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This Article is From Oct 01, 2020

अमेरिकी प्रेसिडेंशियल डिबेट क्यों हैं खास..

Kadambini Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अक्टूबर 01, 2020 18:58 pm IST
    • Published On अक्टूबर 01, 2020 18:58 pm IST
    • Last Updated On अक्टूबर 01, 2020 18:58 pm IST

अमेरिका जल्द ही अपना अगला राष्ट्रपति चुनने वाला है और वहां की एक परंपरा, जिस पर सबकी निगाह  रहती है वह है प्रेसिडेंशियल डिबेट यानी राष्ट्रपति पद के दो उम्मीदवारों के बीच वाद-विवाद (Debate). ये डिबेट किसी कानून के तहत नहीं होता बल्कि 1976 में शुरू हुई एक परंपरा है. यूनिवर्सिटी ऑफ मिसोरी के कम्युनिकेशंस के प्रोफेसर मिचेल एस मैककिनी बताते है कि असल में ऐसी पहली डिबेट 1960 में रिचर्ड निक्सन और जॉन केनेडी के बीच हुई थी. बाद में निक्सन चुनाव हार गए थे और उन्हें लगा था कि केनेडी के साथ खड़े होकर डिबेट करने के कारण उनकी हार हुई. उन्होंने 1968, 1972 में डिबेट से इंकार कर दिया. असल में ठीक से इस डिबेट की परंपरा 1976 में ही शुरू हुई. हमने 29 सितंबर 2020 को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके प्रतिद्वंदी जो बाइडेन के बीच पहला डिबेट देखा. इसके पहले ही अमेरिका के कई राज्यों में हिंसा हुई है. जानकारों के मुताबिक राष्ट्रपति ट्रंप के बयानों ने, उनके ट्वीट्स ने लोगों को बांटने का काम ज्यादा किया है और लोगों ने पहले ही तय कर रखा है कि वो अपना वोट रिपब्लिकन्स को देंगे या डेमोक्रैट्स को. फिर भी इन परंपरागत डिबेट्स को बड़ी संख्या में लोगों ने देखा है तो सवाल उठता है कि क्या निक्सन सही थे? क्या सच में राष्ट्रपति पद को दोनों उम्मीदवारों के बीच डिबेट से वोटर अपनी राय बदलते हैं?

प्रोफेसर मिचेल एस मैककिनी कहते हैं कि उनकी यूनिवर्सिटी की एक स्टडी के मुताबिक, जिन डिबेट में 90 फीसदी तक भी वोटर आते हैं, उनमें महज़ पांच फीसदी वोटर ही ऐसे होते हैं जिन्होंने पहले ही यह फैसला न किया हो कि किसे वोट देना है? इन पांच में से भी सिर्फ 2-3 फीसदी ऐसे हैं जो डिबेट के आधार पर ये निर्णय करते हैं कि वोट किसे देना है? फिर ऐसे डिबेट का मतलब क्या है...हमने जो ट्रंप-बाइडेन का पहला डिबेट देखा उसके बारे में लगातार बात हो रही है. उसकी तुलना पहले के डिबेट से हो रहा है और कहा ये जा रहा है कि पिछली बार ऐसे निजी हमलों से भरा डिबेट ट्रंप और हिलेरी क्लिंटन के बीच देखा गया था.

इस बार ट्रंप ने बाइडेन के बेटे हंटर के ड्रग एडिक्शन के बारे में तंज कसे, उनके कम रैलियां करने पर सवाल उठाए, उनके डेलावेयर यूनिवर्सिटी में 688 छात्रों की क्लास में 506वें रहने पर मज़ाक उड़ाया और और बार-बार उन्हें टोका. इससे आजिज़ आकर बाइडेन ने ट्रंप को 'शट अप', 'जोकर', 'सबसे बेकार राष्ट्रपति' और 'नस्लभेदी' तक कहा. कई अमेरिकी नागरिकों ने इस डिबेट के बाद,सोशल मीडिया पर ये सवाल उठाया कि ऐसी बहस को देखने का क्या फायदा] लेकिन जानकार मानते हैं कि ये भी सच है कि अमेरिकी डिबेट कमीशन के ज़रिए कराई गई इन बहसों से लोगों को मुख्य मुद्दों पर उम्मीदवारों से सवाल पूछने का, उनकी राय जानने का मौका मिलता है. अब इस चुनाव की लिए दो और प्रेसिडेंशियल डिबेट बाकी हैं- 15 अक्टूबर को मियामी, फ्लोरिडा में और 22 अक्टूबर को नैशविल, टेनेसी में.

कादम्बिनी शर्मा NDTV इंडिया में एंकर और एडिटर (फॉरेन अफेयर्स) हैं...

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