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This Article is From May 27, 2019

तो क्या विधानसभा चुनाव से पहले ही अपनी सीट हार चुके हैं अरविंद केजरीवाल?  

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    मई 27, 2019 21:06 pm IST
    • Published On मई 27, 2019 19:48 pm IST
    • Last Updated On मई 27, 2019 21:06 pm IST

लोकसभा चुनाव के नतीजों से जो आंकडें आए हैं वो चौंकाने वाले हैं. इसके अनुसार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल खुद अपनी सीट हार गए हैं और तीसरे नंबर पर हैं. नई दिल्ली विधानसभा में जहां 2015 में केजरीवील ने शीला दीक्षित को हराया था वहां इस बार खुद कांग्रेस से पीछे हैं. यहां में कांग्रेस को इस लोकसभा चुनाव के मुताबिक 26 हजार 312 वोट मिले हैं तो आम आदमी पार्टी को 14 हजार 740 वोट मिले हैं. यही नहीं नजफगढ़ से केजरीवाल सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत भी तीसरे नंबर पर हैं, यहां कांग्रेस को लोकसभा के वोटों के अनुसार 23 हजार 354 वोट मिलेगें तो आप को 22 हजार 302 वोट. यदि इन आकंड़ों के आधार पर विधानसभा के क्षेत्रवार सीटों से मिलान किया जाए तो दिल्ली की 70 सीटों में से बीजेपी 65 सीट जीत सकती और कांग्रेस 5 सीटें जबकि आम आदमी पार्टी का खाता भी नहीं खुलता दिख रहा है.

लोकसभा चुनाव के बाद मिले आंकड़ों के अनुसार बीजेपी जहां 65 सीटों पर आगे है वहीं वह 5 सीटों पर दूसरे नंबर पर है जबकि कांग्रेस 5 सीट जीत रही है और 42 सीटों पर दूसरे नंबर पर है और 23 सीटों पर तीसरे नंबर पर. आम आदमी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत रही है जबकि 23 सीटों पर वह दूसरे नंबर पर है और 47 सीटों पर तीसरे नंबर पर. मौजूदा आंकडों के अनुसार बीजेपी को 56.5 फीसदी वोट मिले हैं जो 2014 के मुकाबले तकरीबन 10 फीसदी ज्यादा है.और 2015 के विधानसभा के मुकाबले साढे़ 24 फीसदी अधिक है. जबकि कांग्रेस को 22.5 फीसदी वोट मिले हैं जो 2014 के मुकाबले 7.5 फीसदी अधिक है और 2015 के विधानसभा के मुकाबले साढे़ 12 फीसदी अधिक .वहीं आम आदमी पार्टी के आंकड़ों को देखें तो उसे इस लोकसभा चुनाव में केवल 18 फीसदी वोट मिले हैं, जो  2014 के लोक सभा चुनाव के मुकाबले साढे़ 14 फीसदी कम हैं.

जबकि 2015 के विधानसभा के मुकाबले साढे़ 31 फीसदी वोट घट गए हैं. यानि आम आदमी पार्टी का सूपडा साफ है. अब आम आदमी पार्टी को आत्ममंथन करने की जरूरत है कि पार्टी को कैसे बचाया जाए क्योंकि उसके पास राज्य सभा में तीन और लोकसभा में सिर्फ एक सांसद है. हालांकि यहां यह दलील जरूर दी जा रही है कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव अलग अलग मुद्दों पर लडे जाते हैं और यह कारनामा आम आदमी पार्टी ने 2015 में करके दिखाया है जब 2014 में एक भी लोकसभा की सीट नहीं जीतने वाली आप ने विधानसभा में 67 सीटें जीती थीं और उसे अपने मुहल्ला क्लीनिक और सरकारी स्कूलों के कायाकल्प करने जैसे कामों पर भरोसा है.

मगर मौजूदा लोकसभा चुनाव के आंकड़ें भी काफी कुछ इशारा कर रहे हैं. चुनाव के दौरान केजरीवाल का वह बयान आपको याद होगा जिसमें उन्होने कहा था कि मुसलमान कांग्रेस को तो वोट नहीं दे रहा है और हिंदु भी नहीं वोट करने वाला है मगर आंकड़ों ने इसे गलत साबित किया है. मुस्लिम बहुल ईलाकों जैसे सीलमपुर, बाबरपुर, मुस्तफाबाद, बल्लीमारान, मटियामहल ,चांदनी चौक औरओखला जैसे विधानसभा में कांग्रेस नंबर दो की पार्टी है और आप नंबर तीन पर है. यानि आम आदमी पार्टी के लिए संकट काफी गहरा है राहत की बात ये है कि आप के पास अभी कुछ महीनों का वक्त है जिससे वो अपनी हालत सुधार सकता है वरना आम आदमी पार्टी धीरे धीरे जिस तरह उभरी थी उसी तरह खत्म हो जाएगी क्योकि पंजाब और गोवा में उसका कोई भविष्य नहीं है और ना ही हरियाणा में और ना ही आप में केजरीवाल किसी और को नेता के रूप में उभरने देना चाहते हैं. 

(मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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