यह ख़बर 13 दिसंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

सुशील की समीक्षा : कैसा रहा एडिलेड टेस्ट?

एडिलेड टेस्ट के दौरान मुरली विजय और विराट कोहली

नई दिल्ली:

एडिलेड में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर-गावस्कर सीरीज का पहला टेस्ट मैच कई कारणों की वजह से याद किया जाएगा।

कप्तान के रूप में विराट कोहली द्वारा दोनों पारियों में शानदार शतक जमाना, डेविड वॉर्नर की बेहतरीन बैटिंग, नेथन लेयॉन की नायाब गेंदबाजी, मुरली विजय का 99 रन बनाकर आउट होना, आखिरी सेशन में भारत के आठ विकेट गिर जाना और अंपायर के गलत निर्णय... ये सब क्रिकेट प्रेमियों को कुछ दिनों के लिए जरूर याद रहेगा।

आखिरी दिन का खेल काफी मजेदार रहा। चौथे दिन का खेल समाप्त होने तक ऑस्ट्रेलिया ने अपने दूसरी पारी में 363 रन की बढ़त ले ली थी और ऐसा लग रहा था कि पांचवें दिन ऑस्ट्रेलिया, भारत को खेलने के लिए कहेगा। ऐसा हुआ भी, पांचवें दिन भारत की टीम बल्लेबाज करने के लिए मैदान पर उतरी।

हमेशा की तरह शेखर धवन ने पारी की तेज शुरुआत की, लेकिन अंपायर के गलत निर्णय के चलते धवन आठ गेंदों पर नौ रन बनाकर पैवेलियन लौट गए। उस वक्त भारत का स्कोर सिर्फ 16 रन था। पहली पारी में 73 रन बनाने वाले पुजारा दूसरी पारी में कुछ खास नहीं कर पाए और सिर्फ 21 रन बनाकर लेयॉन की गेंद का शिकार बने। उस वक्त भारत का स्कोर सिर्फ 57 रन था और टीम पर दबाव बढ़ता जा रहा था।

पहली पारी में शानदार 115 रन बनाने वाले भारतीय कप्तान विराट कोहली छोर संभालने आए। कोहली और विजय के बीच अच्छी साझेदारी देखने को मिली। लंच तक भारत 34 ओवर में दो विकेट पर 105 रन बना चुका था। लंच के बाद दोपहर का सेशन भारत के नाम रहा। कोहली और विजय मैदान के चारों तरफ शानदार शॉट्स खेलने लगे। ऐसा लग रहा था कि भारत मैच पर अपना कब्जा मजबूत कर रहा है।

लंच के बाद विजय ने 131 गेंदों का सामना करते हुए 28 टेस्ट मैचों में अपना आठवां अर्धशतक पूरा किया, जिसमें तीन चौके और एक छक्का शामिल था। लेकिन विराट कोहली तेज खेल रहे थे। कोहली ने अपना अर्धशतक पूरा करने के लिए सिर्फ 69 बॉल का सहारा लिया और इस दौरान उन्होंने एक छक्का और पांच चौके जड़े।

चायकाल तक भारत का स्कोर 61 ओवर में दो विकेट पर 205 रन था। विराट कोहली 82 और मुरली विजय 85 रन पर नाबाद थे। यह सच है कि यह सेशन भारत के नाम रहा और भारत ने कोई विकेट भी नहीं गंवाया। लेकिन कहीं-कहीं किस्मत ने भी भारत का साथ दिया। कुछेक बार ऐसा लगा कि अंपायर का गलत निर्णय भारत के पक्ष में गया।

चायकाल के बाद मैच का आखिर सेशन काफी रोमांचक रहा। विराट कोहली ने अपने करियर के 30वें टेस्ट मैच में आठवां शतक पूरा किया। कोहली ने जहां पहली पारी में शतक पूरा करने के लिए 158 गेंदों का सहारा लिया था, वहीं दूसरी पारी में शतक के लिए उन्होंने सिर्फ 135 गेंदों का सामना किया, जिसमे 10 चौके और एक छक्का शामिल था।

एडिलेड में यह कोहली का तीसरा शतक था। 26 जनवरी, 2012 को कोहली ने इस मैदान पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 116 रन की पारी खेली थी। एडिलेड टेस्ट में अफसोस की बात यह रही कि मुरली विजय शतक से चूक गए। 99 रन के निजी स्कोर पर लेयॉन ने उन्हें एलबीडब्ल्यू आउट किया। विजय के आउट होने बाद मैच का रुख बदल गया। अंजिक्य रहाणे बिना खाता खोले पैवेलियन लौट गए। शेखर धवन के बाद राहणे भी अंपायर के गलत निर्णय का शिकार बने। रोहित शर्मा भी कुछ खास नहीं कर पाए और सिर्फ छह रन बनाकर लेयॉन का शिकार बने।

कप्तान विराट कोहली एक छोर संभाले हुए थे, लेकिन दूसरी ओर टीम इंडिया के विकेट धड़ाधड़ गिरते जा रहे थे। विकेटकीपर बल्लेबाज रिद्धिमान साहा के पास एक मौका था, अपने आपको साबित करने का, लेकिन उन्होंने यह मौका गंवा दिया। तेज खेलने के चक्कर में साहा अपना विकेट गंवा बैठे। जीत से भारत 65 रन दूर था, लेकिन कोहली पिच पर मौजूद थे। ऐसा लग रहा था कि कोहली भारत को जीत दिला देंगे। लेकिन टीम इंडिया की किस्मत में जीत नहीं लिखी थी।

लेयॉन की गेंद पर छक्का मारने के चक्कर में कोहली आउट हो गए। मिशेल मार्श ने बाउंड्री लाइन पर उनका शानदार कैच पकड़ा। कोहली ने दूसरी पारी में 175 गेंदों का सामना कर 141 रन बनाए, जिसमें 16 चौके और एक छक्का शामिल था। कोहली के आउट होने के साथ ही भारत की जीत की उम्मीद खत्म हो गई और पूरी टीम 315 रन पर सिमट गई। इस तरह भारत 48 रन से पहला टेस्ट मैच हार गया।

ऑस्ट्रेलिया की जीत में सबका योगदान रहा, दोनों पारियों में डेविड वॉर्नर का शतक, क्लार्क की पहली पारी में कप्तानी इनिंग (128), पहली पारी में स्टीवन स्मिथ के शानदार 162 रन और दूसरी पारी में नाबाद 52 रन। लेकिन जीत के नायक लेयॉन ही रहे। उन्होंने दोनों परियों में बेहतरीन बोलिंग करते हुए कुल 12 विकेट झटके और ऑस्ट्रेलिया को शानदार जीत दिलाकर मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड भी जीता।

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