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This Article is From Dec 17, 2015

प्राइम टाइम इंट्रो : 'आप' ने कसा जेटली पर शिकंजा

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 23, 2015 13:31 pm IST
    • Published On दिसंबर 17, 2015 21:17 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 23, 2015 13:31 pm IST
आधे घंटे की प्रेस कांफ्रेंस में आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता ने आरोपों की झड़ी लगाते हुए बताया कि कैसे वित्त मंत्री अरुण जेटली की भूमिका संदिग्ध है। आप की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद बीजेपी के श्रीकांत शर्मा के संक्षिप्त जवाब से लगा कि पार्टी इसे ज़्यादा भाव नहीं देगी लेकिन दिन चढ़ने के साथ-साथ उसकी आक्रामकता बढ़ने लगी। जेटली के बचाव में बीजेपी के 9 बड़े नेता मैदान में आ गए। श्रीकांत शर्मा ने इतना ही कहा कि अरुण जी के ऊपर कोई भी पार्टी भ्रष्टाचार के मामले में उंगली नहीं उठा पायी। अरविन्द जी अपनी हार बर्दाश्त नहीं कर पाये। बीजेपी पूरी तरह से इन आरोपों को खारिज करती है। अरविन्द केजरीवाल खुद कई आरोपों में जेल जा चुके हैं, हमें उनके प्रमाण की आवश्यकता नहीं है।

अरविन्द केजरीवाल कौन सी हार बर्दाश्त नहीं कर पाये ये समझ नहीं आया। इसका क्या मतलब है कि अरुण जी के ऊपर कोई भी पार्टी भ्रष्टाचार के मामले में उंगली नहीं उठा सकी है। क्या अब से यह भी पैमाना होगा कि किसी के ऊपर किसी से पहले किसी और पार्टी ने आरोप लगाए हैं या नहीं। लेकिन श्रीकांत के कमज़ोर हमले को धार दी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने। कहा कि केजरीवाल ने एक भ्रष्ट अफसर को बचाने के लिए अण्णा हज़ारे के उस आंदोलन को तिलांजली दे दी जिसमें राज बाला जैसी महिला ने जान दे दी थी। राज बाला की मौत अण्णा आंदोलन के दौरान नहीं बल्कि काला धन लाने के लिए आंदोलन कर रहे बाबा रामदेव की सभा में हुई थी जब पुलिस लाठीचार्ज से भगदड़ मची थी। लेकिन ऐसी चूक तो हम एंकर रोज़ करते हैं। वित्त मंत्री जेटली के बारे में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि और ये उन्हीं के शब्द हैं।

आज भारत के इतिहास में न्याय और क़ानून की दृष्टि से भारत की राजनीति में जिन्होंने अपनी कर्मठता से स्वर्णाक्षरों से इतिहास के पन्नों पर अपना नाम लिखा ऐसे नेता पर आम आदमी पार्टी ने ग़लत आरोप लगाने का दुस्साहस किया है। हम ये सार्वजनिक तौर पर कहना चाहते हैं कि पिछली सरकार में कांग्रेस लेड यूपीए की अध्यक्षता में SFIO ने 21 मार्च 2013 को DDCA पर अपनी इनवेस्टिगेशन रिपोर्ट में जेटली का उल्लेख करते हुए कहा कि कोई भी फ्रॉड उनकी अध्यक्षता में नहीं हुआ।

ये क्या कम है कि बीजेपी को कांग्रेस लेड यूपीए के कार्यकाल में हुई जांच पर भरोसा है। वैसे कांग्रेस को बताना चाहिए कि जब उसके कार्यकाल की जांच में कोई आरोप साबित नहीं हुआ तो वो क्यों जेटलीजी के पीछे पड़ गई है। कांग्रेस तब भी क्या चुप रही जब रॉबर्ड वाड्रा के खिलाफ जांच कमेटी बनी, नेशनल हेरल्ड का मामला सामने आया। तो क्या कांग्रेस भी जेटली के बहाने कोई मौका देख रही है। उसकी सक्रियता में औपचारिकता भर है या आम आदमी पार्टी की तरह आक्रामकता। ख़ैर जब स्मृति ईरानी ने ये कहा कि बीजेपी श्री अरुण जेटली के नेतृत्व की सराहना करते हुए उनकी कर्मठता की सराहना करते हुए संकल्पित भाव से उनके साथ खड़ी थी, है और रहेगी। जिस जेटली जी के साथ खड़े होने के लिए सभी प्रयासरत रहते हैं उनके साथ बीजेपी खड़ी होने का आश्वासन दे रही है। बात जमी नहीं पर हो सकता है कि इसके ज़रिये ये संदेश दिया गया हो कि जेटली जी का नाम पार्टी की किसी अज्ञात गुटबाज़ी के कारण सामने नहीं आया है।

