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This Article is From Dec 18, 2014

मनीष शर्मा की नज़र से : भारत की समझ से परे पाकिस्तान

Manish Sharma, Vivek Rastogi
  • Blogs,
  • Updated:
    दिसंबर 18, 2014 19:50 pm IST
    • Published On दिसंबर 18, 2014 19:47 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 18, 2014 19:50 pm IST

अपने पिछले लेख 'क्या अब संभलेगा पाकिस्तान...?' में मैंने ज़िक्र किया था कि आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान ने किस तरह दोगली नीति अपनाई हुई  है। किस तरह 'अच्छा आतंकवाद' और 'बुरा आतंकवाद' में फर्क कर रखा है। भारत में अशांति और अस्थिरता फैलाने वाले और जगह-जगह बम धमाके करके निर्दोष भारतीयों को मारने वाले आतंकवादियों को पाकिस्तान हमेशा से स्वंतत्रता सेनानी कहता आया है और उन्हें सरंक्षण देता रहा है। एक कड़वा सच यह भी है कि पाकिस्तान का अस्तित्व ही भारत विरोधी नीति के कारण बचा हुआ है, वरना यह कब का टूटकर बिखर जाता।

मंगलवार को पेशावर के स्कूल में हुए आत्मघाती आतंकवादी हमले के बाद दुनिया को लगा कि पाकिस्तान अब सुधर जाएगा। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने भी ऑल पार्टी मीटिंग में जब फैसला लिया कि अब पाकिस्तान अच्छे और बुरे तालिबान में फर्क नहीं करेगा और जब तक आखिरी आतंकवादी को खत्म नहीं कर देगा, चैन से नहीं बैठेगा, तो हर 'टीवी-निर्मित' डिफेंस एक्सपर्ट कहने लगा कि पाकिस्तान के नवाज़ शरीफ सही दिशा में कदम उठा रहे हैं, लेकिन जल्द ही उन एक्सपर्ट महानुभावों की गलतफहमी दूर हो गई। पाकिस्तान में आम लोगों को बताया जा रहा है कि ये हमले भारत ने करवाए हैं।

आज भारत के विश्वास को उस समय गहरा धक्का लगा, जब पाकिस्तान की एक कोर्ट ने मुंबई हमले के आरोपी और हाफिज सईद के दाहिने हाथ ज़की-उर-रहमान लखवी को जमानत पर रिहा कर दिया। दलील थी की लखवी के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं हैं। लखवी ने ही अजमल कसाब समेत नौ लोगों को ट्रेनिंग दिलवाई थी और उन्हें हथियार मुहैया करवाए थे और उन्हें समुद्र के रास्ते मुंबई पहुंचने में मदद की थी।

इससे पहले, वर्ष 2009 में लाहौर हाईकोर्ट ने हाफिज सईद पर लगे मुंबई हमले के सभी आरोप ख़ारिज कर उसे रिहा कर दिया था, और ध्यान रहे, यह वही हाफिज़ सईद है, जिसे पूरी दुनिया ने 'मोस्ट वॉन्टेड टेररिस्ट' घोषित कर रखा है, और जिस पर अमेरिका ने लगभग 60 करोड़ रुपये का इनाम रखा हुआ है। वह हाफिज सईद भी पाकिस्तान के लिए बेगुनाह है। बेचारा भारत डॉज़ियर पर डॉज़ियर भेजता रहा, लेकिन वे शायद पाकिस्तान की कोर्ट के लिए काफी नहीं था। उसी हाफिज़ सईद के भारत के खिलाफ प्रोपेगंडा करने के लिए पाकिस्तान सरकार स्पेशल ट्रेन चलाती है। और अब वही हाफिज सईद पेशावर हमले का दोष भारत पर मढ़ रहा है।

