मां इस धरती की जननी है जिसको किसी भी शब्द अहसास से कभी तोला नहीं जा सकता है. मां एक ऐसा शब्द है जो जुबां पर शहद घोल देता है. मां का अपने बच्चों से रिश्ता परिभाषाओं की परिधि से परे है. मां, बेशुमार संघर्षों में अनायास खिल उठने वाली एक आत्मीय मुस्कान, एक शीतल अहसास होती है.
अगर इस दुनिया में स्वर्ग कहीं भी मिलता है तो वो मां के चरणों में मिलता है. गीता में भी कहा गया है कि "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी". अर्थात, जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है. मां की ममता और उसके आंचल के प्यार को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है, उसे केवल महसूस किया जा सकता है. मां को प्यार करने के लिए तो 365 दिन भी कम पड़ जाते हैं, फिर एक दिन क्या उसके सम्मान में पर्याप्त होता है.
वैसे, मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है, लेकिन क्या यह एक मां के लिए काफी है. कहते हैं, ईश्वर हर जगह मौजूद नहीं रह सकता, इसलिए उसने मां को इस धरती पर भेजा, जिसको भगवान का दर्जा दिया गया है. ऐसे में फर्क नहीं पड़ता है कि मदर्स डे या कब मनाया जाए. मां को देने के लिए एक बच्चे के पास एक दिन क्या एक जन्म भी कम पड़ जाए.
एक बच्चे के लिए उसकी दुनिया उसकी मां होती है. बच्चा पहली बार अपने मुंह से मां शब्द ही निकालता है. बचपन ही क्यों, उम्र का कोई भी पड़ाव हो, मां की आंचल से ज्यादा सुकून कहीं और नहीं मिलता. मां अपने बच्चों को हमेशा देना ही जानती है और वह अपने पूरे जीवन में केवल यही सोचती है कि वह अपनी संतान के लिए क्या क्या करे, जिससे वह सुखी जीवन व्यतीत करें.
मां को अनेक नामों से बुलाते हैं वह किसी के लिए अम्मा होती है, तो किसी के लिए मम्मी. कोई ममा बुलाता है तो कोई आई. वहीं मां को माता और माई जैसे रूपों में भी पुकारी जाती है. भले उसे किसी नाम से पुकारों पर उसका दुलार हर नाम में एक ऐसा निस्वार्थ होता है. मां शब्द अपने आप में पूर्ण है जिसकी तुलना किसी से भी नही की जा सकती है.
हम सबके हर विचार-भाव के पीछे मां द्वारा रोपित किए गए संस्कार के बीज हैं, जो जीवन रूपी वृक्ष पर सफलता के फल लगाते हैं. इसलिए आजकल की बिजी लाइफ में हर किसी के लिए भले एक दिन हो, पर मातृ दिवस को मनाना आवश्यक हो जाता है. हम अपने व्यस्त जीवन में यदि हर दिन न सही तो कम से कम साल में एक बार मां के प्रति पूर्ण समर्पित होकर इस दिन को उत्सव की तरह मनाएं तो यह एक मां के लिए सम्मान होगा.
मदर्स डे एक मौका है, जब परिवार के भारी-भरकम बोझ को अपने कंधों पर ढोने वाली मां के प्रति अपनी भावनाओं को जाहिर करें कि वह कितनी खास हैं. अगर हमें मदर्स डे मनाना है तो सबसे पहले अपनी मां को एक बार प्यार से मां कह दें, शायद इससे नायाब तोहफा एक मां के लिए और कुछ हो ही नहीं सकता.
सुमित राय एनडीटीवी खबर में सीनियर सब एडिटर हैं।
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This Article is From May 14, 2017
ब्लॉग: मदर्स डे पर मां को एक बार प्यार से मां कह दें, यही है सबसे बड़ा तोहफा...
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