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This Article is From Dec 08, 2015

प्राइम टाइम इंट्रो : क्या कांग्रेस से बदला लिया जा रहा है?

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 23, 2015 13:51 pm IST
    • Published On दिसंबर 08, 2015 21:15 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 23, 2015 13:51 pm IST
सुबह से पोलिटिकल और पर्सनल वेनडेटा इतनी बार सुना कि सोचा कि शब्दकोष से वेनडेटा का बायोडेटा निकालना चाहिए। आक्सफोर्ड और क्रैंबीज़ डिक्शनरी के अनुसार वेनडेटा का मतलब है व्यक्ति या परिवार के बीच लंबे समय तक चलने वाली हिंसक बहस, जब एक गुट दूसरे गुट से अतीत के कुछ व्यतीत पलों का हिसाब लेने का प्रयास करता है। जो शिकार होता है वो खुद को पीड़ित की तरह पेश करता हुआ कहता है कि उसके खिलाफ वेनडेटा चलाया जा रहा है।

बदला कई प्रकार का हो सकता है। मगर कुछ बदला ज़रा ख़ूंखार हो जाता है। वेनडेटा उसी श्रेणी के प्रतिशोध का अंग्रेजी शब्द है जो अंग्रेजी में लैटिन से आया है और हिन्दी में भी घुस गया है। एक आनलाइन डिक्शनरी ने तो वेनडेटा का मतलब समझाने के लिए कोर्सिका और इटली के दो परिवारों के बीच के झगड़े की मिसाल दी है। फ्रांस का वही कोर्सिका जिसके खूबसूरत सीन आपने तमाशा फिल्म में देखे होंगे जहां रणबीर कपूर और दीपिका पहली बार टकराते हैं। तो शब्दकोष के अनुसार कोर्सिका और इटली का परिवार हर हत्या का हिसाब एक दूसरे के परिवार को मार कर लेता था। इतनी खूबसूरत जगह का रिश्ता वेनेडेटा से होगा जानकर मुझे बहुत दुख पहुंचा है।

वीकिपीडिया के मुताबिक 1919 में ही वेनडेटा नाम से एक फिल्म बनी और बाद में कई फिल्में बनी। लगता है इस टाइटल पर किसी की कापीराइट नहीं है। वेनडेटा टाइटल से कई उपन्यास भी लिखे गए हैं। हम लोग बिहार में भेनडेटा बोलते हैं।
सिंतबर 2013 में जब सेना से रिटायर होने के बाद वी के सिंह ने रेवाड़ी की रैली में प्रधानमंत्री मोदी के साथ मंच साझा किया था। तब सलमान खुर्शीद का बयान आया कि सरकार उस रिपोर्ट पर विचार करेगी जिसने सेना में फंड के गलत इस्तमाल की जांच की है। वी के सिंह ने कहा था कि ये सरकार का उनके खिलाफ वेनडेटा है क्योंकि उन्होंने बीजेपी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार के साथ मंच साझा किया है।

जब सितंबर 2015 में इंडियन एक्सप्रेस ने ख़बर छापी कि दो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी पर बनी डाक टिकट अब जारी नहीं होंगे तब कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि दो शहीद प्रधानमंत्रियों पर जारी डाक टिकट बंद करने से साफ हो गया है कि प्रधानमंत्री की नफरत और उनकी सरकार का पर्सनल वेनडेटा चरम पर पहुंच गया है। नेशनल हेरल्ड का केस क्या पोलिटिकल वेनडेटा है। यह केस जनवरी 2013 से चल रहा है तब बीजेपी सत्ता में नहीं थी और न ही स्वामी बीजेपी में थे। वे अगस्त 2013 में बीजेपी में आए हैं। हाल ही में स्वामी ने जब राहुल गांधी के कथित विदेशी नागरिकता का मामला उठाया तो बीजेपी के बड़े नेताओं ने उनसे किनारा कर लिया।

