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This Article is From Jul 21, 2016

पहले पाकिस्तान के लोगों के काले दिन खत्‍म करें नवाज शरीफ

Nelanshu Shukla
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जुलाई 21, 2016 05:27 am IST
    • Published On जुलाई 21, 2016 05:24 am IST
    • Last Updated On जुलाई 21, 2016 05:27 am IST
कश्मीर में मारे गए हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की हत्या एवं घाटी में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों पर सेना की सख्‍त कार्यवाही के खिलाफ काला दिवस मना रहा पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। अपने संदेश में पाक पीएम नवाज शरीफ ने आतंकी बुरहान को शहीद बताकर कहा कि कश्मीर भारत का अंदरूनी मामला नहीं है।

1947 के बाद से ही पाकिस्तान ने आतंकवाद एवं जिहादी मानसिकता को बढ़ावा दिया है। इसकी शुरुआत पाकिस्‍तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने की। लियाकत ने भारत के खिलाफ जंग लड़ने के लिए आतंकवाद की नींव रखी और खुद ही इसका शिकार हुए। 1951 में लियाकत की हत्या कर दी गई और तब से लेकर आज तक पाकिस्तान हमेशा से आतंक के आगे घुटने टेकते हुए नज़र आया है।

 27 दिसंबर 2007 को बेनज़ीर भुट्टो ने तालिबानी आतंकियों को चेताया था और नेताओं से उनका साथ ना देने की अपील की थी। बदले में आतंकियों ने बेनज़ीर की बेरहमी से हत्या कर दी थी। आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला पाक खुद ही इसका सबसे ज्‍यादा शिकार हुआ है। 2013 में बनी नवाज शरीफ सरकार में अब तक पचास से ज्‍यादा बड़े आतंकी हमले हो चुके हैं जिसमें सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है।

पेशावर के स्कूल में हुआ हमला व सितम्बर 2013 में एक चर्च पर हुआ हमला सबसे भयावह था। इन दोनों आतंकी हमलों में 250 से भी ज्‍यादा लोग मारे गए थे। पाकिस्तान की मीडिया भी आतंकियों के खौफ के साये में काम कर रही है। पाक के सबसे मशहूर पत्रकार हामिद मीर पर 19 अप्रैल 2014 को जानलेवा हमला किया गया था क्योंकि उन्होंने पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई व आतंकी संगठनों में बढ़ रहे साठगांठ को उजागर किया था ।  

पाकिस्तान में 95 प्रतिशत मुस्लिम आबादी और बाकी 5 प्रतिशत हिन्दू , सिख व  ईसाई हैं। पाकिस्तान में अल्‍पसंख्‍यकों को हमेशा से ही शोषित किया गया है। वहां आए दिन चर्च, गुरुद्वारों एवं मंदिरों में हमले होते हैं। अल्पसंख्यकों को ना सरकारी नौकरी दी जाती है और ना उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है। 

342 सीटों की नेशनल एसेंबली में महज 10 ही अल्पसंख्यक सांसद हैं। हाल ही में एक सिख नेता सरदार पूरन सिंह की हत्या कर दी गई थी क्योंकि उन्होंने अल्पसंख्यकों के पक्ष में आवाज़ उठाई थी। इसके अलावा सुन्नी बाहुल्‍य मुस्लिम आबादी आये दिन 20 प्रतिशत शिया मुसलमानों को निशाना बनाती है। अल्पसंख्यकों पर हमले रोकने में नाकाम पाकिस्तान आज विश्व में एक कट्टरवादी इस्लामिक देश के रूप में जाना जाता है।  

