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This Article is From Jul 14, 2018

मोहम्मद कैफ: सीमित योग्यता के सर्वश्रेष्ठ इस्तेमाल के बेहतरीन उदाहरणों में से एक!

Manish Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जुलाई 14, 2018 17:07 pm IST
    • Published On जुलाई 14, 2018 15:26 pm IST
    • Last Updated On जुलाई 14, 2018 17:07 pm IST
यह नब्बे के दशक के बीच का दौर था. देश ने बदलाव की अंगड़ाई लेने की शुरुआत कर दी थी. कुमार सानू और नदीम-श्रवण की जुगलबंदी मेलोडी म्युजिक में नया इतिहास रच रही थी. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के वैश्वीकरण और उदारीकरण का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर दिखना शुरू हो गया था. शाहरुख खान की सनसनी ने बॉलीवुड के बाजार की चिंता को को भी खत्म कर दिया था. लेकिन इन सबके बीच उत्तर प्रदेश की क्रिकेट वहीं खड़ी थी, जहां वह सालों पहले खड़ी थी.

हिंदुस्तान के सबसे बड़े प्रदेश की क्रिकेट जवान होने, नए वस्त्र धारण करने, हीन भावना और तमाम तरह की नकारात्मक बातों से बाहर निकलने के लिए बुरी तरह छटपटा रही थी. खिलाड़ियों का आत्मविश्वास धरातल पर था. रणजी ट्रॉफी मुकाबलों में मुंबई जैसे टीमों के खिलाफ मैदान पर उतरने से पहले ही टीम पसीने-पसीने हो जाती थी. हालांकि, आशीष विंस्टन जैदी, उबैद कमाल के रूप में स्तरीय गेंदबाज थे, लेकिन वैसे बल्लेबाजों का अभाव था, जो उन्हें इस बात का भरोसा दे पाते- ‘हम हैं ना, रणजी ट्रॉफी जीतेंगे’.

नतीजा यह रहा कि साल दो हजार में ‘भाग्य रूपी अंगड़ाई’ लेने से पहले तक उत्तर प्रदेश टीम कभी रणजी ट्रॉफी नहीं ही जीत सकी. और यह भाग्य उमड़ा मोहम्मद कैफ के रूप में. हालांकि, कैफ ने आधिकारिक तौर पर वीरवार को सभी तरह की क्रिकेट से संन्यास का ऐलान किया, लेकिन तस्वीर बताती है कि कई साल पहले ही उनका संन्यास हो चुका था!! शायद खेल के बदलते मिजाज में उनकी शैली की प्रासंगिकता बहुत पहले खत्म हो चुकी थी. वजह यह रही कि टी-20 के पदार्पण के साथ ही न केवल खेल में तेजी से बदलाव हुए बल्कि टीम इंडिया को कई ऐसे बल्लेबाज मिले, जो रक्षात्मक और आक्रामक दोनों ही शैलियों के मास्टर थे. बस यहीं से कैफ पिछड़ गए. नतीजा यह हुआ कि किसी को भी आभास नहीं हुआ कि एक समय बहुत ही लोकप्रिय शब्द ‘शीट एंकर’ कब आईसीयू में चला गया और कब इसकी गुमनाम मौत हो गई!

मोहम्मद कैफ भारत के सर्वकालिक सीमित योग्यता बल्लेबाजों में से एक रहे हैं. क्रिकेट प्रशंसकों के जहन में बमुश्किल ही कैफ की गेंदबाज के सिर के ऊपर से छक्का मारने की तस्वीरें जहन में कौंधती होंगी. और यह आसानी से समझ भी आता है क्योंकि कैफ की सारी ताकत सिंगल्स और डबल्स में निहित थी. और इसका उन्होंने और माइकल बेवन ने सर्वश्रेष्ठ इस्तेमाल किया है. संभवत: कैफ इस बात का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं कि अन्य क्षेत्रों (फील्डिंग) में लगातार सुधार करते हुए अपनी सीमित योग्यता का सर्वश्रेष्ठ अंदाज में कैसे इस्तेमाल किया जाता है. कई मैचों में उन्हें हवा में तैराकी करते हुए बेहतरीन कैच लपकते देखा गया है!

भाग्य रूपी अंगड़ाई भी बहादुरों का ही साथ देती है! और कभी हार न मानने का जज्बा कैफ की फील्डिंग, बेहतरीन कैचों और विकेटों के बीच दौड़ में में बहुत और बहुत ही स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ा. उनकी योग्यता से ज्यादा उनके खेल के प्रति इसी रवैये ने उनके करियर का विस्तार करने में बहुत ही ज्यादा मदद की. यह जज्बा उनके औसत को भी वनडे में करीब-करीब सहवाग के आस-पास ले गया!! वहीं, सौरव गांगुली की वह नीति और वह जिद भी कैफ के करियर विस्तार में एक बड़ा कारक रही, जिसके तहत पूर्व कप्तान किसी भी तरह के हालात से इतर सात बल्लेबाजों को टीम में जगह देते थे. यही वह नीति थी, जिसके चलते कैफ ने साल 2002 में नेट वेस्ट ट्रॉफी में लॉर्ड्स में ऐतिहासिक पारी खेल डाली. इसी नीति के चलते कई अच्छी पारियां कैफ के बल्ले से निकलीं.

इसमें कोई दो राय नहीं कि क्रिकेट के बदलते हुए चेहरे (योग्यता+अटैकिंग शैली के बल्लेबाजों के उदय) के साथ कैफ की शैली की प्रासंगिकता काफी पहले खत्म हो गई. लेकिन कैफ वास्तव में अपनी इस पारी से कहीं ज्यादा अन्य बातों के लिए याद रखे जाने के हकदार हैं. मैदान पर बेहतरीन जज्बे के लिए, सीमित योग्यता के साथ कहीं ज्यादा हासिल करने के लिए और उत्तर प्रदेश क्रिकेट की तमाम नकारात्मक बातों को मिटाते हुए वह जज्बा देने के लिए, जिसके चलते टीम ने तीन साल में दो बार रणजी ट्रॉफी (2005-06, 2007-08) खिताब जीता.

और इससे ऊपर प्रदेश की अगली पीढ़ी (सुरेश रैना, रुद्र प्रताप सिंह, पीयूष चावला) को यह भरोसा देने के लिए कि वे इसी प्रदेश के रास्ते से टीम इंडिया की जर्सी पहन सकते हैं. और हां कैफ के पदार्पण की वह भाग्य रूपी अंगड़ाई थी अंडर-19 विश्व कप (साल 2000) का पहली बार सीधा प्रसारण होना. इस प्रसारण ने भारतीय क्रिकेट की दिशा, दशा और टीम चयन के पैमाने को बदल दिया. और मोहम्मद कैफ के करियर की भी. यह अंडर-19 विश्व कप श्रीलंका में आयोजित हुआ था. कैफ की कप्तानी में भारत ने यह खिताब जीता था. जरा कल्पना कीजिए कि अगर इस कप का सीधा प्रसारण नहीं होता, तो क्या होता..?

(मनीष शर्मा Khabar.NDTV.com में डिप्‍टी न्यूज एडिटर हैं...)

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