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This Article is From May 17, 2016

प्राइम टाइम इंट्रो : क्या राजन के बारे में स्वामी की सोच सरकार की भी है?

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मई 17, 2016 22:02 pm IST
    • Published On मई 17, 2016 22:02 pm IST
    • Last Updated On मई 17, 2016 22:02 pm IST
भाजपा सांसद सुब्रह्मण्‍यम स्वामी ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर भारतीय रिज़र्व बैंक के गर्वनर रघुराम राजन के खिलाफ जिस तरह के आरोप लगाए हैं, पत्र पढ़ कर लगता है कि वे किसी अपराधी को पद से बर्ख़ास्त किये जाने की बात कर रहे हैं। भाषा और तर्क के लिहाज़ ये पत्र बताता है कि किसी संस्था के प्रति कितना सम्मान रह गया है। यहां तक लिखा गया है कि राजन दिमाग़ी तौर पर पूरी तरह भारतीय नहीं हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर रहे हैं।

मोदी सरकार दो साल पूरे होने पर मिनट मिनट अपनी कामयाबी के आंकड़े दे रही है, वहीं बीजेपी के एक सांसद रिज़र्व बैंक के गर्वनर पर हमला कर बता रहे हैं कि औद्योगिक विकास निगेटिव है। राजन की वजह से बेरोज़गारी बढ़ी है। प्रधानमंत्री को भेजे इस पत्र में लिखा है कि  वे रघुराम राजन को गर्वनर के पद से तुरंत हटाएं। स्वामी ने कहा कि मैं भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के डॉ. राजन की सोची समझी साज़िश से हैरान हूं। स्वामी ने कहा कि पिछले दो साल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में बैड लोन्स दोगुने होकर 3.5 लाख करोड़ हो गए हैं। डॉ. राजन के कदमों से मेरा ये विश्वास बन रहा है कि वो भारतीय अर्थव्यवस्था में बाधा पहुंचाने की ज़्यादा कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने महंगाई का हवाला देते हुए ब्याज दरें लगातार बढ़ाए रखीं जबकि वित्त मंत्रालय और उद्योग विकास को तेज़ी देने के लिए उनसे ब्याज दर कम करने का आग्रह करते रहे।

अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने की साज़िश का आरोप बेहद गंभीर है। राज्यसभा में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि मैं स्वामी के अनुभव और ज्ञान के बारे में भलीभांति जानता हूं। स्वामी एक जानेमाने अर्थशास्त्री हैं। वित्त मंत्री स्वामी की तारीफ कर रहे हैं और स्वामी राजन पर हमले कर रहे हैं। वित्त मंत्री के तौर पर जेटली और राजन की नीतियों में फर्क रहा है, कुछ बातें सार्वजनिक भी हुई हैं मगर जेटली ने कभी दायरा पार नहीं किया। वे हमेशा अपनी सीमा में रहकर इशारों में अपनी बात कहते रहे हैं। सोमवार को वित्त मंत्री इंडियन वीमन प्रेस कोर में महिला पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि हम दोनों के संबंध बेहद परिपक्व हैं।

स्वामी ने अपने पत्र में लिखा है कि ब्याज़ दर बढ़ाकर छोटे और मंझोले उद्योगों को नुकसान पहुंचा दिया। ये कदम ऐसा है जैसे किसी बीमार की हत्या कर दी जाए ताकि उसके शरीर का तापमान गिराया जा सके। सरकार के दावों के अनुसार अगर भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छा कर रही है तो इसकी गिरावट, हत्या और साज़िश को लेकर एक शख्स की तलाश क्यों करनी पड़ी है। क्या स्वामी के बहाने एक खलनायक खोजा रहा है जिस पर अर्थव्यवस्था के चौपट होने की जवाबदेही डाल दी जाए। न तो प्रधानमंत्री और न ही वित्त मंत्री ने सार्वजनिक तौर पर स्वामी के बयान की निंदा की है, या उससे किनारा किया है। स्वामी से पहले बीजेपी सांसद मुरली मनोहर जोशी भी 2013 में राजन की नागरिकता पर सवाल उठा चुके हैं।

अक्टूबर 2013 में वाल स्ट्रीट जर्नल नुपुर आचार्य की रिपोर्ट के अनुसार राजन ने मुंबई में कहा था कि मैं भारतीय नागरिक हूं और हमेशा भारतीय नागरिक रहूंगा। मुझे इस भारतीय नागरिक होने पर गर्व है। तब राजन के कहा था कि उन्हें कोई रोज़ एक मेल भेजता है और पूछता है कि बताइये कि आप भारतीय हैं या नहीं। उन्होंने ईमेल भेजने वाले का नाम नहीं बताया। रघुराम राजन की ख़्याति इस बात को लेकर है कि उन्होंने 2005 में अमेरिका के फेडरल रिज़र्व के पूर्व चेयरमैन के सम्मान में बुलाए गए सम्मेलन में भविष्यवाणी कर दी थी कि दुनिया में मंदी आ रही है। आईआईटी दिल्ली, आईआईएम अहमदाबाद के छात्र रहे हैं। अमेरिका के मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से पीएचडी की है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुख्य अर्थशास्त्री रहे हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर रहे हैं। 2012 तक भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे हैं।

