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This Article is From Oct 26, 2016

प्राइम टाइम इंट्रो : कैसे सुधरेगी भारत की कारोबारी रैंकिंग?

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अक्टूबर 26, 2016 21:32 pm IST
    • Published On अक्टूबर 26, 2016 21:27 pm IST
    • Last Updated On अक्टूबर 26, 2016 21:32 pm IST
जिस तरह से लाइसेंस राज को विस्थापित कर उदारीकरण प्रचलित हुआ, उदारीकरण की जगह रिफॉर्म यानी सुधार प्रचलित हुआ, उसी तरह से रिफार्म की जगह इन दिनों ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस प्रचलित हो चुका है. विश्व बैंक 2004 से ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस के आधार पर रैकिंग कर रहा है, लेकिन भारतीय राजनीति में इसे प्रचलित किया है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने. पहले गुजरात को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का मुखड़ा बनाया, फिर इसे अपने गर्वनेंस की विचारधारा.

उद्योग जगत की सभाओं से लेकर राजनयिकों के बीच आप जब भी प्रधानमंत्री को बोलते सुनेंगे ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस का ज़िक्र आता ही आता है. प्रधानमंत्री इसे अभियान की तरह लेते हैं. कई बार बोल चुके हैं कि तीन साल के भीतर भीतर भारत ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में चोटी के 50 देशों में शामिल होगा. आप जानते हैं कि इस साल भारत की रैकिंग 130 है. यहां से वे भारत को चोटी के पचास देशों में ले जाने का दावा कर रहे हैं. बुधवार को ही दिल्ली में उन्होंने न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री जॉन की का स्वागत किया. विश्व बैंक की ताज़ा रिपोर्ट में ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में न्यूज़ीलैंड नंबर वन है और भारत 130 वें नंबर पर. पिछले साल की तुलना में भारत सिर्फ एक पायदान ऊपर आया है.

लेकिन 2015 में भारत विश्व बैंक से काफी खुश था, क्योंकि तब उसकी रिपोर्ट में भारत ने 2014 के 142वें पायदान से छलांग लगाकर 130 वें स्थान पर जगह बनाई थी. एक और बात बता दें कि विश्व बैंक की जो रैंकिंग आई है, वो 2017 के लिए है. इसके लिए विश्व बैंक जून 2016 तक सारे मुल्कों से आंकड़े जुटा लेता है. 2016 के लिए 190 देशों मे भारत का स्थान 131 था. 2015 के लिए 190 देशों में भारत का स्थान 134 था. 2014 के लिए 190 देशों में भारत का स्थान 142 था.

हम अमेरिका को लेकर काफी तनाव में रहते हैं. हर चीज़ में उसे ही आदर्श और नंबर वन समझते हैं, मगर ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस में उसका स्थान आठवां हैं. चीन का स्थान 78 वां है. 2008 में 178 देशों में भारत का स्थान 120वां, 2010 में 183 देशों में भारत 132वें पायदान पर था. 2011 में 183 देशों में भारत की रैंकिंग 135 थी और 2012 में 185 देशों में भारत 132वें स्थान पर था.

178 देशों से बढ़कर अब 190 देशों में रैकिंग होने लगी है. ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस का मतलब होता है कि भारत में एक कंपनी खोलने में कितनी कम दिक्कतें आती हैं. पहले सिर्फ मुंबई के ही प्रोफेशनल फर्म की राय के आधार पर भारत की रिपोर्ट बनती थी, मगर अब इसमें दिल्ली भी शामिल है. यह कहा जा रहा है कि भारत जैसे विशाल देश का मूल्यांकन सिर्फ मुंबई और दिल्ली के अध्ययन से नहीं किया जा सकता है, लेकिन चीन जैसे विशाल देश के लिए भी सिर्फ दो ही शहर अध्ययन में शामिल किए गए हैं - शंघाई और बीजिंग.

ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस 10 पैमानों के आधार पर तय किया जाता है. इन पैमानों का नाम भी बताएंगे और इनके हिसाब से भारत की रैकिंग भी. व्यवसाय की शुरुआत में भारत का स्थान 155 है. निर्माण के लिये परमिट लेने में 185वां और बिजली के मामले में 26वां है. यहां भारत 51 से 26वें स्थान पर पहुंचा है. प्रोपर्टी की रजिस्ट्री में 138 वां स्थान है भारत का. उधार / कर्ज में 44 वां स्थान है. माइनारिटी निवेशकों की सुरक्षा में 13वां स्थान है. मगर यहां इसका रैंक 10 से गिर कर 13 हो गया है. कर अदायगी में भारत का 172 वां स्थान है. सीमा पार व्यापार में भारत 143 वें स्थान पर है. कांट्रेक्ट को लागू कराने के मामले में भारत का 172 वां स्थान है. दिवालियापन के निपटारे के मामले में यह 136वें स्थान पर है.