लेकिन आप नेता संजय सिंह ने कहा कि अगर कोई मामला नहीं होता तो गृह मंत्रालय और खेल मंत्रालय दिल्ली सरकार को जांच के लिए क्यों लिखते। संजय की बात से यह बात साफ होते होते रह गई कि गृह मंत्रालय ने पेशेवर उदारता के कारण ऐसा किया है या कोई और वजह रही होगी। दोपहर बीतते बीतते जेटली ने उन तमाम बातों पर विस्तार से स्पष्टीकरण लिखा जिसे वे बुधवार को अस्पष्ट बता रहे थे। जेटली जी का ब्लॉग सोशल मीडिया के तमाम मंचों पर उपलब्ध है। यही नहीं उन्होंने बाकायदा प्रेस को बुलाकर अपना पक्ष रखा और सवाल किया कि डीडीसीए और बीसीसीआई से उनका नाता सालों पहले टूट चुका है। इतने सालों बाद अब जाकर इनको ये याद क्यों आया है। राजनीतिक आरोपों के इतिहास में एक सवाल अभी तक अनुत्तरित है, उसका जवाब नहीं मिला कि ये मामला तो कब का है अभी क्यों उठाया।

जिस स्टेडियम को लेकर विवाद है ये वो है। जहां अनिल कुंबले ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ टेस्ट मैच में दस विकेट लेकर कीर्तिमान बनाया था। जेटली ने बताया कि दिल्ली में ग़ैर सरकारी साधनों के इस्तेमाल से बना एकमात्र स्टेडियम है। बाकी सब सरकारी खर्चे पर बने हैं। हमने इसे 114 करोड़ में एक स्टेट ऑफ द आर्ट स्टेडियम बनाया। इसके बाद जेटली ने अजय माकन पर भी सवाल उठा दिया कि कोटला स्टेडियम की तुलना अपनी सरकार के परफार्मेंस से कीजिए। कॉमनवेल्थ में नेहरू स्टेडियम के रिपेयर में 900 करोड़ लगे थे। हमने इस स्टेडियम को सरकारी कंट्रैक्टर से बनवाया। निजी कांट्रॉक्टर से नहीं।

आप नेता तो आज उठा रहे हैं लेकिन कीर्ति आज़ाद जो बीजेपी के सांसद हैं कई साल से उठा रहे हैं। कम से कम वे बुधवार तक तो उठा ही रहे थे। जेटली ने कहा कि एक सांसद हैं जो बार बार हम लोगों के खिलाफ लिखते रहते हैं।
'जब मैं प्रतिपक्ष का नेता था तो उन्होंने यूपीए सरकार को लिखा... यूपीए सरकार ने सन 2012 में एक जांच बिठा दी... क्योंकि कंपनी है और उस पर कार्रवाई करने का अधिकार केंद्र को होता है। 21 मार्च की 2013 की रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि कुछ टेक्निकल वॉयलेशन हैं प्रोसीजर के, कोई सब्सटेंटिव वॉयलेशन नहीं हैं।

मुझे नहीं पता कि टेक्निकल गड़बड़ियां और सब्सटेंटिव वायलेशन यानी व्यापक उल्लंघन के बीच कितने का फासला होता है। क्या क्या हो जाता है। आपको बता दें सत्यम घोटाले के बाद चर्चा में आये एसएफ़आईओ यानी सीरियस फ्रॉड इनवेस्टिगेशन ऑफिस की इस मामले के बाद फिर चर्चा हो रही है। जेटली ने कहा कि एक अफसर के खिलाफ सीबीआई सर्च करती है तो संघीय ढांचे की बात कहां से आ गई। कोई मुख्यमंत्री इस प्रकार की भाषा देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ इस्तमाल करे तो क्या ये संघीय ढांचे के अनुकूल है। आम आदमी पार्टी ने आरोप क्या लगाए हैं अब उसे देखते हैं।
DDCA ने अरुण जेटली की अध्यक्षता में 24 करोड़ रुपये का बजट बनाया। कुल राशि 114 करोड़ खर्च की गई। कहां गए वो 90 करोड़। अरुण जेटली ने कीर्ति आज़ाद को लिखा है कि उन्होंने पब्लिक सेक्टर की कंपनी EPIL को ठेका दिया ताकि किसी के मन में संदेह न रहे। आम आदमी पार्टी दस्तावेज़ों के दम पर दावा कर रही है कि EPIL को केवल 57 करोड़ की पेमेंट की गई। 114 करोड़ में से सिर्फ 57 करोड़ तो बाकी का 57 करोड़ किसे दिया गया।

