नमस्कार.. मैं रवीश कुमार। जिन जिन लोगों ने जनधन योजना के तहत खाते नहीं खुलवाएं उन्हें जल्दी खुलवा लेना चाहिए। इससे दो लाभ होंगे। देश की आबादी का ज़्यादा से ज़्यादा हिस्सा बैंक नेटवर्क में आ जाएगा और जब कालेधन का हिस्सा बंटेगा तो लेने के लिए सबके पास पहले से बैंक खाता रहेगा।
इस मसले पर जिस तरह की कानूनी राजनीतिक सक्रियता दिख रही है अब उम्मीद की जानी चाहिए कि काला धन आएगा और आ गया तो हर व्यक्ति को तीन-तीन लाख रुपये मिलेंगे। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी रैलियों में यही वादा किया था। आ गया या यहीं से निकाल लिया गया तो काला धन ही असली जनधन बन जाएगा, क्योंकि काला धन कैसे आएगा अब इसकी जांच की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट ने ले ली है।
अदालत ने कहा कि ब्लैक मनी कैसे वापस आएगी जांच कैसे होगी इसकी ज़िम्मेदारी हम लेते हैं। आपको खाताधारी लोगों की चिन्ता करने की ज़रूरत नहीं है, एसआईटी संभाल लेगी। हम अब काला धन लाने के मसले को सरकार पर नहीं छोड़ सकते हैं। ऐसे तो यह हमारे समय में कभी आएगा ही नहीं। आपकी जांच कभी पूरी ही नहीं होगी। आप विदेश से आई सारी जानकारी और नाम हमें सौंप दें। सरकार को अब इस मामले में ज्यादा चिंता या जांच करने की ज़रूरत नहीं है।
अदालत से सरकार से उन सभी भारतीयों के खाते की जानकारी मांगी जिनके विदेशी बैंकों में खाते हैं। केंद्र सरकार से कहा कि आप ऐसे लोगों के लिए प्रोटेक्टिव अंब्रेला यानी बचाव की छतरी क्यों बन रहे हैं। क्यों बचा रहे हैं ऐसे लोगों को।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया कि विदेशी बैंकों में जमा लोगों के नाम जांच से पहले बताने पर विदेशी संधियों का उल्लंघन होगा। आज भी एटॉर्नी जनरल ने कोर्ट में कहा है कि अगर नाम साझा किए गए तो जांच में दिक्कत होगी। भविष्य में जानकारी नहीं मिलेगी और काला धन वापस लाने में परेशानी आएगी। जिन लोगों के खाते में ब्लैक मनी नहीं है उनकी निजता का उल्लंघन होगा यानी नाम बदनाम होगा।
यही दलील देते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अपने ब्लॉग में लिखा था कि हम कानून की प्रक्रियाओं के तहत ही नाम ज़ाहिर करेंगे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पिछले कई दिनों से चली आ रही सरकार की दलील को ठुकरा दिया है और इस मामले में जांच का काम भी सरकार से ले लिया है। कहा है कि जब तक हम मोनिटर नहीं करेंगे कुछ हो ही नहीं सकता। इससे बड़ा झटका क्या हो सकता है।
आप जानते हैं कि सरकार ने सोमवार को तीन लोगों के नाम जाहिर किए तो हंगामा हो गया कि इसमें नया क्या है। इन तीनों के नाम तो पहले भी सार्वजनिक हो चुके हैं। इन तीनों ने कैमरे के सामने आकर खंडन किया बल्कि एडीआर ने यह भी बता दिया कि इनमें से एक गोवा की माइनिंग कंपनी टिंबलो प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर राधा टिंबलो ने कांग्रेस और बीजेपी को दोनों को ही चंदा दिया है।
एक नज़रिया यह भी हो सकता है कि उन लोगों के भी नाम सार्वजनिक होंगे जो राजनीतिक दलों को चंदा देकर बचने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सवाल उठा कि ये तो छोटे मोटे नाम है। क्या वे बड़े लोग भी धरे जाएंगे जिनके चंदा देने का मामूली प्रमाण मिलता है, मगर जिनकी भूमिका के बारे में गांव देहात तक में लोग कयास लगाते हैं।
याचिकाकर्ता राम जेठमलानी, प्रशांत भूषण की सक्रियता का नतीजा दिखने लगा है। अब तो बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी वित्तमंत्री को खत लिख दिया है कि सभी के नाम बताएं जाए। अदालत ने इन तीनों की बात पर एक तरह से मुहर लगा दी है।
