बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना के जलजमाव पर मंगलवार शाम को सवालों का सामना करते-करते अपना आपा खो बैठे. उन्होंने मीडिया को नसीहत देते हुए कहा कि जब मुंबई और अमेरिका जैसे जगहों पर जलजमाव होता हैं तो मीडिया की आक्रामकता को क्या हो जाता हैं? हालांकि, नीतीश कुमार आवेश में यह भूल गये कि मुंबई में या किसी और शहर में जब बारिश होती हैं तो उससे निपटने के लिए वहां की सरकार मानसून पूर्व तैयारी करती हैं. जबकि राजधानी पटना में उनके यह देखने को मिला कि पानी निकालने के अधिकत्तर पंप या तो अपनी क्षमता से कम काम कर रहे थे या फिर वे बंद पड़े थे. नीतीश कुमार ने मीडिया से जलवायु परिवर्तन पर जनजागरण करने की अपील की.
इस बात में कोई विवाद नहीं हैं कि जलजमाव के बहाने चमकी बुखार की तरह नीतीश कुमार को मीडिया का एक तबका जिसकी भक्ति उनके सहयोगी भाजपा सरकारों और नेताओं के लिए जगज़ाहिर हैं के निशाने पर वो एक बार फिर हैं. नीतीश सरकार ने पटना के टाउन प्लानिंग की अपने शासन काल में जमकर उपेक्षा की इस बात पर कोई दो मत नहीं हैं. इसका खामियाजा पटना के लोगों को उठाना पड़ रहा है. लेकिन यह भी सच है कि जिस नगर विकास विभाग, नगर निगम या अन्य संस्थाओं ( जिनका जिम्मेदारी राजधानी पटना का विकास करना है) के बॉस भाजपा के लोग रहे. खासकर उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी. पटना में सभी विधायक भाजपा के हैं.
ब्लॉग: पटना में जलजमाव के लिए जिम्मेदार कौन?
लेकिन जब से पटना में जलजमाव हुआ है, नीतीश कुमार ने हर दिन घंटों बैठकें की. राहत और बचाव कार्य जमकर चलाया. लेकिन यह भी सच हैं कि उन्होंने जो भी हुआ और जो हो रहा हैं उसके बारे में मीडिया से बात करने की जरूरत नहीं समझी. वरिष्ठ पत्रकारों का मानना है कि ऐसे में मीडिया खासकर गोदी मीडिया के लिए उन्हें विलेन बनाना और आसान हो गया. इसलिए नीतीश कुमार ने खुद से अपने ऊपर हमले को आमंत्रण दिया.
फिलहाल नीतीश कुमार के समर्थक भी मान रहे हैं कि उनके नेता को जलजमाव के बहाने दो सबक जरूर मिले हैं. एक आप किसी विभाग की उपेक्षा करनें या अपने सहयोगी के भरोसे छोड़ेंगे तो जब भी जलजमाव जैसी समस्या होगी, तब आप जनता और मीडिया दोनों के निशाने पर रहेंगे. 'मुंबई में जलजमाव होता हैं तो...' जैसे तर्क काम नहीं करने वाले. क्योंकि मुंबई में जल निकासी भी उतनी तेजी से होती हैं. उनकी पार्टी के प्रवक्ता संजय सिंह भी मानते हैं कि नीतीश कुमार पर मीडिया में हमला एक सुनियोजित तरीके से उनके विरोधी नहीं बल्कि सहयोगी भाजपा के इशारे पर हर बार होगा. क्योंकि जो चैनल उनके पीछे हाथ धोकर पड़े हैं, उनका अपना ट्रैक रिकॉर्ड तो यही बताता है कि बात जब भाजपा सरकारों की होती हैं तो उन्हें सांप सूंघ जाता है.
मनीष कुमार NDTV इंडिया में एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर हैं...
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) :इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.