खैबर पख्तूनख्वाह के पेशावर इलाके में स्कूली हमले पर भारत ने कठोर शब्दों में निंदा की थी। यहां का हर एक व्यक्ति पाकिस्तान के पीड़ित माता-पिता  के दुःख में शरीक था। मेनस्ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया में भारतीयों ने हमले की भर्त्सना की, लेकिन पाकिस्तान में कुछ और ही नज़ारा है। वहां के ज़ैद हामिद जैसे बुद्धिजीवी इस हमले को लेकर भारत की खुफिया एजेंसी 'रॉ' पर शक जता रहे थे। हाफिज़ सईद बार-बार टीवी पर आकर भारत और भारत के प्रधानमंत्री को हमले का दोषी ठहरा रहा था, कह रहा था, "हुकूमत, फौज़ और अवाम सब इस बात पर इकट्ठा हो जाएं कि इन साजिशों से हमने बदला लेना है, और इंडिया, जो इस खेल का असल ज़िम्मेदार है, उससे बदला लेना है... हम पूरे तौर पर समझते हैं कि इन साज़िशों के पीछे इंडिया है... आज मगरमछ के आंसू बहाने वाला मोदी, नवाज़ शरीफ को फोन करने वाला, यह असल मुज़रिम है... इसके जुर्म को हमने पेश करना है..."

बेचारे तहरीक-ए-तालिबान वाले... हाफिज सईद जैसे जनता के रहनुमा उन्हें क्रेडिट ही नहीं दे रहे, सो, उन्होंने पहले एक प्रवक्ता से कहलवाया कि तालिबान ने यह हमला उत्तरी वजीरिस्तान में चल रहे फौजी ऑपरेशन 'ज़र्ब-ए-अज़्ब' के बदले में किया है, जिसमें 1,800 से ज़्यादा आतंकवादियों को पाकिस्तानी फौज ने मार गिराया, और फिर हारकर बेचारों ने बुधवार को हमला करने वालों की तस्वीरें भी रिलीज़ कर दीं।

हाफिज सईद इतना बड़ा आदमी नहीं है कि भारत उसे जवाब दे, लेकिन भारत में रहने वाले कुछ लोगों, जो पाकिस्तान से अमन की आशा रखते हैं, को लग रहा है कि पाकिस्तान में अब भारत को लेकर धारणा बदल रही है। अब वहां की जनता भारत के साथ है। सिर्फ सत्ता में बैठे लोग, आईएसआई, सेना और आतंकवादी संगठन ही भारत के खिलाफ हैं। भाई, बचा क्या है...? अगर जनता को भारत के करीब समझते हैं तो अगली लाइन आपके विचार बदलने के लिए काफी है।

51 फीसदी पाकिस्तानी जनता भारत को सबसे बड़ा खतरा समझती है। यह बात अमेरिका की पिउ रिसर्च सेंटर के मई, 2014 के सर्वे से पता चला है। 71 फीसदी पाकिस्तानियों की राय भारत के बारे में अच्छी नहीं है। सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात इस सर्वे से निकलकर सामने आई है कि खैबर पख्तूनख्वाह इलाके के 80 फीसदी लोग भारत को सबसे बड़ा खतरा मानते हैं। यह वही इलाका है, जहां मंगलवार को 150 से ज़्यादा स्कूली बच्चों की जान  ले ली गई। अब अगर हाफिज सईद वहां के लोगों को बता रहा है कि भारत इस हमले के पीछे है तो क्यों नहीं पेशावर के लोग भारत की सहानुभूति को ढोंग समझेंगे...?

भारत को अपना दुश्मन न समझने वाले कुछ ही पाकिस्तानी होंगे, जिन्हें अंगुलियों पर गिना जा सकता है। ये वे लोग होंगे, जिनके या तो पारिवारिक रिश्ते भारतीयों से जुड़े हैं या जिनके आर्थिक हित भारत से जुड़े हैं। पाकिस्तान के चारों प्रान्तों - पंजाब, सिंध, खैबर पख्तूनख्वाह और बलूचिस्तान - को अगर किसी एक बात ने जोड़ रखा है, तो वह है भारत-विरोधी नीति, वरना चारों प्रांतों में भाषा, विचारों और नेतृत्व को लेकर इतनी विभिन्नताएं हैं कि वे अब तक अलग हो चुके होते और पाकिस्तान चार छोटे-छोटे देशों में बंट चुका होता। भारत लाख चाहे, अपना पड़ोसी नहीं बदल सकता, और कहते हैं कि अगर  पडोसी अच्छा हो, तो आपके लिए यहीं स्वर्ग है, वरना आपका स्वर्गवासी बनना तय है।

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