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This Article is From Jan 27, 2016

कालियाचक में कैसे पनपता रहा अफीम की खेती का मायाजाल, यानी नार्को-टैररिज़्म...?

Nidhi Kulpati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जनवरी 27, 2016 15:38 pm IST
    • Published On जनवरी 27, 2016 15:29 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 27, 2016 15:38 pm IST
"देखिए, यह है अफीम की खेती का समन्दर...", कालियाचक पहुंची NDTV की टीम से एक्साइज़ डिपार्टमेंट में काम करने वाले सब-इंस्पेक्टर ने कहा...

पश्चिम बंगाल के माल्दा जिले में कालियाचक के गांवों में जहां तक हमारी नज़र गई, बस, अफीम के खेत नज़र आए... हालांकि इस गैरकानूनी खेती को नष्ट करने का काम होता रहा है, लेकिन 3 जनवरी के बाद से इसके तार दंगे से सीधे जोड़े जा रहे हैं, जब डेढ़ लाख लोगों के हुजूम ने हिंसा, लूटपाट और आगज़नी की... NDTV की टीम भी बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) की मदद से उन खेतों तक पहुंच सकी, जहां यह खेती होती रही है... इसकी रखवाली के लिए ड्रग माफिया के लोग बंदूकें ताने नज़र रखते हैं, लेकिन अब सख्ती के कारण उनकी पकड़ ढीली पड़ रही है...
 

अफीम से होने वाली कमाई गेहूं से होने वाली कमाई की तुलना में 10 गुना ज़्यादा होती है... अफीम के फूलों से निकाला हुआ गोंद ही 80,000 रुपये प्रति किलो तक बिक जाता है, और कहीं-कहीं तो एक-एक लाख रुपये में... इसी गोंज को बाद में प्रोसेस कर मॉरफीन और हेरोइन जैसी ड्रग बनाई जाती हैं, लेकिन यह काम स्थानीय स्तर पर नहीं होता...

बहरहाल, इसकी खेती के बढ़ते दायरे पर काबू के लिए बीएसएफ, एक्साइज़ और लैन्ड डिपार्टमेंट एकजुट होकर कार्रवाई कर रहे हैं... पिछली बार पांच-छह ट्रैक्टरों की मदद से खेती को नष्ट किया गया था, तो इस बार आठ से भी ज़्यादा ट्रैक्टर इस्तेमाल किए जा रहे हैं...
 

5 जनवरी से शुरू हुई कार्रवाई में 3,400 बीघा जमीन पर अफीम की खेती नष्ट की गई, लेकिन एक्साइज़ विभाग के पुराने लोगों का कहना है कि अगर 50 बीघा में से 30 बीघा भी नष्ट कर दी जाए, तो इसके बावजूद इस काम में लगे लोगों को फायदा ही होता है...

यहां ज़मीन कुछ किसानों की है, कुछ बाहरी लोगों की... किसानों को उनकी ज़मीन के एक बीघा के 50,000 रुपये के हिसाब से रकम दे दी जाती है, और फिर उस पर अफीम की खेती की जाती है... अब सबसे बड़ा सवाल उस नेक्सस (गठजोड़) का है, जो इस खेती को होने देता रहा है... सवाल है कि प्रशासन के लोग इसे नार्को-टैररिज़्म (narco-terrorism) कहते हैं, लेकिन इसके बावजूद यह कैसे पनपता रहा... कौन हैं वे ताकतें, जो इसको नजरअंदाज करती हैं, इसे शह देती हैं, और हमारे देश की सुरक्षा से समझौता करती हैं...

निधि कुलपति NDTV इंडिया में सीनियर एडिटर हैं...

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