सही बात है किसे दिया गया। क्या हम जानते हैं कि स्टेडियम के प्रोजेक्ट में सिर्फ एक ही कंपनी शामिल थी या अन्य कंपनियां भी। हम पूछेंगे ये सवाल। राघव चड्ढा के अनुसार इस मामले की जांच डीडीसीए की एक कमेटी ने भी की है। उससे ये बात निकली है कि 1 करोड़ 55 लाख का लोन DDCA तीन कंपनियों को देता है, vibha infrastructure pvt ltd, Shriram tradecom pvt ltd, infra reality pvt ltd.। जब पूछा जाता है उनसे कि क्या पैसा दिया गया, ना अध्यक्ष उसका जवाब दे पाते हैं, जो president हैं DDCA के, ना general secretary उसका जवाब दे पाते हैं। रिपोर्ट कहती है कि prima facie seems to be a case of theft and criminal breach of trust. हमें यह नहीं मालूम कि इस बात पर एसएफआईओ ने क्या कहा है। फिर भी बीजेपी के नेता से पूछेंगे अगर वे जवाब दे सकने की स्थिति में हों तो।

कुल 9 कंपनियों को बहुत substantial payment दी जाती है। stream marketing pvt ltd, anna lakshmi trading pvt ltd, advent pvt ltd, Ultimate IT solutions pvt ltd, nipun traders pvt ltd, manu technical financial pvt ltd. नाम की इन 5 कंपनियों को DDCA कई लाख में पेमेंट करती है। इन पांचों कंपनियों का रजिस्‍टर्ड ऑफिस एक ही जगह है। इनका रजिस्टर्ड ईमेल आईडी एक ही जगह है। इन पांचों कंपनियों के निदेशक सेम ही लोग हैं। और इनके शेयरहोल्‍डर्स का वही nexus है। घूम फिर के वही डायरेक्टर बन जाते हैं, वही घूम फिर के शेयरहोल्डर बन जाते हैं। इस प्रकार से कंपनियां बना बना कर पैसा निकाला जा रहा है DDCA से।

राघव की ये बात सुनकर लगा कि कहीं वे डीडीसीए से निकल नेशनल हेरल्ड पर तो नहीं चले गए। राघव का आरोप है कि पेमेंट उन कंपनियों को किया गया जिन्होंने कोई काम ही नहीं किया। वैसे हमारे साथ डीडीसीए के कोषाध्यक्ष हैं जो अपना पक्ष रखेंगे ही।

इस बीच ख़बर आई कि बीजेपी सांसद कीर्ति आज़ाद को इस विषय पर बोलने से मना कर दिया गया है। बताया गया कि पार्टी महासचिव राम लाल ने कीर्ति आज़ाद को बुलाकर ये संदेश दे दिया है। वैसे प्राइम टाइम में कीर्ति आज़ाद कह चुके हैं कि वे किसी से डरते नहीं हैं। एएनआई को दी एक बाइट में उन्होंने कहा कि वो रविवार को दोपहर चार बजे एक प्रेस कांफ्रेंस कर एक बड़ा ख़ुलासा करेंगे। वैसे कीर्ति आज़ाद के अलावा बिशन सिंह बेदी, आकाश लाल, सुरेंद्र खन्ना भी इस मामले को उठाते रहे हैं।

जिस तरह से ललित मोदी राजस्थान क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बन गए हैं, उन पर लगे आरोपों और भीतरघात की राजनीति के किस्से अब याद आते हैं तो कथित आरोपों की अमर गाथाओं पे हंसी भी आती है। यह सोचते हुए कि चाहे जेटली हों या केजरीवाल या राहुल गांधी कोई तो आरोप अंजाम पर पहुंचता ही नहीं। बात अंजाम की है या बारात बीच में रोक कर या मूर्ति भसान से पहले काफिले को रोककर डांस करने की।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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