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This Article is From Oct 02, 2019

सभी को रास आ रहा है राजनाथ सिंह का बदला हुआ 'शिकारी' स्वरूप

Swati Chaturvedi
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अक्टूबर 02, 2019 16:19 pm IST
    • Published On अक्टूबर 02, 2019 16:19 pm IST
    • Last Updated On अक्टूबर 02, 2019 16:19 pm IST

केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने खुद को नरेंद्र मोदी सरकार में 'सर्वश्रेष्ठ शिकारी' के रूप में ढाल लिया है. वह नपे-तुले अंतराल पर पाकिस्तान के खिलाफ आग उगलते, उसे चेताते सुनाई देते हैं. कभी वह पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) को लेकर दावा करते हैं, कभी वह चेतावनी देते सुनाई देते हैं कि भारत परमाणु हथियारों के 'पहले इस्तेमाल नहीं' की नीति से बंधा हुआ नहीं है.

अभी 24 घंटे पहले ही उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को जल्द ही अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद-विरोधी इकाई FATF द्वारा ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है; छह दिन पहले, राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को उसके टुकड़े होने और 1971 में बांग्लादेश के गठन की याद दिलाते हुए 'सुधर जाने' की चेतावनी दी थी; एक सप्ताह पहले, अपनी एक पुरानी घोषणा को दोहराया था कि 'पाकिस्तान से भविष्य में सिर्फ PoK को लेकर बात होगी, जम्मू एवं कश्मीर को लेकर नहीं...'

राजनाथ सिंह का इस शिकारी स्वरूप में आ जाना अचानक नहीं हुआ है. वह नरेंद्र मोदी की पहली सरकार में भी मज़बूत, शांत तथा सक्षम गृहमंत्री थे, और इस अलिखित नियम को ध्यान में रखकर शांत बने रहते थे कि मोदी के मंत्रियों का दिखना ज़रूरी है, सुनाई देना नहीं. इस बार, नॉर्थ ब्लॉक (गृह मंत्रालय) से साउथ ब्लॉक (रक्षा मंत्रालय) पहुंच जाने ने उन्हें बदल डाला है. दो हफ्ते पहले ही वह स्वदेश-निर्मित हल्के लड़ाकू विमान 'तेजस' में उड़ान भरकर आए, और उस दौरान उन्होंने अपनी पसंदीदा पोशाक धोती-कुर्ता छोड़कर कम्प्रेशन सूट पहना था.

PM नरेंद्र मोदी ने राजनाथ सिंह से पाकिस्तान के खिलाफ भारत के चौतरफा हमले में शीर्ष भूमिका अदा करने के लिए कहा, क्योंकि इससे दो लाभ हैं. इससे उनके प्रधान नेता नरेंद्र मोदी को सबसे ज़्यादा आक्रामक दिखने से बचाया जा सकता है, और एक वैश्विक नेता के रूप में उन्हें भारत-पाकिस्तान के मुद्दे से ऊपर उठ चुका दिखाना सहज हो जाता है. इससे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को नीचा दिखाना भी बेहद आसान हो जाता है कि मोदी तो उनके बयानों पर प्रतिक्रिया तक नहीं देते, और इमरान के ढेर उकसावों के बावजूद यह काम अपने मंत्रियों के ज़िम्मे छोड़ दिया करते हैं.

घुटे हुए राजनेता और RSS के करीबी राजनाथ सिंह ने भी इस अवसर को लपका, ताकि वह खुद को संघ तथा BJP के आधार का प्रिय बना सकें, जिनके लिए पाकिस्तान पर हमले बोलना हमेशा से पसंदीदा काम है. सो, जब नरेंद्र मोदी खुद को ग्लोबल गेटकीपर की भूमिका में ढाल रहे हैं, वहीं गृहमंत्री अमित शाह कश्मीर और असम को लेकर सख्त रुख अपनाते हैं, और सीमापार की लड़ाई की ज़िम्मेदारी राजनाथ सिंह ने संभाल ली है.

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दो बार अध्यक्ष रह चुके राजनाथ सिंह ने पहले खुद को किसान नेता (ऊपर धोती का ज़िक्र भी किया गया है) के रूप में स्थापित किया था और अपने भाषणों को अपने राजनैतिक आदर्श भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तर्ज पर ढालते थे. दरअसल, मैंने एक टेलीविज़न इंटरव्यू के दौरान उनसे पूछा था कि क्या वह अपने हावभाव का श्रेय अटल-जी को देते हैं, तो वह हंस दिए थे और कहा था कि दोनों ही उत्तर प्रदेश से हैं, और पूर्व प्रधानमंत्री उनके आदर्श रहे हैं.

राजनाथ सिंह के करीबी सूत्रों का कहना है कि वह रक्षामंत्री के रूप में पहले से कहीं ज़्यादा ताकतवर कार्यकाल से बेहद खुश हैं. सूत्रों ने कहा, "माननीय के विचार हमेशा से ऐसे ही थे, बस, अब वह उन्हें सार्वजनिक रूप से व्यक्त कर सकते हैं..." हालांकि पूरी तरह ऐसा नहीं है, क्योंकि अब 'शिकारी मोड' में नज़र आने लगे राजनाथ ने पहले कभी खुद को शांतिदूत के रूप में भी पेश किया था और कश्मीर में इंसानियत के अटल-जी के वादे' की बात करते थे.

लेकिन वह तब की बात है. नए 'शिकारी राजनाथ सिंह' से संघ परिवार खुश है. इस रुख को अपना लेने से राजनाथ को भी खुद को BJP के लुटियन नेतृत्व से अलग दिखाने का अवसर हासिल हुआ है. राजनाथ को स्वर्गीय अरुण जेटली तथा स्वर्गीय सुषमा स्वराज के साथ तिकड़ी का सदस्य माना जाता था. अब वह उस सांचे से बाहर निकल आए हैं, और मोदी-शाह की जोड़ी से करीब से जुड़े नज़र आने लगे हैं. यह पार्टी और सरकार के भीतर लगाई गई बड़ी छलांग है. इसका अर्थ यह हुआ कि वह पाकिस्तान का संतुलन डिगाने के लिए इस तरह की चेतावनियां जारी करते रहेंगे.

स्वाति चतुर्वेदी लेखिका तथा पत्रकार हैं, जो 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द स्टेट्समैन' तथा 'द हिन्दुस्तान टाइम्स' के साथ काम कर चुकी हैं...

 
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