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This Article is From Nov 17, 2014

एक बाबा के आगे बेबस पूरी पुलिस

Ravish Kumar
  • Blogs,
  • Updated:
    नवंबर 21, 2014 17:12 pm IST
    • Published On नवंबर 17, 2014 21:10 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 21, 2014 17:12 pm IST

नमस्कार... मैं रवीश कुमार। 12 दिन हो गए, लेकिन हरियाणा की सरकार रामपाल को उनके आश्रम से निकाल कर हाई कोर्ट में पेश नहीं कर पाई। अदालत की सरेआम धज्जियां उड़ रही हैं और सरकार लाचार नज़र आ रही है। 5 नवंबर से ही पेश होंगे-पेश होंगे हो रहा है और पेशी नहीं हुई है।

हिसार के सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल और रामकुमार ढाका के खिलाफ पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने गैर ज़मानती वारंट जारी किया है, लेकिन मुख्यमंत्री की अपील, हिसार की नाकेबंदी, तमाम पुलिस अधिकारियों के दौरे सब बेकार। कोर्ट की प्रतिष्ठा दांव पर है, लेकिन पूरी हरियाणा सरकार बाबा के आगे बेकार नज़र आ रही है।

हरियाणा में आर्यसमाज और रामपाल के सतलोक आश्रम के बीच टकराव होता रहा है। 2006 में रोहतक के करौंथा गांव में सतलोक आश्रम में गोलीकांड हुआ, जिसमें एक आदमी मारा गया। रामपाल को भी आरोपी बनाया गा। 2006 से 2008 के बीच रामपाल जेल में रहे, बाद में बेल पर बाहर आ गए। 2008 से 2010 के बीच सुनवाई में अदालत भी आते रहे, लेकिन 2010 से 2014 के बीच पेश ही नहीं हुए।

चार साल की पेशी न हो आप समझ सकते हैं। तब कांग्रेस की सरकार थी, अब बीजेपी की सरकार है। कुछ भी नहीं बदला है। रामपाल की ही सरकार लगती है। जब 42 बार पेश नहीं हुए तो वीडियो कांफ्रेंसिंग का तरीका निकाला गया। 14 जुलाई को वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई होनी थी, लेकिन जब वकील पहुंचे तो समर्थकों ने उनके साथ मारपीट कर दी।

हरियाणा बार एसोसिएशन ने अदालत की अवमानना की याचिका दाखिल कर दी। हाईकोर्ट ने इस मामले में पेश होने के लिए नोटिस जारी किया और पांच नवंबर की तारीख दी। पांच को नहीं आए तो दस की तारीख दी और दस को नहीं आए तो आज 17 की तारीख दी आज भी नहीं आए तो अब ग़ैर ज़मानती वारंट जारी किया है और 21 नवंबर को पेशी का आदेश दिया है।

रामपाल का दावा है कि वह बीमार हैं। चल फिर नहीं सकते। तस्वीर भी जारी कर रहे हैं कि बिस्तर पर हैं। उनकी तरफ से डाक्टर हुड्डा ने सर्टिफिकेट जारी किया है कि वह अस्वस्थ हैं। ठीक है कोई बीमार हो सकता है, लेकिन इस तरह से अपने समर्थकों को बुलाकर घेराबंदी करेगा तो क्यों न माना जाए कि रामपाल अपने समर्थकों के दमपर अदालत को आंख दिखा रहे हैं। रामपाल बीमार हैं, लेकिन रामकुमार ढाका जो दूसरा आरोपी है वह क्यों नहीं पेश हो रहा है। आज हरियाणा में हो रहा है कल कहीं और हो सकता है।