जिस स्वामी को बीजेपी नहीं समझ सकी उन्हें कांग्रेस भी समझने का प्रयास कर रही है। 19 नवंबर को राहुल गांधी ने कहा कि मोदी जी ये कचरा आप अपने चमचों से मेरे ऊपर फेंकवाते हो, मेरे परिवार पर फेंकवाते हो, अब आप विपक्ष में नहीं हैं, सरकार में हैं। 56 ईंच की छाती निकालो, एंजेंसियां लगाओ मेरे पीछे, और मुझे बंद करो, अगर मैंने कुछ ग़लत किया है तो। रेडिफ डॉट कॉम पर अप्रैल 1999 का स्वामी का दिया एक बयान मिला जिसमें उन्होंने सोनिया गांधी, जयललिता और मायावती को लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा कहा था। जयललिता प्रधानमंत्री मोदी की राजनीतिक करीबी हैं लेकिन स्वामी की उनसे भी दुश्मनी है। जयललिता ने उनके खिलाफ मानहानि के मुकदमे भी दायर कर रखे हैं।

स्वामी खुलकर वित्त मंत्री जेटली की आलोचना करते हैं। मंगलवार को कपिल सिब्बल ने भी स्वामी को परिभाषित करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी को मुकदमें फंसाने के लिए उन्हें बीजेपी ने पावर आफ एटार्नी दे रखी है। वे बीजेपी की सेंट्रल कमिटी के सदस्य हैं। उन्हें कांग्रेस पार्टी को टारगेट करने की ज़िम्मेदारी दी गई है। वे अपने स्वामी की आवाज़ हैं। his master's voice हैं और उनके दम पर पिछले एक साल से बीजेपी कांग्रेस के नेताओं को टारगेट कर रही है। सरकार के कई मंत्रियों और बीजेपी के सांसदों ने बार बार कहा कि नेशनल हेरल्ड केस में जो कुछ हुआ है वो अदालत में हुआ है। जब कांग्रेस नहीं मानी तो बीजेपी के नेता केस के डिटेल पर आ गए। कैबिनेट मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस शिकायतकर्ता की बात कर रही है लेकिन आरोप क्या है इस पर नहीं बोल रही है।

ये सीधा सीधा विश्वासघात का मामला बनता है। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने भी reasoned order के बाद उन लोगों को समन किया था। हाई कोर्ट ने समन की चुनौती को खारिज कर दिया। ना इसमें कहीं दिल्ली पुलिस है और ना सीबीआई है। ये दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला है।
 
  • 1938 में जवाहर लाल नेहरू ने नेशनल हेराल्ड अखबार शुरू किया...
  • इसका मालिकाना हक़ एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के पास था...
  • 2008 में 90 करोड़ के कर्ज़ के साथ ये अख़बार बंद हो गया...
  • 90 करोड़ का ये कर्ज़ कांग्रेस ने समय-समय पर AJL को ब्याज़ मुक्त लोन के तौर पर दिया...
  • AJL एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी थी जिसके पास देश के कई शहरों में करोड़ों की अचल संपत्ति थी...

इस मामले में याचिका दायर करने वाले सुब्रह्मण्यम स्वामी के मुताबिक सारी गड़बड़ी इसके बाद ही शुरू हुई...
 
  • नवंबर 2010 में एक नॉट फॉर प्रॉफिट कंपनी यंग इंडियन कंपनी बनाई गई
  • जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी 38-38 फीसदी के हिस्सेदार थे...
  • दिसंबर 2010 में यंग इंडियन ने 50 लाख रुपए में AJL का अधिग्रहण कर लिया...
  • AJL की 90 करोड़ की देनदारी के साथ-साथ करोड़ों की अचल संपत्ति भी यंग इंडियन के पास चली गई...