जैसे ही ये रैकिंग आई सरकार ने तुरंत प्रतिक्रिया दी. केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि विश्व बैंक की ताज़ा रैकिंग में राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए सुधार के प्रयासों को ठीक से शामिल नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि मैं कुछ निराश हूं. ना सिर्फ़ भारत सरकार बल्कि हर राज्य कारोबार करने को आसान बनाने में सक्रियता से जुटा हुआ है. लेकिन जो भी वजह हो, रैंकिंग ने इन कोशिशों को पूरी तरह नहीं दिखाई. टीम इंडिया साथ मिलकर काफ़ी काम कर रही है. इस रैंकिंग से हमें ये संदेश मिला है कि हमें और एकाग्रता तथा तेज़ी से काम करना होगा.

आप जानते हैं कि Department of Industrial Policy and Promotion (DIPP) राज्यों के लिए ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग जारी करता है. इसके लिए कोई 300 पैरामिटर पर डेटा लिया जाता है और उनके मूल्यांकन के आधार पर राज्यों की सूची जारी की जाती है. इस साल जून में जारी इस रैकिंग के अनुसार बिहार पहले स्थान पर है. पिछले साल बिहार 21वें स्थान पर था. तेलंगाना दूसरे और झारखंड तीसरे स्थान पर है. मध्य प्रदेश चौथे स्थान और गुजरात छठे स्थान पर है.

विश्व बैंक की रैकिंग पर भारतीय उद्योग जगत की संस्थाओं - एसोचैम और सीआईआई ने तुरंत प्रतिक्रिया व्यक्त की. सीआईआई के अध्यक्ष ने बयान दिया है कि ज़मीन पर ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाये गए हैं, जिसका विश्व बैंक ने संज्ञान नहीं लिया है. सरकार ने तमाम तरह के कदमों को उठाया है और निवेश के माहौल को बेहतर किया है.

गूगल करेंगे तो विश्व बैंक के प्रमुख जिम योंग किम के 2015 और 2016 के बयान मिलेंगे, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा उठाये गए कदमों की तारीफ की है. अब उनसे भी पूछा जाए कि आप जिन कदमों की इतनी तारीफ कर रहे थे क्या वो इतने ही थे कि भारत सिर्फ एक रैंक की तरक्की कर सका. जिम योंग किम ने किस आधार पर कहा कि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत फैंटास्टिक हो गया है. भारत दुनिया की सबसे तेज़ गति से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है.

तब विश्वबैंक ने लाजिस्टिक इंडेक्स जारी किया था जिसके अनुसार भारत का रैंक 54 से बढ़कर 35 हो गया था. रैकिंग भी एक खेल है. जैसे विश्वविद्यालयों की अजीब-अजीब तरह की रैकिंग होती है. बेस्ट कैंपस में कोई नंबर वन हो जाता है तो बेस्ट क्लासरूम में कोई नंबर वन हो जाता है. भारत में 90 फीसदी इंजीनियर नौकरी पर रखे जाने लायक नहीं है, लेकिन बेस्ट इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए सैकड़ों कॉलेज अलग-अलग पैमानों के हिसाब से निकल आते हैं. वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम 138 देशों को लेकर ग्लोबल प्रतिस्पर्धा रिपोर्ट तैयार करता है. ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस से अलग है ये. इसके अनुसार 2016-17 के लिए वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम की रैंकिंग में भारत 39वें नंबर पर है. 2015-16 में भारत का स्थान 55 था यानी 16 पायदान की छलांग भारत ने लगाई. एक और रैकिंग होती है ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स की. 2015 में भारत 81वें स्थान पर था, इस साल 66वें स्थान पर पहुंचा है, यानी भारत ने 15 पायदान की छलांग लगाई है.

आपको जो रैंकिंग ठीक लगे, उसी को अपना लीजिए और खुश रहिए. तमाम रैकिंग में एक रैकिंग यह भी होती कि इस साल कितनी नौकरियां पैदा हुईं तो लोग खुश भी होते. नौकरी का पैमाना ही नहीं है, तो बाकी क्या बात हुई। स्टार्ट अप इंडिया से लेकर मध्य प्रदेश में ज़मीन के लिए आवेदन करने तक की कई नीतियां हैं. मई 2016 में इंसोल्वेंसी बिल संसद ने पास किया है. जैसा कि मैंने कहा कि ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस प्रधानमंत्री मोदी के लिए गंभीर मसला है, इसलिए उन्होंने भी इस रैकिंग पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. प्रधानमंत्री ने कहा है कि कारोबार आसान बनाने में दिक्कत कहां आ रही है, इस पर ध्यान देना होगा. देश के सभी मुख्य सचिवों और सचिव वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट को पढ़ें और अपने-अपने राज्यों में कामकाज की समीक्षा करें. कैबिनेट सचिव इस पर एक महीने में रिपोर्ट दें.

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