मंत्री जी अपने फैन्स को चैलेंज दे रहे हैं कि पुशअप करें. फिट रहें. ज़रूरत यह भी है कि हम उन्हें चैलेंज करें ताकि सिस्टम फिट रहे. क्या आप दुनिया में एक भी ऐसा देश जानते हैं जहां परीक्षा पास करने, मेरिट में आने के बाद नौजवानों को दस महीने तक नियुक्ति पत्र नहीं मिलता हो. you can name any country in english from ghana to russia. सरकार के चार साल पूरे होने पर अगर इन नौजवानों को जिनकी संख्या 3287 है, नियुक्ति पत्र मिल जाए तो प्राइम टाइम से ज़्यादा डाइनैमिक मंत्री का नाम होगा. लोग दुआएं देंगे. यह बात मैं इसलिए कर रहा हूं कि ये नौजवान वाकई बहुत परेशान हैं. अगर वित्त मंत्री पीयूष गोयल इन 3287 जवानों को आयकर विभाग में नियुक्ति पत्र नहीं दिला सकते तो फिर प्रधानमंत्री को बताना ही पड़ेगा कि मंत्री जी से ये काम नहीं हो पा रहा है. अगर पीएमओ में कोई भूले भटके प्राइम टाइम देख लेता हो उनसे भी रिक्वेस्ट है कि वे प्रधानमंत्री को बताएं कि दस महीने हो गए 3287 छात्रों को अभी तक नियुक्ति पत्र नहीं मिला है.
डाइनैमिक रेल मंत्री, वित्त मंत्री पीयूष गोयल जी को चैलेंज के इस मौसम में चैलेंज देना ज़रूरी है. बाहर जनता परेशान है. नौकरी की चिट्ठी नहीं मिल रही है, कोई उनकी फाइलों को पुश करने वाला नहीं और मंत्री पुशअप कर रहे हैं.
nice to see ki some मंत्रीज़ पुशअप कर रहे हैं फिटनेस के वास्ते. वेरी गुड. मगर जनता की परेशानी दूर हो जाए और तब मंत्री पुश अप करें तो और भी वेरी गुड साउंड करेगा. अच्छा होता कि दोनों मंत्री अपने टेलर का नाम बता दे जिससे इतना फिट पतलून और कमीज़ सिलवाई है. बहुत से एंकरों की सूट और पतलून बेहद खराब सिली होती है, ऐसे एंकर मंत्री जी के टेलर के पास जा सकते हैं. टेलर का बिजनेस भी इंक्रीज़ कर जाएगा. इस डायलाग का संबंध फिल्म अग्निपथ के उस सीन से नहीं है मगर मेरे जैसे कई लोग हैं, जिनका बहुत सारा कपड़ा अच्छे टेलर के न मिलने से ख़राब हो जाता है. हमारा इरादा सिर्फ आपको हंसाने का है. मगर मैं सीरीयसली सलाह दे रहा हूं कि कुछ मंत्री इन दो मंत्रियों का चैलेंज स्वीकार न करें. इस उम्र में नितिन गडकरी जी, राजनाथ सिंह जी, मनोज सिन्हा जी, पासवान जी, गिरिराज जी, रविशंकर जी, जे पी नड्डा जी इन सबसे दूर ही रहें. साफ मना कर दें, अगर नहीं मना कर सकते तो कह दें कि रवीश ने कहा है कि चैलेंज नहीं लेना है. अब आप सोचिए स्वास्थ्य मंत्री हैं जे पी नड्डा लेकिन आपके हेल्थ के बारे में चैलेंज दे रहे हैं सूचना प्रसारण मंत्री और गृहराज्य मंत्री.
इसी के साथ हम रेल मंत्री पीयूष गोयल को एक और चैलेंज देंगे. उत्तर प्रदेश के हरदोई स्टेशन पर पीने के पानी की वेंडिंग मशीन ख़राब है. कई दिनों से ख़राब है. ज़ाहिर है मंत्रालय में और भी अफसर होंगे जिन्हें मशीनों को टू मिनट में ठीक करा देना था. इतनी भीषण गर्मी में स्टेशन पहुंचने पर यात्रीगण को पानी न मिले, ठंडा पानी न मिले, दुख की बात है.
irctc अर्थात indian railway catering and tourism company limited की वेंडिंग मशीन हरदोई स्टेशन पर ख़राब पड़ी हैं. हरदोई से शाहजहांपुर जा रहे एक यात्री ने ये तस्वीर हमें भेजी. बताया कि वहां पानी की वेंडिंग मशीन काम ही नहीं कर रही है. आप देख सकते हैं कि किस तरह कीप से उनके बोतल में पानी डाला जा रहा है. रेल मंत्रालय को भले ख्याल न आया हो कि पानी की वेंडिंग मशीन ठीक करा दें मगर लोगों ने नायाब तरीका खोज लिया. वैसे हरदोई से शाहजहांपुर के बीच 63 किमी की यात्रा उन्होंने ढाई घंटे से अधिक समय में पूरी की. ज़ाहिर है गाड़ी चलती नहीं होगी, सरकती होगी. बाकायदा उस यात्री ने शाहजहांपुर उतर कर शिकायत भी की है. लोग अपना कर्तव्य पूरा कर रहे हैं और मंत्री पुशअप कर रहे हैं.