स्वामी ने यह भी कहा कि फ्रांस और जमर्नी ने तो अपने आप ये नाम भेजे हैं। सरकार क्या कर रही है मुझे नहीं पता। मैंने वित्तमंत्री को खत लिखा है कि विदेशों में सोनिया गांधी और राहुल गांधी का काला धन जमा है। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
भाजपा से निलंबित सदस्य राम जेठमलानी ने भी वित्तमंत्री को खत लिखा था कि आपने जिन 18 लोगों के नाम दिए हैं, उसमें हसन अली जैसे दलाल का नाम नहीं है। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
तो क्या अदालत के इस फैसले ने काला धन के मुद्दे पर बीजेपी और सरकार की दलीलों को कवच उतार दिया है। समय कम होने या जांच ईमानदारी से होने के दावों के नैतिक बल को कमज़ोर किया है।
फैसला आते ही आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हर काला धन वाले को ये कहा जाए कि अपना जिस दिन तुमने एकाउंट खोला था, तब से लेकर आज तक की पूरी बैंक स्टेटमेंट दो। जब वह पूरी बैंक स्टेटमेंट देंगे तो हर ट्रांज़ेक्शन में पता चलेगा कि किससे पैसा आया था और किसको पैसा गया था। जब हर ट्रांज़ैक्शन की इनवेस्टिगेशन की जाएगी तो और बहुत सारा पैसा निकल कर आएगा और कई नए बैंक एकाउंट्स उसमें से निकल कर आएंगे।
जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने आज रुख़ अपनाया है उससे एक उम्मीद की किरण जगी है। आज काफ़ी स्ट्रॉन्ग फ़ैसला नज़र आ रहा है। पहले कांग्रेस और अब बीजेपी दोनों काला धन वालों को नाम छुपाती है और बचाती हुई नज़र आ रही है।
कांग्रेस के प्रवक्ता अजय माकन ने कहा कि 2011 में अरुण जेटली तो कहते थे कि विदेशी मुल्कों से टैक्स समझौते के कारण नाम बताने में कोई दिक्कत नहीं है, वह अब क्यों कह रहे हैं कि मुश्किल है। माकन ने कहा कि हमें खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार के दोनों हलफनामे को अस्वीकार करते हुए कहा है कि सारे नामों की सूची सुप्रीम कोर्ट को दी जानी चाहिए।
कांग्रेस को उम्मीद है कि न केवल नाम बल्कि जैसे बाबा रामदेव कहा करते थे कि 5000 से ज्यादा नाम हैं हर एक व्यक्ति के खाते में इतना पैसा आएगा कि 15 लाख रुपये आ जाएंगे। हम चाहेंगे कि सरकार 5000 नामों को जल्दी लेकर आए।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अदालत के फैसले के बाद बयान दिया कि उन्हें नाम देने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन सरकार का यह सुझाव रहेगा कि ये इस तरीके से हो कि जो रेसिप्रोकेटिंग स्टेट है, जिससे सहयाता चाहिए हमको वह हमें मिलती रहे। एक बार हम लिस्ट कोर्ट को दे देंगे तो वह कोर्ट का अधिकार होगा।
अगर इस देश का सबसे बड़ा कोर्ट कहता है कि मुझे लिस्ट दी जाए तो उस आदेश का निश्चित रूप से पालन होना चाहिए। जब हमने एसआईटी को दे दिया तो कोर्ट को क्यों नहीं देंगे। जितने नाम सराकर के पास हैं, 100 फीसदी वह अदालत के पास जाएगा।
अरुण जेटली ने कहा है कि बुधवार साढ़े बजे सरकार सभी नामों को अदालत में जमा कर देगी। अदालत में सरकार के प्रति कोई गुस्सा नहीं था। विदेशों में खाता खोलना गैरकानूनी नहीं है। गैरकानूनी खातों से कानूनी खातों को अलग करने के लिए जांच की ज़रूरत है।
बात तो समझदारी की है, लेकिन क्या ये बात बाबा रामदेव की है क्या यही बात विपक्ष में रहते हुए कही गई थी अब कितना याद रखे कोई। खैर इस फैसले के बाद काला धन आने की संभावनाओं और सवालों पर हम चर्चा करेंगे प्राइम टाइम में।
(प्राइम टाइम इंट्रो)