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This Article is From Jul 05, 2018

फीफा विश्वकप में इस बार अप्रवासियों का है बोलबाला

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जुलाई 05, 2018 08:55 am IST
    • Published On जुलाई 05, 2018 06:01 am IST
    • Last Updated On जुलाई 05, 2018 08:55 am IST
यूरोप अप्रवासियों के मुद्दे पर सदी के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. हज़ारों की संख्या में लोग नावों में भरकर किसी भी तरफ से यूरोप पहुंचना चाहते हैं. कई बार इनकी नाव दुर्घटना की भी शिकार हो जाती है, जिसके चलते हज़ारों लोगों की जान भी जा चुकी है. यूरोप भले ही नौकरी या अन्य मुद्दों पर इन अप्रवासियों की समस्या को झेल रहा है, मगर खेल के लिहाज से यह उतना बुरा भी नहीं है. खासकर फुटबॉल की बात करें. फुटबॉल के लिहाज से ये अप्रवासी यूरोप के लिए वरदान से काम नहीं हैं. जहां तक देशों की बात करें, तो फ्रांस और स्विट्रजलैंड की आधी टीम अप्रवासियों से ही बनी है. 

वहीं, बेल्जियम की करीब आधी टीम में अप्रवासी है. जैसे बेल्जियम स्ट्राइकर रोमेलु लुकाकू की बात करें, जब उन्होंने बेल्जियम के लिए दो गोल किये तो प्रेस को कहा है उन्हें पता है बेल्जियम के बहुत लोग उन्हें सफल होते नहीं देखना चाहते. लोकाकू ने कहा की वे बेल्जियम से हैं और अपना बेहतरीन खेल अपने देश के लिए खेलते रहेंगे. लोकाकू ने कहा कि जब वो अच्छा खेलते हैं तब लोग उन्हें पुकारते है रोमेलु लोकाकू बेल्जियम स्ट्राइकर. जब वो अच्छा नहीं खेल पाते तो लोग कहते हैं रोमेलु लुकाकू बेल्जियन स्ट्राइकर जो कांगो से बेल्जियम में आया है. 

रोमेलु लुकाकू कहते हैं कि वो बेल्जियम के स्लम में पले-बढे हैं और यहीं के बन कर रहेंगे. लोग जो भी कहें लुकाकू बेल्जियम के लिए शानदार खेल दिखा रहे हैं. कुछ ऐसी ही कहानी फ्रांस के कैलियन बप्पे का है. उनका गोल जो उन्होंने अर्जेंटीना के खिलाफ किया फ्रांस के हर नागरिक को याद होगा. बप्पे का परिवार अफ्रीका से है और उनके पिता कैमरून से हैं, जबकि मां अल्जीरिया से. यदि आंकड़ों को देखें तो यूरोप के लगभग सभी देशों के टीमों में बहार से आये खिलाड़ियों का प्रतिशत उस देश के खिलाड़ियों से ज्यादा ही है.

फ्रांस की टीम में 78 फीसदी खिलाड़ी बाहर से आ कर बसे माता-पिता के संतान हैं, जबकि उनकी संख्या फ्रांस में केवल 7 फीसदी है. उसी तरह स्विट्ज़रलैंड के 23 सदस्य वाली टीम में 14 खिलाड़ी अप्रवासी लोगों की है. उसी तरह बेल्जियम, इंग्लैंड और जर्मनी की टीम में बाहर से आये खिलाड़ियों की संख्या 40 से 50 फीसदी तक है. यदि आंकड़ों की बात करें, तो बाहर से आये लोगों का प्रतिशत बेल्जियम टीम में 12, इंग्लैंड टीम में 9, जर्मनी टीम में 11 फीसदी, स्पेन टीम में 10 फीसदी और पुर्तगाल टीम में साढ़े तीन प्रतिशत है. 

स्वीडन की टीम भले ही अपने जीत का जश्न मन रही थी, मगर उनके निशाने पर मिडफील्डर जिमी दुरमज़ थे दुरमज़ को जर्मनी से हार के बाद काफी कुछ झेलना पड़ा. खासकर रंगभेद कमेंट्स, मगर दुरमज़ ने भी इसका बहादुरी से सामना किया और कहा कि वह एक स्वीडिश कि तरह अपने को गौरवान्वित महसूस करते हैं और उनकी टीम भी उनके साथ खड़ी हो गई. उन्होंने कहा कि जान से मारने कि धमकी टीम को कतई स्वीकार नहीं है. इसी तरह से एकजुट हो कर खेल में या किसी भी और दायरे में रंगभेद या अप्रवासियों को तंग करने की घटनाओं से लड़ा जा सकता है.

मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...

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