सोचिए जनरल बोगी के यात्रियों की क्या हालत होती होगी. वैसे भी यह पानी फ्री का नहीं है, पैसे से खरीदना पड़ता है. वो तो कहिए कि गायत्री परिवार के लोग इन्हें पानी पिला रहे हैं वर्ना इनकी क्या हालत होती. मीडिया मंत्री को डाइनेमिक लिखता है मगर आम लोग उनसे ज्यादा डाइनेमिक काम कर जाते हैं. गायत्री परिवार के लोगों को बधाई. अजय वीर सिंह हरदोई स्टेशन गए और वहां का जो हाल देखा आप देखिए. न्यूज़ चैनलों का भारत, हरदोई के भारत से कितना अलग है. चैलेंज यही है कि क्या पीयूष गोयल 24 घंटे के भीतर यहां पानी की खराब पड़ी वेंडिंग मशीन ठीक करा सकते हैं.
भारत भर में यूनिवर्सिटी की हालत खराब नहीं है, रद्दी है. अगर कोई छात्र अपने क्लास रूम, शिक्षकों की कमी वगैरह की जानकारी देना चाहता है, प्रतियोगिता परीक्षा की जानकारी देना चाहते हैं, रेल यात्रा की जानकारी देना चाहता है तो एक काम करे. इसे ध्यान से पढ़ें. कैमरो को आप इस तरह से पकड़ कर रिकॉर्ड कीजिए ताकि वाइड एंगल शॉट आ सके. खड़ा कर रिकॉर्ड करने से टीवी स्क्रीन पर काफी कुछ खाली रह जाता है. साथ ही आप कैमरे को थोड़ा नज़दीक भी ले जाएं ताकि ठीक से दिखे और दूर भी ले जाएं ताकि आस पास की चीज़ें भी दिखें. इसके बाद आप नाम, नंबर के साथ एक-एक डिटेल हमें लिखकर primetimewithravish@gmail.com पर भेज दें. एक बात का ध्यान रखें. अगर यूपी की सिपाही भर्ती का मामला है तो सैकड़ों मेल न करें. उससे कोई लाभ नहीं. एक या दो मेल काफी है. सारी जानकारी दें.
हवाई जहाज़ लेट होगा तो हवाई यात्रियों को 20000 तक रिफंड या मुआवज़ा मिलेगा. तो फिर रेल यात्री को क्यों नहीं मिलना चाहिए. जब जयन्त सिन्हा ऐसा फैसला ले सकते हैं तो फिर पीयूष गोयल ऐसा क्यों नहीं कर रहे हैं. हो सकता है कि किसी को लगे कि ट्रेन का देरी से चलना सामान्य बात है मगर कितने लोगों की जिंदगी बर्बाद हो जाती है या हो सकती है आप नहीं समझ सकते. 23 मई की रात 10 बज कर 33 मिनट पर एक नागरिक रेल मंत्री और रेल मंत्रालय को ट्वीट करता है कि 'सर ट्रेन 6 घंटे लेट है. मेरा भाई एसएसबी के इंटरव्यू के लिए कपूरथला जा रहा है. उसे सुबह छह बजे रिपोर्ट करना है मगर ट्रेन बहुत देरी से चल रही है.'
हमने इस व्यक्ति से संपर्क किया कि फाइनली हुआ क्या. क्या वह एसएसबी यानी सीमा सुरक्षा बल की परीक्षा में शामिल हो पाया. पता चला कि उसके भाई ने जालंधर में ट्रेन ही छोड़ दी और टैक्सी लेकर पहुंचा. पर हमने इस ट्रेन का रिकॉर्ड देखा. इसका नाम है सरयु यमुना एक्सप्रेस और नंबर है 14649, बिहार के जयनगर से अमृतसर तक चलती है. 11 मई से 15 मई के बीच जयनगर से अमृतसर पहुंचने में इसके लेट होने का औसत है 15 घंटा 20 मिनट. एक दिन 10 घंटा 20 मिनट की देरी से पहुंची और एक दिन 23 घंटा 16 मिनट की देरी से.
इसलिए हमारा सवाल है कि क्या हवाई यात्रियों की तरह रेल यात्रियों को देरी के कारण होने वाले नुकसान का मुआवज़ा नहीं मिलना चाहिए. उन्हें भी चलती ट्रेन में फ्री नाश्ता पानी नहीं मिलन चाहिए. अगर आप सही मांग करेंगे तो बिल्कुल ऐसा होगा. कोई प्रॉब्लम ही नहीं है.
