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This Article is From Oct 10, 2019

जल जमाव के बाद बिहार की राजनीति में सुशील मोदी को लेकर इतने सवाल क्यों?

Manish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अक्टूबर 10, 2019 22:42 pm IST
    • Published On अक्टूबर 10, 2019 22:42 pm IST
    • Last Updated On अक्टूबर 10, 2019 22:42 pm IST

पटना शहर से जल जमाव की समस्या फ़िलहाल ख़त्म हो गई है. इस जल जमाव के यूं तो कई कारण रहे लेकिन वो चाहे भाजपा समर्थक हों या विरोधी, सब मानते हैं कि अगर एक व्यक्ति जिसकी लापरवाही का सबने ख़ामियाज़ा उठाया वो हैं सुशील मोदी. और राजधानी पटना की इस नरकीय स्थिति ने सबसे ज़्यादा नुक़सान किसी की व्यक्तिगत और राजनीतिक छवि को पहुंचाया है तो वो हैं बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी. सुशील मोदी ने पटना की हर समस्या में आम लोगों के साथ खड़े होकर अपनी व्यक्तिगत राजनीतिक छवि चमकाई और साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी को लगातार पिछली पांच विधानसभा चुनावों से हर सीट पर जीत दिलाई. उसी सुशील मोदी ने इस बार के पानी में, उनके समर्थकों के अनुसार सब कुछ खोया है.

सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर सुशील मोदी की क्या लापरवाही है? इसका जवाब है बिहार का जो नगर विकास विभाग है उसमें पानी को लेकर समीक्षा नियमित रूप से सुशील मोदी ही करते आए हैं. इसलिए अगर विभाग की किसी एजेंसी से चूक हुई या शहर की साफ़ सफ़ाई और रख रखाव के लिए ज़िम्मेदार लोग सतर्क नहीं थे, शिथिल थे तो सुशील मोदी अपनी इस ज़िम्मेदारी से भाग नहीं सकते हैं. जैसे कि जल जमाव के दौरान वे अपने इलाक़े के लोगों को छोड़कर खुद NDRF की नाव से अपने परिवार के लोगों के साथ निकल लिए. सुशील मोदी को भी अंदाज़ा है कि उनके इस वीडियो और तस्वीर ने उनकी एक ज़िम्मेदार राजनेता की राजनीतिक पूंजी को सबसे ज़्यादा नुक़सान पहुंचाया. उनकी पार्टी के नेता भी मानते हैं कि अगर दिन में ही उन्हें निकलना था और स्थिति बहुत ही मुश्किल वाली हो गई थी तो वे अपने परिवार वालों को पहले भेज देते, ख़ुद प्रभावित इलाक़े में कुछ घंटे स्थिति का जायज़ा लेते और शाम में मीडिया के कैमरे से दूर अपने इलाक़े को बाय-बाय कहते.

लेकिन आज आप उनके राजेंद्र नगर के घर के पास जाएंगे तो हर पड़ोसी जो उनकी तारीफ़ के पुल बांधता था वो अब उन्हें सबसे संवेदनहीन नेता की उपाधि से नवाज़ रहा है. इसके बाद भी वे अपना इलाक़ा हो या पटना के अन्य जल जमाव से प्रभावित इलाक़े, दौरा करने को शायद अपनी विफलता और जनता के आक्रोश से बचने के लिए जाने से बचें. जबकि इसी शहर में विपक्ष में रहते हुए वो लोगों की सुध लेने वाले पहले व्यक्ति होते थे जिन्होंने जल निकासी के लिए आमरण अनशन भी किया और लोग उन्हें भूला नहीं सकते. लेकिन उनके समर्थकों के अनुसार राजनीति में जैसा होता है सत्ता में व्यक्ति अहंकार में अति आत्मविश्वास का शिकार होता है और आज उनकी पार्टी हर दिन अधिकारियों के ख़िलाफ़ मांग कर रही है. जिसके साथ मोदी अब भी मतलब पानी के पहले और पानी के बाद भी समीक्षा बैठकें कर रहे हैं. स्मार्ट सिटी हो या नमामि गंगे सब पटना को डूबने से बचाने में फ़ेल रहे और इन सबको लेकर मोदी अपनी पीठ थपथपाते थे.

लेकिन इस बार की आपदा में मंत्री के रूप में उनकी क़ाबिलियत और कुशलता दोनों का अभाव उजागर हुआ. वहीं किसी त्रासदी में सरकार में बैठे दल किस हद तक अपनी ही सरकार को घेरने में किस हद तक जा सकते हैं, उसका नमूना भी देखने को मिला. बिहार में किसी त्रासदी में इससे पहले जब लाखों लोग फंसे हों उस समय ऐसा आपस में पानी-पानी करने का मीडिया में खेल नहीं देखा गया. इसकी अगुवाई सुशील मोदी जिस पार्टी के आख़िरी शब्द होते थे, उसने किया और वे मूक दर्शक बने रहे. हालांकि माना जाता है कि उनकी अपने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से बात करने के बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह शांत हुए. लेकिन इस पूरे प्रकरण से पार्टी पर उनकी पकड़ अब कितनी कमज़ोर हुई है वो साफ़ दिखा.

लेकिन जहां एक ओर सुशील मोदी राजनीतिक मोर्चे पर डैमेज कंट्रोल करने में लगे थे वहीं अपने शहर के लोगों की सुध लेने की जगह अपने परिवार के साथ बाहर जाना किसी को पचा नहीं. हालांकि हर साल दुर्गा पूजा और क्रिसमस के दौरान वे पटना से बाहर जाते हैं. लेकिन इस बार जब उनके शहर से पूरी तरीके से पानी निकला नहीं, लोग हर दिन एक नई समस्या का सामना कर रहे हैं, तब लोगों को छोड़कर परिवार को प्राथमिकता देकर ही सुशील मोदी ने अपनी छवि को और ख़राब किया. बचा खुचा असर दशहरा के दिन हो गया. बीजेपी के नेताओं ने पटना के गांधी मैदान के कार्यक्रम में भाग न लेकर केवल यह दिखाया कि वे कहीं भी राजनीति करने से बाज़ नहीं आते. बीजेपी के नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बायकॉट कर रहे थे और सुशील मोदी को इसकी जानकारी थी या नहीं थी, परिस्थितियों में संदेश तो यही जाता है कि सुशील मोदी की अब प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों पकड़ कमज़ोर होती जा रही है.

मनीष कुमार NDTV इंडिया में एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर हैं...

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