वहीं पाकिस्‍तान में भ्रष्टाचार के चलते लोगों में एक मत राय नहीं है। देश का एक तबका चाहता है कि वहां पूरी तरह से चुनी हुई सरकार का राज चले जबकि दूसरा तबका चाहता है कि देश कि कमान फौज के हाथों में हो ताकि भ्रष्ट और तानाशाह नेताओं पर लगाम कसी जा सके। पाकिस्तान का इतिहास उठाकर देखें तो वहां सेना हमेशा से ही सिविल सरकारों पर भारी पड़ी है।  फौज की ही दखलंदाज़ी के चलते भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी नवाज शरीफ की सरकार 1999 में गिर गई थी और मजबूर होकर शरीफ देश छोड़कर भाग गए थे।

परवेज मुशर्रफ जो लंबे अर्से तक पाक के राष्ट्रपति व सेना प्रमुख रहे थे उनके ऊपर भी तानाशाही और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे। उन पर भी जब शिकंजा कसा गया तो 2007 में वह देश छोड़ कर भाग निकले और 6 सालों तक दूसरे देशों में छिप कर बैठे रहे।

वर्तमान नवाज शरीफ सरकार के खिलाफ भी बढ़ते आतंकवाद और भ्रष्टाचार के चलते लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है और राजधानी इस्लामाबाद व लाहौर और पेशावर में कुछ ही हफ़्तों पहले लोगों ने पोस्टर लगाकर फौज से अपील की थी कि वह शरीफ सरकार को गिराकर देश की कमान अपने हाथों में ले।

जिहादी मानसिकता व समाजिक कुरीतियां पाकिस्तान की समय सबसे बड़ी दुश्मन हैं। पाकिस्तान में आज भी महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कमज़ोर समझा जाता है और उन पर कई तरह की बंदिशें लगाई गई हैं। तालिबानी आतंकियों द्वारा महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने वाली यूसुफ़ मलाला ज़ई को गोली मारना इसी जिहादी मानसिकता का नतीजा था।

हाल ही में सोशल मीडिया पर खुलेआम अपने विचारों को व्यक्त करने वाली कंदील बलोच को भी इसी भेदभाव के चलते मार दिया गया था। आंकड़े बताते हैं कि पाकिस्तान में 84 फीसदी महिलाएं 5वीं कक्षा से ज्‍यादा नहीं पढ़ पाई हैं। इसके अलावा अधिकांश महिलाओं को मनचाहे कपड़े पहनने, नौकरी करने व घर से ज्‍यादा निकलने की आज़ादी तक नहीं है। महिला सशक्तीकरण के लिए पाकिस्तान में कभी कोई कदम नहीं उठाये गए हैं ।  

चाहे पाकिस्तान सरकार हो या फौज दोनों ने ही देश में आतंकवादियों को पनाह दी है। पाक में कई जगह आतंकी ट्रेनिंग कैंप चल रहे हैं और भारत से जंग के लिए इन्हें फंडिंग भी की जा रही है। हाफिज सईद और दाऊद इब्राहिम जैसे आतंकी पाकिस्तान में सरकार की सरपरस्ती में पल रहे हैं। आए दिन पाक सरकार व सेना कश्मीर के रास्ते भारत में आतंकियों की घुसपैठ करा रही है। पाक पीएम नवाज शरीफ व सरकार को यह बात समझनी चाहिए कि उनकी सरपरस्ती में पल रहे आतंकी सबसे ज्‍यादा नुकसान खुद पाकिस्तान को ही पहुंचा रहे हैं और इसका उदाहरण पाक में दिनों-दिन बढ़ रहे आतंकी हमले हैं।

पाक पीएम व सरकार को जरूरत है कि आतंकवादियों को पनाह देने के बजाय उनका देश से सफाया करें और जिहादी मानसिकता को खत्म कर महिला सशक्तीकरण की ओर ध्यान दें ।  देश में बढ़ रहे भ्रष्टाचार को खत्म कर कश्मीर जैसे मुद्दे उठाकर भारत के आंतरिक मामलों में दखल देना भी खत्‍म करें। जनता को एक अच्छी सरकार दें ताकि पाकिस्तान के लोगों के काले दिन खत्म हो सकें।

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