मेरे अपने एक लम्बे पत्रकारिता कार्यकाल के अलावा एनडीटीवी में बतौर प्रोग्राम कोऑडिनेटर लगभग 9 साल बीतने को आया है. इस दौरान मैंने एनडीटीवी न्यूज़ वेब पर बहुत सारे लेख लिखे, लेकिन मैंने मजहब के नाम पर उन्माद फैलाने वाली घटनाओं के बारे काफ़ी सुन रखा था कि उनमादी जुनून जब सर चढ़कर बोलता है तो सारी की सारी क़वायदें धरी की धरी रह जाती हैं.
मैं ईद मनाने के लिए बिहार के वैशाली जिले के करनेजी गाँव में ऑफिस से छुट्टी लेकर आया था. ईद मनाने के बाद मेरा अपनी 84 साल की बूढ़ी माँ को उनके घर यानि अपने ननिहाल बीमार मामा से मिलवाने का प्रोग्राम भी था. उसके मद्देनजर 28 जून 2017 को बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर से समस्तीपुर नेशनल हाईवे 28 टोल टैक्स बैरियर से लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर दूर मारकन इलाके में उनमादियों के जुनून का शिकार होते-होते बच गया.
मैं अपने 91 वर्षीय पिता कलामउददीन, 84 वर्षीय माता हसीना बेगम के साथ पत्नी तरन्नुम अतहर के साथ दो बच्चे मुस्तफ़ा अतहर और अली अतहर के साथ अपने ननिहाल रहीमाबाद जो समस्तीपुर में है, के लिए वैशाली जिले को करनेजी गाँव से कार से जा रहा था. मुज़फ़्फ़रपुर से समस्तीपुर नेशनल हाईवे 28 पर टोल टैक्स बैरियर पर टैक्स अदा करके एक-डेढ़ किलोमीटर ही चल पाया था कि देखा सड़क के एक किनारे दर्जनों ट्रकों के साथ अन्य वाहन सड़क के किनारे खड़े हैं. दूसरी तरफ ख़ाली जगह होने के कारण मेरी कार सरसराती आगे बढ़ गई.
थोड़ी ही दूर जाने के बाद देखा कि एक बड़ा ट्रक बीच सड़क में खड़ा है. मैंने उतरकर वहाँ मौजूद एक लड़के से पूछा कि रास्ता क्यों जाम है, उसने मेरी कार की तरफ देखते हुए कहा कि जल्दी कार वापस ले जाइये वरना लोग आग लगा देंगे. ये कौन लोग हैं, के जवाब में उस लड़के ने बताया कि आगे दंगा हो गया है, इस लफ़्ज़ के बाद दहशत में मैं भागकर गाड़ी में बैठकर कार वापस मोड़ने की कोशिश करने लगा कि तभी ट्रक की तरफ से लगभग 4-5 लोग लाठी डंडों से लैस कार की तरफ बढ़े. कार के अंदर बैठी मेरे माँ-बाप के साथ पत्नी पर नज़र डाली, चूँकि मेरे पिता जी दाढ़ी रखे हुए हैं और पत्नी नक़ाब पहनती हैं. लेकिन उस वक़्त कार में नक़ाब उसके पास रखा था, को देखते हुए जय श्रीराम की नारे बाज़ी शुरू हो गई.
वह लोग लाठियां सड़क पर पटक रहे थे, जब तक समझ पाता दो लोगों ने कार के शीशे के पास आकर कहा, बोलो जय श्रीराम वरना कार फूँक देंगे, मेरी नजर बीच रोड पर खड़ी ट्रक के दूसरी तरफ से काले धुएं को उठते देखकर और दहशतज़दा हो गई. वैसे मैं सभी मज़हबों का बहुत सम्मान करता हूँ. मैं दिल से राम जी का सम्मान भी करता हूँ. उनकी जय करने में मुझे कोई ऐतराज़ भी नहीं होता, लेकिन जिस दहशत में वह मुझे जय श्री राम कहलाना चाहते थे मुझे अच्छा नहीं लगा. लेकिन, दहशत में मुझे जय श्री राम कहकर अपने परिवार को बचाकर वापस भागकर जान बचानी पड़ी. तेज़ी के साथ कार लौटाकर थोड़ी दूर खड़ी कर ट्विटर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को टैग करते हुए ट्वीट किया. उसके बाद राजद के समस्तीपुर से विघायक और प्रवक्ता अखतरूल इस्लाम शाहीन और जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार और राजद विधायक अखतरूल इस्लाम शाहीन को फोन करके मामले की जानकारी दी तथा अनुरोध किया कि तत्काल मामले में पुलिस मुस्तैदी के साथ सक्रिय हो ताकि कोई अप्रिय घटना ना घटे, किसी को नुक़सान ना हो.
चूंकि मेरा ये सफर मां को उनके बीमार भाई यानि मामा से मिलवाने के लिए था, लिहाजा मैं बैरियर के पास से दूसरे रास्ते से ननिहाल के लिए निकल पड़ा, काफ़ी फ़ासला तय करने के बाद मैं ननिहाल रहीमाबाद पहुँचा. उसी शाम मुझे वापस वैशाली लौटना भी था लिहाज़ा मिलने के बाद रात 8 बजे मैंने फिर राजद के समस्तीपुर के विधायक अखतरूल इस्लाम शाहीन को फोन लगाकर उस रास्ते की जानकारी चाही. थोड़ी देर बाद उन्होंने फोन करके बताया कि रोड तो चालू है लेकिन इलाके में तनाव है. मेरी हिम्मत नहीं हुई कि मैं परिवार को लेकर उसी रास्ते से वैशाली जाऊं.