रघुराम राजन की लोकप्रियता और आर्थिक मसलों पर खुलकर बोलने की सक्रियता से कौन परेशान हो सकता है। 23 अप्रैल 2016 को ब्लूमबर्ग ने एक सर्वे किया था। इसमें 15 में से 13 अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि राजन को गर्वनर के रूप में एक और कार्यकाल मिलेगा। उनका कार्यकाल सितंबर में समाप्त हो रहा है। ईटीमार्केट डॉट काम ने पाठकों के बीच एक सर्वे किया है। मंगलवार को छपे इस सर्वे के अनुसार 69 प्रतिशत लोगों ने उन्होंने 10 में 10 नंबर दिये हैं। 87 प्रतिशत ने कहा है कि वे चाहते हैं कि वे गर्वनर पद पर बने रहें। इस सवाल पर कि स्वामी राजन को शिकागो भेज देना चाहते हैं, 86 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि शिकागो नहीं भेजना चाहिए। 78 प्रतिशत लोगों ने राजन के बारे में स्वामी की टिप्पणी से असहमति जताई है।  इस सर्वे में 9168 पाठकों ने हिस्सा लिया है।

स्वामी ने 18 सितंबर, 2015 के दिन द हिंदू में एक लेख लिखा। इसका शीर्षक था The way out of the economic tailspin'। स्वामी ने लिखा कि अर्थव्यवस्था एक बड़े संकट की ओर बढ़ रही है और 2016 की शुरुआत तक अर्थव्यवस्था क्रैश हो जाएगी। इस लेख से तीन दिन पहले भी स्वामी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था और राजन को निशाना बनाया।

स्वामी ने लिखा कि मैं आपको ये बताने को विवश हूं कि अर्थव्यवस्था लड़खड़ाने ही वाली है। अगर सही कदम नहीं उठाए गए तो नवंबर से लेकर फरवरी 2016 के बीच एक बड़े क्रैश को टाला नहीं जा सकेगा।

फरवरी तक अर्थव्यवस्था के क्रैश कर जाने की बात कही थी। आधा मई चला गया। क्या हमारी अर्थव्यवस्था क्रैश कर गई है। स्वामी क्यों जानबूझ कर हौव्वा खड़ा करेंगे। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय की वेबसाइट पर जाकर हमने देखा कि क्या राजन की वजह से छोटे स्तर के उद्योग धंधे चौपट हो गए हैं। इस मंत्रालय की 2015-16 की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल 2015 से सितंबर 2015 तक, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों की विकास दर 18.74 फीसदी रही है। 2014-15 में यह वृद्धि 17 प्रतिशत थी। 2013-14 में 12 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई थी।

भारत सरकार की वेबसाइट ग़लत आंकड़े दे रही है या स्वामी ग़लत बोल रहे हैं। 30 नवंबर 2015 के अपने मन की बात में प्रधानमंत्री ने कहा था कि हमने मुद्रा बैंक की स्थापना की है, इसकी शुरुआत अच्छी रही है मगर रफ्तार वैसी नहीं है जैसी मैं चाहता हूं। मन की बात में प्रधानमंत्री ने बताया था कि उस वक्त तक 66 लाख लोगों को 42 हज़ार करोड़ रुपये प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत मिल चुके हैं। प्रधानमंत्री की मन की बात सही है या स्वामी अपने मन की बात कर रहे हैं कि राजन की नीतियों के कारण छोटे उद्योगों ब्याज पर कर्ज़ नहीं ले पा रहे हैं। हमारी रिसर्च के मुताबिक जब राजन ने 2013 में कार्यकाल संभाला था तब बैंकों के लिए ब्याज़ दर 7.50 प्रतिशत थी, इस वक्त 6.50 प्रतिशत है। करीब एक प्रतिशत की कमी है। राजन ने अपने कार्यकाल में पांच बार ब्याज़ दरों में कमी की है।

स्वामी का कोई स्वामी नहीं है लेकिन स्वामी रिजर्व बैंक के जिस स्वामी पर हमले कर रहे हैं उसके बहाने कहीं वे अपनी सरकार के स्वामी को भी तो नहीं घसीट रहे? क्या राजन के बारे में स्वामी की सोच सरकार की भी है?

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