स्कूल के दिनों में मैथ्स सब्जेक्ट से मेरा नाता ऐसा था, जैसा ललित मोदी का श्रीनिवासन से है... बिलकुल टॉम और जेरी जैसा। न मैंने मैथ्स को कभी भाव दिया और न मैथ्स ने कभी मुझे मोल, यानि अंक दिए। मैट्रिक तक आते-आते हालत ऐसी हो गई कि हमने एक दूसरे को देखना तक बंद कर दिया। नतीजा यह हुआ कि मिड-टर्म एग्ज़ाम में मुझे मैथ्स में 100 में से 32 अंक मिले। बिलकुल बॉर्डर पर पहुंचकर शहीद हुआ।
स्कूल के नियमों के मुताबिक रिपोर्ट कार्ड पर पेरेंट्स के सिग्नेचर करवाने ज़रूरी होते थे, सो, 32 नंबर दिखाकर पिता जी से खुशी-खुशी सिग्नेचर तो मिलने नहीं थे, लेकिन हां, घूमने-फिरने पर, और दूरदर्शन के दिनों में चित्रहार और हफ्ते में सिर्फ दो बार आने वाली फ़िल्मों पर बैन ज़रूर लग जाता। शातिर दिमाग की बदौलत 32 को 82 बनाकर पिता जी का खूब प्यार तो लिया ही, पॉकेट मनी में भी बढ़ोतरी करवा ली।
आज शिक्षा राज्यमंत्री रामशंकर कठेरिया के अंकों के जालसाज़ी विवाद ने बरसों पुरानी यादों को ताज़ा कर दिया। पहले शिक्षामंत्री स्मृति ईरानी डिग्री विवाद में घिरी थीं, आज उनके जूनियर पर आरोप लगे हैं कि उनकी ग्रेजुएशन की मार्कशीट नकली है। वर्ष 2010 में उनके विरोधी बसपा उम्मीदवार ने उनके खिलाफ जालसाजी और बेईमानी की शिकायत दर्ज करवाई थी, और आरोप लगाया था कि कठेरिया ने अपनी बीए सेकंड ईयर और एमए फाइनल की मार्कशीट में जालसाजी की, ताकि आगरा विश्वविद्यालय में लेक्चरर की नौकरी मिल सके। कठेरिया ने एनडीटीवी से कहा कि उनके खिलाफ जालसाजी का यह मामला राजनीतिक रूप से प्रेरित था। उन्होंने उम्मीद जताई कि वह बेदाग होकर सामने आएंगे। हाईकोर्ट ने मामले को आगरा स्थित सेशन कोर्ट के पास भेज दिया है, जिसकी सुनवाई 26 नवंबर को होगी।
एनडीटीवी के पास कोर्ट में पेश की गई मार्कशीट की प्रतियां हैं, जिन्हें फर्जी बताया जा रहा है, और आरोप है कि जालसाजी एक बार नहीं, दो बार की गई। एमए फाइनल की मार्कशीट में बताया गया कि साहित्यिक लेखन के सिद्धांतों विषय में उन्हें 38 नंबर मिले था, लेकिन उनकी कथित नकली मार्कशीट 72 नंबर बता रही है। बीए सेकंड ईयर की मार्कशीट भी फर्जी बताई जा रही है, क्योंकि हिन्दी साहित्य में जहां उन्हें 43 नंबर मिले थे, वहीं फर्जी बताई जा रही मार्कशीट में 53 नंबर दर्ज थे। साथ ही इसी तरह अंग्रेज़ी में भी फर्जी मार्कशीट में 52 नंबर मिले दिखाए गए हैं, जबकि बताया गया कि उन्हें वास्तव में 42 नंबर मिले थे।
कठेरिया आगरा से बीजेपी के संसद हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स का कहना है कि वे 21 मामलों में नामजद हैं। कठेरिया पर दर्ज कई मामले गंभीर किस्म के हैं। हालांकि वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कठेरिया के खिलाफ इस आरोप को खारिज कर दिया और कहा कि राज्य में प्रत्येक भाजपा कार्यकर्ता के खिलाफ एक आपराधिक मामला है, जो अखिलेख यादव सरकार ने दर्ज कराया है।
आज पता चला कि इस दुनिया में मैं ही अकेला शातिर नहीं हूं। मुझ सेर का भी कोई सवा सेर है। मेरी तो सिर्फ पॉकेट मनी बढ़ी थी, कठेरिया जी को तो मंत्री पद भी मिल गया है और वह भी शिक्षा राज्यमंत्री का। कहते हैं न, झूठ के पांव नहीं होते, ज़्यादा देर तक नहीं टिकता... बाद में सच्चाई पता चलने पर मुझे तो टीचर और पिता जी से पिटाई का डबल डोज़ मिला था, अब लगता है, शायद 'सवा सेर' की बारी है।