अर्धसैनिक बल पुलिस की 35 कंपिनयां तैनात हैं, हवाई सर्वे हो रहे हैं, मुख्यमंत्री रामपाल से पेश होने के लिए अपील कर रहे हैं, कार्रवाई के नाम पर सर्वे हो रहे हैं, लेकिन किसी की ज़िम्मेदारी इस बात के लिए तय नहीं हुई कि इन सब नाकेबंदी के बावजूद हज़ारों लोग आश्रम के आस-पास कैसे पहुंचे, जबकि वहां धारा 144 लगी थी। 12 दिन हो गए, लेकिन अदालत का वारंट लागू नहीं हो सका।

यहां समर्थकों के हाथ में जजों पर आरोप लगाने वाले बैनर पोस्टर भी हैं। जजों के खिलाफ किताब छापकर बंटवाया जा रहा है। ये वह नज़ारा है जो नज़ीर बन गया तो ख़तरनाक हो जाएगा। कोई आस्था के नाम पर डरा रहा है तो सरकार है कि डर रही है।

रामपाल ने अपने आश्रम की घेराबंदी सुनियोजित तरीके से की है। आश्रम के पास अपने कमांडो हैं। आश्रम के लोगों का दावा है कि उनके पास 20 हज़ार ब्लैक कमांडो हैं। आपने तस्वीरों में देखा भी होगा कि लाठी-डंडा लिए और हेल्मेट पहने लोग आश्रम को घेर कर खड़े हैं। रणनीति के तहत महिलाओं को नीचे बिठा दिया गया है। आखिर पुलिस ने धारा 144 लागू होने के बाद इतने लोगों को कैसे जमा होने दिया।

कहा जा रहा है कि कमांडो फोर्स में एनएसजी सेना और पुलिस के रिटायर्ड लोग हैं। एनएसजी और सेना का कौन कमांडो रामपाल के आश्रम में तैनात है, क्या ये भी पता करना मुश्किल हो गया है? क्या पुलिस के पास कोई रिपोर्ट ही नहीं होगी कि आश्रम के पास 20,000 लोगों की कमांडो सेना है।

कमांडो फोर्स का नाम भी ऐसा है कि आरएसएस चौक जाए। आरएसएसएस यानी राष्ट्रीय समाज सेवा समिति। बताइये समाज सेवा समिति में कमांडो का क्या काम। रामपाल के पास आईटी सेल भी है। जो रिपोर्टर वहां जा रहे हैं, आश्रम के लोग अपने कैमरे से उनकी रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर क्या इस मामले में फेल हो रहे हैं। वे रामपाल से अपील कर रहे हैं कि पेश हो जाएं। क्या खट्टर अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहे हैं? क्या इस वजह से सरकार सख्ती नहीं कर रही है, क्योंकि चुनाव से पहले बीजेपी ने रामपाल से समर्थन मांगा था।

अदालत कह रही है कि सरकार रामपाल को बंकर से भी निकाल लाए, लेकिन कुछ नहीं हो रहा है। दिल्ली से लेकर हिसार तक की राजनीति चुप है। ऐसा लगता है कि मौन सहमति सी है। रामपाल के समर्थक चेतावनी भी दे रहे हैं कि अगर उनके हक में फैसला नहीं आया तो वे 17 नवंबर को दिल्ली घेरेंगे।

आश्रम का हवाई सर्वे हो रहा है। बिजली पानी काट दिया गया है। एंबुलेस, रोडवेज की बस, जेसीबी मशीन सब मंगवाई गई है, मगर रामपाल पुलिस की पकड़ से बाहर है। क्या सरकार उन्हें बचा रही है? क्या आश्रम मठ के बाबा संत कानून व्यवस्था से ऊपर हैं। क्या बिना राजनीतिक समर्थन के ये अपनी ताकत का प्रदर्शन कर पाते हैं।

रामदेव को आज ज़ेड श्रेणी की सुरक्षा मिल गई है और रामपाल ने अपनी ऐसी सुरक्षा कर ली है कि लगता है कि थोड़ी देर में वही अपने आप को हरियाणा का अगला मुख्यमंत्री घोषित कर देंगे।

(प्राइम टाइम इंट्रो)

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