भारतीय गेंदबाजी में धार की कमी को लेकर आलोचनाएं होती रही हैं, लेकिन हद तो तब हो गई, जब दुनिया की नौवें नंबर की टीम ने भी वर्ल्ड चैंपियन गेंदबाजों के पसीने छुड़ा दिए। बांग्लादेश की बल्लेबाजी के दौरान भारतीय गेंदबाजों को देखकर यह सोचना लाजिमी था कि श्रीलंका और पाकिस्तान के खिलाफ इनका क्या हाल होगा।
इससे पहले सिर्फ आठ वन-डे खेलकर अपने स्पीड के लिए नाम कमा चुके वरुण एरॉन को 21 साल के अनामुल हक बाउंड्री का सफर करवाते रहे। वरुण एरॉन की न तो स्पीड काम आई, न ही उनका बीमर। कप्तान मुशफिकुर रहीम के खिलाफ उनके बीमर के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई भी हो सकती है। पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर मानते हैं कि उनकी इस हरकत के बाद उन पर दो मैचों का प्रतिबंध लगना चाहिए।
इन सबके बाद यह सोचना जरूरी हो गया कि भारतीय गेंदबाजी में अब भी सुधार की बहुत गुंजाइश है। एशिया कप में भारत के पहले मैच में आलम यह रहा कि बांग्लादेश जैसी टीम ने 39वें ओवर में ही 200 का आंकड़ा पार कर लिया। कमजोर भारतीय गेंदबाजी का फायदा उठाते हुए सवा सौ वनडे खेल चुके बांग्लादेश के कप्तान ने अपने करियर का दूसरा वनडे शतक जमाया। यह दूसरा मौका रहा, जब एक वनडे मैच में दोनों ही कप्तानों ने शतकीय पारी खेली।
वरुण ने करीब 10 रन प्रति ओवर की औसत से (7.5−0−74−1−9.44) रन खर्चे, तो भारत के नंबर 1 स्पिनर आर अश्विन ने 10 ओवर में 50 रन खर्च डाले और सिर्फ एक विकेट चटका सके। भुवनेश्वर कुमार ने भी 5 रन प्रति ओवर की औसत से रन देते हुए 8 ओवर में 41 रन गंवाए और एक ही विकेट अपने नाम कर सके।
मोहम्मद शमी ने बांग्लादेश पर अंकुश जरूर लगाया, लेकिन आखिरी 10 ओवरों में बांग्लादेश ने 71 रन जोड़े और भारत को 280 रन का चुनौतीपूर्ण लक्ष्य दिया। साफ है कि भारतीय गेंदबाजों की हालत खस्ता है। एशिया कप के अपने पहले ही मैच में अगर बांग्लादेश के आगे भी पैनापन नहीं है, तो पाकिस्तान और श्रीलंका के आगे हालात कैसे होंगे यह जरूर गौर करने लायक बात है।