सुब्रह्मण्यम स्वामी का आरोप है कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी ने मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे और सैम पित्रोदा के साथ मिलकर कांग्रेस और AJL को नुकसान पहुंचाने की आपराधिक साज़िश बनाई। लेकिन सोनिया गांधी कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने की साज़िश क्यों करेंगी। क्या सोनिया बीजेपी की मदद करना चाहती हैं। अगर सोनिया कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रही हैं तो बीजेपी नेता स्वामी इतनी मेहनत क्यों कर रहे हैं।

बीजेपी एक तरफ कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देती है दूसरी तरफ बीजेपी के स्वामी कांग्रेस को नुकसान से बचाने का प्रयास कर रहे हैं। फिर तो बीजेपी को स्वामी पर आरोप लगाना चाहिए कि वे वित्त मंत्री न बनाए जाने पर बीजेपी से वेनडेटा कर रहे हैं। ऐसा कुछ कर दे रहे हैं कि जीएसटी पास ही न हो। खैर हम बात कर रहे थे कि ये मामले है क्या तो स्वामी के अनुसार AJL की दो हज़ार करोड़ की संपत्ति पर कब्ज़ा करने के लिए ही यंग इंडियन कंपनी बनाई गई और हड़प लिया। इसके लिए 90 करोड़ के लोन को संदिग्ध तरीके से यंग इंडियन के पक्ष में इक्विटी शेयर में बदल दिया।
इस प्रक्रिया में कांग्रेस के समर्थकों और AJL के शेयर होल्डरों के साथ Criminal breach of trust गया

आरोप यह लग रहे हैं कि कांग्रेस एक राजनीतिक पार्टी है। इस नाते वो किसी कंपनी यानी एजेएल को लोन कैसे दे सकती है और क्या पब्लिक लिमिटेड कंपनी AGL को बेचते समय उसके शेयर धारकों की मंज़ूरी ली गई। इस पर कपिल सिब्बल के जवाब इस तरह से हैं। इनकम टैक्स ट्राइब्यूनल ने एक मामले में ये फ़ैसला दिया है कि राजनीतिक पार्टी पैसे कमाने और खर्च करने के लिए स्वतंत्र है। चुनाव आयोग भी ये साफ़ कर चुका है कि राजनीतिक पार्टी के खर्च को लकर कोई नियम या क़ानून नहीं हैं। इस डील के लिए एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी जनरल मीटिंग (EGM) बुलाई गई थी। उसमें ये फ़ैसला लिया गया कि AGL को बेच दिया जाए और शेयर धारकों के दो तिहाई बहुमत से फ़ैसले को मंज़ूरी दी लिहाज़ा शेयर धारकों से मंज़ूरी नहीं लेने का आरोप ग़लत है।

बड़ा आरोप यह भी है कि गांधी परिवार ने AGL की क़रीब 2000 करोड़ की संपत्ति मात्र 51 लाख देकर हड़प ली। सिब्बल का जवाब ये है कि यंग इंडियन कंपनी एक्ट के सेक्शन 25 के तहत कंपनी है यानी चैरिटेबल कंपनी है जिसकी संपत्ति बेची भी जाएगी तो उसका हिस्सा शेयरधारक को नहीं मिलेगा। तो आपराधिक मामला कैसे बना। इसी साल अगस्त में जब प्रवर्तन निदेशालय ईडी ने नेशनल हेराल्ड केस बंद करने का फैसला किया तो निदेशक राजन एस कटोच को पद से हटा दिया गया। अगले ही महीने नए निदेशक ने मामले को फिर से खोल दिया। कौन से निदेशक का जजमेंट सही है यह तो अदालत से भी तय हो जाएगा लेकिन सोमवार को जो याचिका रद्द हुई उसे कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं देगी और 19 दिसंबर को सोनिया राहुल दिल्ली के पटियाला कोर्ट में पेश होंगे। यही सही तरीका भी है लेकिन संसद में भिड़ने का तरीका क्या सही है। क्या कांग्रेस को कड़े सवालों का सामना नहीं करना चाहिए।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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