11 विधानसभा और एक लोकसभा सीट के लिए इस राज्य में लड़ाई चरम पर है। इसके लिए 13 सितम्बर को वोट पड़ेंगे। कुछ देर पहले आज शाम 5 बजे चुनाव प्रचार थम गया। ये चुनाव राज्य में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी और केन्द्र में सत्ताधारी बीजेपी के लिए अहम की लड़ाई बन गई है।
बीजेपी को जताना है कि मोदी की लहर बनी हुई है तो समाजवादी पार्टी को जताना है कि उसमें लोगों को अब भी कुछ भरोसा है। कांग्रेस मैदान में बनी हुई है। खास है कि बहुजन समाजवादी पार्टी चुनाव नहीं लड़ रही है। अब उसके दलित वोट पर सबकी नज़र है।
बीजेपी की रणनीति उग्र नजर आ रही है। यूपी में प्रमुख प्रचारक में सांसद योगी आदित्यनाथ समेत पार्टी के कई बड़े नेताओं पर एफआईआर दर्ज हो गई है। धारा 144 और चुनाव आचार संहिता तोड़ने के आरोप लगे हैं। प्रशासन की रोक के बावजूद रैली की है। 6 सितम्बर को दिए भड़काऊ भाषण पर योगी आदित्यनाथ को चुनाव आयोग का नोटिस भी मिला है जिसका जवाब उन्हें देना पड़ा।
बीजेपी खेमें में कहा जा रहा है कि अगर बीजेपी सभी सीटें जीत लेती है तो यूपी में विधानसभा चुनाव 2017 में नहीं पहले 2015 तक करा लिए जाएंगे। बीजेपी ये भी कह रही है कि समाजवादी पार्टी के कई एमएलए उनसे सम्पर्क में हैं, वे अखिलेश सरकार को गिरा देगें।
इस तरह के बयानों पर समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव, मोदी पर सीधा वार कर कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के करिश्में को नकार रहे हैं। बीजेपी की हिन्दू वोट को एकजुट करने की रणनीति को काटने के लिए उसने भी अपनी नीति में बदलाव कर लिया है। सिर्फ एक जगह से मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया गया है। ठाकुरवाडा से नवाब जान खान मैदान में हैं। कांग्रेस ने भी सिर्फ दो मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। इन चुनावों में 118 उम्मीदवारों में सिर्फ 13 मुस्लिम उम्मीदवार हैं।
आजम खान को भी प्रचार के लिए मैदान में नहीं उतारा गया है।
रणनीति में बदलाव के बावजूद सपा प्रमुख की बेचैनी साफ झलक रही है। मैनपुरी में अपने भाई के पोते तेज प्रताप यादव के लिए एक दिन में तीन-तीन सभाएं कर रहे हैं। ये सीट मुलायम सिंह यादव ने लोकसभा चुनाव में जीती थी।
आज ही यूपी पुलिस को शर्मिन्दगी झेलनी पड़ी जब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह पर चार्जशीट को कोर्ट ने अधूरी करार दिया। अब इधर उत्तर प्रदेश में बीजेपी सांम्प्रदायिक भेदभाव की बात उठा रही है। लव जिहाद के मसले को बढ़ा रही है। लेकिन, आज देश की राजधानी में मुसलमानों के विकास और प्रोत्साहन के लिए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने एक विज्ञापन छापा है। इस एक बड़े पन्ने में मुसलमानों की शिक्षा और विकास के लिए कई योजनाएं सामने रखी गई हैं।
16 सितंबर को जब वोटों की गिनती होगी तब यह साफ हो जाएगा कि किसकी रणनीति कारगर सिद्ध हुई।
This Article is From Sep 11, 2014
उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में सबकी अपनी चुनावी रणनीति?
Nidhi Kulpati, Rajeev Mishra
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Updated:नवंबर 19, 2014 16:27 pm IST
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Published On सितंबर 11, 2014 17:48 pm IST
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Last Updated On नवंबर 19, 2014 16:27 pm IST
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