लिहाज़ा मैंने अपना प्रोग्राम कैंसिल करके शाहपुर बधौनी इलाके के मुजीब साहब के घर रात बिताई. इस दौरान पता चला कि हादसे वाला इलाक़ा पिछले 2-3 दिन से साम्प्रदायिक तनाव की जद में है, लेकिन अमन पसंद लोगों की पहल से इलाके को अमन की पटरी पर लाने की कोशिश जारी थी. अब सवाल ये है कि इलाके की पुलिस भी अमन-ओ-शान्ति को लाने के लिए सक्रिय थी तो फिर आखिर अचानक नेशनल हाई वे को रोककर जाम लगाने की ख़बर लोकल पुलिस तक क्यों नहीं पहुँची, और जाम क्यों लगा. महागठबंधन की सरकार के कार्य की सक्रियता पर भी सवाल ज़हन में बार बार आ रहा था.
बहरहाल तमाम सवालों को संजोये हुए हम परिवार के साथ 29 जून की सुबह वैशाली के लिए नेशनल हाई वे 28 से ही रवाना हुए. रास्ता बिलकुल साफ़ था, मैं कार से मुज़फ़्फ़रपुर होते हुए वैशाली पहुँच गया. पता चला कि मेरे द्वारा फ़ेसबुक पर डाली गई मामले की जानकारी पर सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर आलोचना हुई तथा मीडिया ने इस विषय को उठाया. मामले की गम्भीरता को देखते हुए बिहार सरकार सक्रिय हो उठी. हमारे पटना ब्यूरो प्रमुख मनीष कुमार से बिहार सरकार के प्रिंसिपल सेक्रेटरी चंचल कुमार से बात हुई उन्होंने हमसे बात कर पूरे मामले को समझना चाहा. मनीष दवारा चंचल कुमार के भेजे गए नम्बर पर मैंने बात की. बातचीत से साफ़ गम्भीरता झलक रही थी. उन्होंने बताया कि मुज़फ़्फ़रपुर और समस्तीपुर दोनों जिलो के वरिष्ठ प्रशासनिक अघिकारी घटनास्थल पर पहुँच चुके हैं.
उन्होंने कहा, मामला इस घटना से पहले दो सम्प्रदाय में आपसी तनाव का था जो स्थानीय लोगों ने मिलकर सुलझा लिया था, लेकिन उस दिन कुछ बाहरी असामाजिक तत्वों के कारण अचानक मामला भड़का जिसका आप शिकार हुए. चंचल ने कहा कि अगर आप मामले को पुलिस मे दर्ज कराएंगे तो बेहतर होगा. इसके जवाब में मैंने कहा कि ये मामला कुछ नासमझ और मजहब से भटके लोगों की नादानी का है इसलिए मैंने शुरू से किसी पर कार्यवाही के लिए मन नहीं बनाया. इसलिए मैंने फ़ेसबुक पर इस हादसे पर कार्यवाही के लिए नहीं लिखा था. उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अमले को निर्देशित किया गया है कि तत्काल कठोर क़दम उठाएं. उनके निर्देश का असर ही था कि मुज़फ़्फ़रपुर पुलिस एसएसपी विवेक ने मुझे फोन किया और कहा कि आप अगर चाहते हैं तो पुलिस में अपना बयान दर्ज कराएं. हम पूरी तरह आपको सहयोग करेंगे.
मामला दर्ज कराये जाने को लेकर कई गम्भीर आशंकाएं मेरे ज़हन में लगातार घूम रही हैं. सबसे बड़ी आशंका ये कि मैं सपरिवार दिल्ली में रहता हूँ और मीडिया संस्था में काम करता हूं तथा परिवार में छोटे बेटे अली अतहर जो स्पेशल चाइलड होने की वजह से अहम जिम्मेदारी में वक़्त की मेरे पास बहुत तंगी है. लिहाज़ा पुलिस में बयान दर्ज कराये जाने के बाद मामले की तफ़तीश के लिए मुझे दिल्ली से बिहार कई बार आना ही पड़ेगा, जो मेरी लिए मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है. बहरहाल आज, 3 जुलाई को मुज़फ़्फ़रपुर एसएसपी विवेक से फोन कर अपने पक्ष में अपनी परेशानियों को बताते हुए मैंने कहा कि मैं इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं चाहता क्योंकि ऐसे मजहब से भटके लोगों को इस नादानी के लिए मैं और मेरा परिवार माफ़ करता है और दुआ करता हूँ कि ऐसे लोग मजहब को क़रीब से जानें, तभी उनका कल्याण होगा.
लेकिन, मैं आज भी इस बात पर क़ायम हूँ कि राम जैसी महान शख़्सियत के नाम किसी को नुक़सान पहुँचाकर कुछ भला नहीं होने वाला है. अललामा इक़बाल ने क्या खूब कहा -
है राम के वजूद पे हिन्दोस्तान को नाज
अहले नज़र समझते हैं उनको इमाम-ए- हिन्द
एजाज़-ए- चिराग़-ए- हिदायत का है यही
तलवार का घनी था, सुजात मे फ़रद था,
पाकिजगी मे, जोश-ए- मोहब्बत मे फरद था.
(एम अतहरउद्दीन मुन्ने भारती एनडीटीवी में गेस्ट कोऑर्डिनेटर हैं)
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।
This Article is From Jul 03, 2017
बिहार : ...जब उन्मादी भीड़ के सामने बेबस हो गया पत्रकार और परिवार
M Athar Uddin Munne Bharti
- ब्लॉग,
-
Updated:जुलाई 03, 2017 13:35 pm IST
-
Published On जुलाई 03, 2017 12:12 pm IST
-
Last Updated On जुलाई 03, 2017 13:35 pm IST
-
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं