बाबा की कलम से : राजीव महर्षि की नियुक्ति - सत्ता के इस खेल का विजेता कौन...?

बाबा की कलम से : राजीव महर्षि की नियुक्ति - सत्ता के इस खेल का विजेता कौन...?

अरुण जेटली और राजनाथ सिंह की फाइल तस्वीर

नई दिल्ली:

सत्ता के गलियारे में पर्दे के पीछे अधिकारियों को लेकर जो खेल खेला जा रहा है, वह किसी भी राजनैतिक दांव-पेंच को मात दे रहा है। राजनीति में उठा-पटक का यह खेल तो खूब देखा जाता है, मगर अधिकारियों को लेकर ऐसा खेल कम ही होता है। सत्ता के केन्द्र नार्थ ब्लाक और साउथ ब्लॉक में हलचल मची हुई है, साउथ ब्लॉक में प्रधानमंत्री कार्यालय है, जहां से सब कुछ तय होता है - खासकर देश की नीतियां, मगर यह प्रधानमंत्री पर निर्भर करता है कि वह साउथ ब्लॉक से क्या-क्या कंट्रोल करना चाहते हैं।

साउथ ब्लॉक के एक हिस्से में विदेश मंत्रालय है, जिस पर सभी प्रधानमंत्री अपना नियंत्रण रखते आए हैं। यह सिलसिला नेहरू के समय से ही रहा है, चाहे विदेशमंत्री कोई भी हो। साउथ ब्लॉक के दूसरे छोर पर रक्षा मंत्रालय है, जिस पर भी प्रधानमंत्री का नियंत्रण जग जाहिर है... सामने नार्थ ब्लॉक है, जिसके एक सिरे पर वित्त मंत्रालय है, दूसरे पर गृह मंत्रालय। अभी तक की सरकारों में वित्तमंत्री और गृहमंत्री अपनी छाप छोड़ते रहे हैं, जिनमें सरदार पटेल से लेकर आडवाणी तक शामिल हैं। वहीं वित्तमंत्री के रूप में रहे अधिकतर नेता प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हैं या अपनी नीतियों से देश की अर्थव्यवस्था पर छाप छोड़ते रहे हैं।

इस बार का मामला भी वित्त और गृह मंत्रालय से ही जुड़ा है। पिछले 15 महीनों में गृहमंत्री को तीसरा गृह सचिव मिला है। गृह सचिव एलसी गोयल ने अपने सात महीने के कार्यकाल के बाद रिटायरमेंट ले लिया और उनकी जगह फाइनेंस सेक्रेट्री राजीव महर्षि को गृह सचिव बनाया गया, वह भी उस वक्त, जब उनके रिटायर होने पर वित्त मंत्रालय में फेयरवेल पार्टी की तैयारी हो रही थी। राजीव महर्षि उसे छोड़कर फौरन गृह मंत्रालय भागे गृह सचिव का पद संभालने। महर्षि को ब्यूरोक्रेटिक सर्किल में वित्तमंत्री अरुण जेटली का भरोसेमंद माना जाता है। सत्ता के गलियारे में जो खुसर-फुसर चल रही है, यदि उसे मानें तो क्या प्रधानमंत्री कार्यालय वित्त और गृह मंत्रालयों पर अपनी पकड़ और मजबूत बनाना चाहता है। बताया तो यह भी जा रहा है कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह को इसकी जानकारी नहीं थी।

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इस पूरे फेरबदल में अरुण जेटली विजेता बनकर उभरे हैं। वही राजीव महर्षि को राजस्थान से लेकर आए थे। गोयल को गृह सचिव के पद से हटाने के पीछे भी वित्त मंत्रालय से टकराव ही है। वित्त मंत्रालय सन टीवी मामले में सिक्योरिटी क्लियरेंस को लेकर गृह मंत्रालय से नाराज था... बाद में दिल्ली हाईकोर्ट में सन एफएम को नीलामी में हिस्सा लेने की इजाज़त दी गई तो सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इसे सही ठहराया था। यह मंत्रालय भी जेटली जी के पास है। कहा जाता है कि पीएमओ तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ का लाइसेंस जल्दी कैंसिल न किए जाने से गृह मंत्रालय से नाराज चल रहा था, और साथ ही गृह मंत्रालय नागा समझौते में उसे अंधेरे में रखने पर पीएमओ से नाराज था। यह भी कहा जा रहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के दखल से भी गृह मंत्रालय परेशान था। कुल मिलाकर नए गृह सचिव की नियुक्ति से सत्ता के गलियारे में यह संदेश गया है कि पीएमओ की सब अधिकारियों पर नजर है, और वही तय करेगा कि किसे कहां भेजा जाएगा... दूसरा यह कि राजनाथ सिंह का राजनैतिक कद छोटा हुआ है और वित्तमंत्री अरुण जेटली अभी भी प्रधानमंत्री के सबसे नजदीक हैं और उनके लिए दिल्ली में आंख और कान बने हुए हैं। जेटली जी का पूरे नार्थ ब्लॉक के एक हिस्से से लेकर दूसरे हिस्से तक दबदबा कायम हो गया है... अधिकारियों के लिए संदेश है कि आपकी कुर्सी कभी भी बदल सकती है, ऐसा फाइनेंस सेक्रेट्री अरविंद मायाराम, विदेश सचिव सुजाता सिंह, दो गृह सचिवों अनिल गोस्वामी और एलसी गोयल के साथ हो चुका है... सेक्रेट्री स्तर के अधिकारियों की बदली का तो कोई हिसाब ही नहीं हैं।