर हुआ नहीं था लेकिन नैतिकता के आधार पर संघ के लाइन लेने से उसके भी श्रम से बनी भाजपा सरकार को नुकसान हो सकता था। नैतिकता के कई मोर्चे होते हैं। एक पर हारते हैं तो आप कहीं और जीतने के लिए नैतिकता का एक नया मोर्चा खोज लेते हैं या बन ही जाता है। बात व्यावहारिकता की है और वो ही कि व्यापमं जिस सरकार में हुआ वो किसकी है।

व्यापमं को उजागर करने वाले व्हीसलब्लोअर में से एक आशीष चतुर्वेदी 2006 के साल से ही संघ की शाखा में जाने लगे। तब 12वीं में थे। 2008 तक आते आते आशीष प्राथमिक वर्ग पूरा कर संघ शिक्षित हो गए। कुछ समय बाद विद्यार्थी विस्तारक बन गए और ग्वालियर के नई सड़क स्थित संघ कार्यालय में कई महीने रहे भी। आशीष विस्तारक से प्रचारक बनना चाहते थे लेकिन मां की बीमारी आशीष को घर ले आई और फिर वहां से वो उस रास्ते पर चल दिए जहां आर एस एस के वैचारिक और शारीरिक श्रम से बनी बीजेपी सरकार की छवि ही दांव पर लगनी थी। ये और बात है कि संघ के क्षेत्रीय प्रचारक आशीष का व्यक्तिगत और गुप्त रूप से हौसला बढ़ाते हैं और पिछले महीने तक वे व्यापमं घोटाले के खिलाफ लड़ते हुए जब भी भोपाल गए, हबीबगंज रेलवे स्टेशन के सामने संघ कार्यालय समिधा में रुकते भी रहे। आशीष को सुरक्षा के लिए गनर दिया गया है। अभी तक सत्तर अस्सी बार गनर बदल चुका है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के दिन से ग्वालियर लौटने के बाद इनका गनर पांच बार बदल चुका है।

पहले भी बताया है कि एक और व्हीसलब्लोअर इंदौर के डॉक्टर आनंद राय भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे हैं। आनंद राय की सुरक्षा का अभी भी क्या हाल है आप जानते हैं।

व्यापमं घोटाला जब सामने आया तब फरवरी 2014 में संघ के बीस बाइस साल तक प्रचारक रहे तीन चार लोगों ने एक बैठक बुलाई। प्रचारक रहे इसलिए कहा कि संघ में यह व्यवस्था है कि आप कुछ समय तक प्रचारक रहने के बाद संघ की व्यवस्था से बिल्कुल अलग हो सकते हैं और अपने स्तर पर मर्ज़ी से काम कर सकते हैं।

इन लोगों ने फेसबुक पर एक पेज भी बनाया व्यापमं घोटाला संघर्ष समिति। जिसे अभी तक 409 लाइक्स ही मिले हैं। इस समिति को शुरू करने वाले थे पूर्व प्रचारक अभय जैन, मनीष काले, किशोर गोले और रंजन सिन्हा। इन लोगों ने फरवरी 2014 में एक बैठक तय कर समिति बनाई और अपने स्तर पर दस हज़ार लोगों से पोस्टकार्ड पर हस्ताक्षर करा मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के प्रधान न्यायाधीश को भेज दिया कि व्यापमं की जांच कोर्ट की निगरानी में ही हो। इसके बाद इन लोगों ने राज्य के 51 ज़िलों में हस्ताक्षर अभियान चलाया। पांच लाख पैम्फलेट बांटे और पचास हज़ार हस्ताक्षर लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सौंपने गए। लेकिन भोपाल में इनसे ज्ञापन लिए बगैर गिरफ्तार कर लिया गया। ये बात 15 सितंबर 2014 की है। अभय जैन भी गिरफ्तार हुए जो बीस साल तक आर एस एस के प्रचारक रहे हैं। इसके बाद इस समिति ने इस साल 2 मार्च को दिल्ली के जंतर मंतर पर सत्याग्रह किया और राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कार्यालय जाकर अपने ज्ञापन सौंपे। अभय जी जैन ने कहा कि समिति के पास प्रधानमंत्री कार्यालय से मिली प्राप्ति रसीद भी है यही नहीं प्रधानमंत्री कार्यालय ने डाक से भी प्राप्ति भेजी है। इनका कहना है कि वे स्वयंसेवक तो हैं लेकिन आर एस एस की लिखित या मौखिक सहमति के बगैर आंदोलन चला रहे हैं क्योंकि इन्हें अनुमति की ज़रूरत नहीं है।

लेकिन ये लोग शिवराज सिंह का इस्तीफे की मांग जैसी स्थिति से भी बचते हैं। फिलहाल अब ये व्यापमं को लेकर सक्रिय नहीं हैं। तमाम सरकारी नीतियों पर बोलने वाला आर एस एस न तो अपने स्वयंसेवकों की भूमिका पर सार्वजनिक रूप से बोल रहा है न व्यापमं पर। तब भी जब इसकी लड़ाई लड़ने वालों में से कई लोग उसी की विचारधारा और संगठन क्षमता में प्रशिक्षित हैं। क्या संघ इसलिए चुप है कि उसके बोलने से पुराने स्वयंसेवकों का मनोबल तो बढ़ेगा लेकिन उसके दिग्गज स्वयंसेवकों की बोलती बंद हो जाएगी।

आप आदरणीय सुधीर शर्मा हैं। खनन कारोबारी हैं और कोई चार हज़ार करोड़ का कारोबार है। शिक्षा के क्षेत्र में भी गंभीर योगदान है। इन दिनों व्यापमं घोटाले के संदर्भ में कारोबार छोड़ कारागार में सेवा कर रहे हैं। जेलागमन से बहुत साल पहले आप राष्ट्रीय स्वयंसेवन संघ के स्कूल में एक टीचर थे। 2000 में पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने आपको सहयोगी के तौर पर रखा और उनके खनन मंत्री बनते ही आपकी प्रतिभा को मौका मिला और सुधीर शर्मा जी जल्द ही चार हज़ार करोड़ के कारोबारी बन गए। आपकी प्रगति आयकर विभाग से देखी नहीं गई और उन लोगों ने आपके यहां छापे मार दिए। तब पता चला कि आप बीजेपी से लेकर कांग्रेस के नेताओं की यात्राओं का ख्याल रखते थे। उनका खर्चा उठाते थे। कांग्रेस के विधायक वीर सिंह भूरिया भी आपके लाभार्थी रहे हैं। आयकर विभाग की रिपोर्ट के अनुसार आपने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए प्रभात झा जी के यात्रा खर्च को वहन किया है। केंद्र सरकार में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का भी नाम सुधीर शर्मा के लाभार्थी लोगों में शामिल हैं। सुधीर शर्मा की दान में दी हुई ज़मीन पर ही आर एस एस के विज्ञान भारती का दफ्तर है। एन डी टी वी को मिली रिपोर्ट के अनुसार सुधीर शर्मा को व्यापम घोटाले से जुड़े दो कालेजों से नियमित लाखों रुपये कैश मिलते थे। आयकर अधिकारियों के मुताबिक जिस दिन ये पैसा सुधीर शर्मा को मिलता था उसी दिन ये मध्यप्रदेश के एक मंत्री के सहयोगी को पहुंच जाता है। ये होती है ईमानदारी। मेरी ईमानदारी ये है कि मैंने बरखा दत्त और अभिषेक शर्मा की रिपोर्ट का लाभ उठाकर आपको बता दिया।

अब खंडन टाइम्स। प्रभात झा ने कहा कि किसी से टिकट करा लेना कोई अपराध नहीं है। पार्टी मेरे टिकट का पैसा देती है तो गलत क्या है। सुधीर शर्मा ने कार्यकर्ता के नाते कुछ किया होगा इसमें गलत क्या है। पेट्रोलियम मंत्री धमेंद्र प्रधान ने कहा है कि पार्टी दफ्तर ने मेरा टिकट बुक किया था। मेरा सुधीर शर्मा से कोई संबंध नहीं हैं। बीजेपी के राज्य सभा सदस्य अनिल दवे का भी नाम हैं उन्होंने नो कमेंट्स कहा है। संघ के सुरेश सोनी जी की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। बीजेपी के अनुसार व्यापमं घोटाले में इन्हें क्लीन चिट मिल गई है। जिस घोटाले में अभी जांच चल रही हो कोई ऐसा भी है जिसे क्लीन चिट मिल गई है। कांग्रेस पार्टी और दिग्विजय सिंह ने भी कुछ कहा है।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि वो तो ये बात पांच साल से कह रहे हैं। सुधीर शर्मा 2003-04 में स्कूटर पर चलते थे। दस साल में साम्राज्य खड़ा कर लिया। इस आदमी का आर एस एस और बीजेपी के नेताओं से नेक्सस था। आयकर विभाग के जिन लोगों ने छापे मारे थे उन्हें हटा दिया गया। आर एस एस बीजेपी को डर है कि अगर शिवराज के खिलाफ कार्रवाई हुई तो वे सबकी पोल खोल देंगे। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि जब तक मुख्यमंत्री इस्तीफा नहीं देते इसकी जांच निष्पक्ष नहीं हो सकती है।

बीजेपी इस बहस में शामिल नहीं है। सुधीर शर्मा की भूमिका क्या व्यापमं घोटाले के तार को व्यापमं से आगे नहीं ले जाती है। आर एस एस की चुप्पी को बेचैनी समझें या इंतज़ार कि मीडिया में ठंडा पड़ते ही व्यापमं लोग भूल जायेंगे। प्राइम टाइम

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