मैं 16 अगस्त की शाम चीन के उइघर मुस्लिमों के सबसे बड़ी आबादी वाले प्रदेश उइघर ऑटोनोमस प्रोवंस की राजधानी उरमुची शहर पहुंची. यह खुद चीन की सरकार के आमंत्रण पर था. मकसद था पश्चिमी मीडिया में उइघरों के बारे में चीन की दमनकारी नीतियों की 'सच्चाई' दिखाना. मैं भी लगातार इस तरह की खबरें देख-सुन और पढ़ रही थी. मन में कई सवाल थे और खुद पड़ताल करने की इच्छा.
हमारे जैसे ही वहां कई और देशों के पत्रकार बुलाए गए थे. अल्बानिया की यूनिवर्सिटी में धर्म पढ़ाने और अपना वीडियो ब्लॉग चलाने वाले ओल्सी, जेनेवा में तुर्की न्यूज एजेंसी के लिए यूएन कवर करने वाले बैरम से लेकर जापानी, चेक, सउदी, अफगानिस्तान, यूएई, स्वीडन, रूस, किर्गिस्तान, कज़ाकिस्तान और दक्षिण कोरिया से लेकर भारत से मैं और PTI के पत्रकार प्रशांत नेवरेकर वहां पहुंचे. पश्चिमी मीडिया का कोई पत्रकार इस ग्रुप में शामिल नहीं था.
पहले तीन दिनों तक, दिन का पहला हिस्सा लेक्चर का रहा. प्रांत के कुछ अधिकारी और एकैडमिक चीन में उइघरों के इतिहास, वहां पर आतंकवाद, इस प्रांत की आर्थिक उपलब्धियां और संभावनाएं, सिल्क रूट और किस तरह चीन में आतंकवाद, अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का हिस्सा है, ये सब बताते रहे. मुख्य तौर पर इनका मकसद मुझे यह समझाने का लगा कि शिनजियांग प्रांत भयंकर आतंकवाद से ग्रस्त है जो कार्रवाई उइघर मुस्लिमों पर चीन में हुई है वो न सिर्फ चीन के बल्कि दुनिया भर के हित में है. हां, इन लेक्चर में आतंकवादियों को एक अलग नाम से कई बार बुलाया गया- शैतानी ताकत!
पहले दिन के लेक्चर के बाद पत्रकारों को उरमुची के म्यूज़ियम ले जाया गया. चीन की धरोहरों के साथ उइगरों और दूसरी अल्पसंख्यक संस्कृति की कुछ तस्वीरें दिखाई गईं. अगला पड़ाव था एक एग्ज़ीबीशन. यह खास एग्ज़िबीशन आम लोगों के लिए नहीं है. यहां हमारे जैसे शिनजियांग पहुंचे पत्रकार और चीनी अधिकारी ही लाए जाते हैं. इस जगह पर शिनजियांग प्रांत में हुए आतंकी हमलों की तस्वीरें, तारीखें, जब्त किए हथियारों का बड़ा ज़खीरा है.
मैंने वॉशिंगटन के न्यूज़ियम में FBI वाला हिस्सा भी देखा है जहां अमेरिका में हुए आतंकी हमले और उनकी जांच से जुड़े सामान रखे हैं. लेकिन उरमुची की यह एग्ज़िबीशन अलग है. जहां वॉशिंगटन में आप एक भी ऐसी तस्वीर नहीं देखेंगे जिसमें इंसानी शरीर के चिथड़े उड़े हुए हों, बुरी तरह घायल-लहूलुहान हो, उरमुची में ये सब कुछ है. यह कंपाने, परेशान करने वाली तस्वीरें हैं. करीब 47 ऐसे हमलों की तस्वीरें यहां पर हैं. सड़कों पर धारदार हथियारों से हमलों के कुछ CCTV फुटेज भी हैं.
अधिकारियों के मुताबिक ऐसे कई और हमले हुए हैं. इनका सीधा मकसद हमलों की भयावहता बयान करना है. लेकिन आज जब दुनिया के किसी भी कोने की तस्वीर हर उस शख्स के पास उपलब्ध है जिसके पास इंटरनेट है, तब इन तस्वीरों को ऐसे पेश करने का मतलब आखिर क्या हो सकता है. शायद इन सबका मतलब उन वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर को एक कंटेक्स्ट देना था जिन्हें दुनिया concentration Camp बता रही है.
इन पहले दिनों में सभी पत्रकारों को उस इस्लामिक ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट भी ले जाया गया जहां उइघर इमामों को सरकारी खर्चे पर ट्रेनिंग, रहने की सुविधा और मासिक भत्ता दिया जाता है. प्रिंसिपल सरकार की तारीफों के पुल बांधते हैं.
हम उरुमची के सांस्कृतिक केंद्र भी गए जहां पर पारंपरिक उइघर नृत्य संगीत की एक झलक मिली...लेकिन ये सब उस कहानी का पर्दा हैं जो चीन के 'वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर' में बन रही है.
जारी...
(कादम्बिनी शर्मा NDTV इंडिया में एंकर और एडिटर (फॉरेन अफेयर्स) हैं...)
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