आप ही बताइये मुझे क्या करना चाहिए. 15 दिन से बिहार के अंबेडकर यूनिवर्सिटी के छात्र मैसेज कर रहे हैं कि उनकी परीक्षा करवा दीजिए. इनकी संख्या पांच दस हज़ार नहीं है, दो लाख है. बीए पार्ट वन में एक लाख, बीए पार्ट टू में एक लाख. क्या दो लाख छात्रों की ज़िंदगी से जुड़ा मामला इस वक्त देश के लिए बड़ी खबर नहीं है. 2015 में जिसने एडमिशन लिया था उसकी एक ही साल की परीक्षा हुई है जबकि अभी तक तीनों साल की परीक्षा पूरी हो जानी चाहिए थी. बीए पूरा हो जाना चाहिए था. 2016 और 2017 में जिन्होंने एडमिशन लिया है, उनकी एक भी परीक्षा नहीं हुई है. ये मज़ाक सिर्फ भारत के छात्रों के साथ हो सकता है. सुमन सौरभ, शशिरंजन और कौशल किशोर की मदद से हमें छात्रों की प्रतिक्रिया मिली है. कौशल के अलावा छात्रों ने भी इस धूप में सब रिकॉर्ड कर भेजा है.
भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी की यह इमारत बाहर से तो चमचमा रही है. सड़क भी अच्छी है. मगर इसका रिकॉर्ड क्या है. छात्रों को देखिए. अपने इन सामान्य कमरों में चुपचाप तैयारी में लगे हैं, पढ़ाई करते हैं, कितना धीरज है इनमें. लेकिन हमारी यूनिवर्सिटी इनके साथ क्या कर रही है. दुनिया में आप कोई एक देश का नाम बता सकते हैं जहां तीन साल के बीए के कोर्स का एक भी इम्तहान न हुआ है. कायदे से वाइस चांसलर और यूनिवर्सिटी के सारे स्टाफ को बर्खास्त कर देना चाहिए. मगर हो क्या रहा है. पहले और दूसरे वर्ष के छात्र क्या उस महान भारत में नहीं हैं जिसका आज कल मंत्रियों के प्रेस कांफ्रेंस में नाम हो गया है जैसे पहले था ही नहीं. इनकी ज़िंदगी जो बर्बाद हो रही है उसके लिए कौन सा मंत्री प्रेस कांफ्रेंस करेगा.
छात्र नेता का भी कहना है कि उनके आंदोलन का कोई नतीजा नहीं निकलता है बल्कि छात्र नेता ने भी 2016 में एडिमशन लिया था, उनका भी एक इम्तहान नहीं हुआ है. कुल सचिव ने फोन पर बताया कि जून तक इनकी परीक्षा हो जाएगी. मगर तारीख का ऐलान तो हुआ नहीं. 24 मई को आप कैसे कह सकते हैं कि जून में परीक्षा लेंगे. कोई भी समाज कैसे इस समस्या को हल्के में ले सकता है. दो लाख छात्रों की परीक्षा न हो. तीन साल के बीए में एडमिशन हो और दो साल तक परीक्षा न हो, इसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए कि नहीं. अगर कोई यह समझ रहा है कि ये सभी दो लाख छात्र अपनी बर्बादी का जश्न मना रहे हैं, इन्हें फर्क नहीं पड़ता तो हो सकता है आप ग़लत हैं.
                               
                                
                                
                            
                            This Article is From May 25, 2018
प्राइम टाइम : चैनलों का भारत बनाम लोगों का भारत
                                                                                                                                                                                                                        
                                                                रवीश कुमार
                                                            
                                                                                                                                                           
                                                
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                                                                            Published On मई 25, 2018 00:12 am IST
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