कुछ ही दिनों में 22 साल के यह लड़के ने गुजरात के पटेल समुदाय में अपनी अलग पहचान बनाई है। पिछले चार साल से हार्दिक पटेल अपने समुदाय के लिए काम कर रहे हैं। हार्दिक महिलाओं की सुरक्षा और किसानों की मांग को लेकर आवाज़ उठा रहे हैं। पिछले महीने से हार्दिक ने अपने नए आंदोलन से एक नई पहचान बनाई है। 6 जुलाई को हार्दिक ने महिसाना में एक रैली के जरिए पटेल समुदाय को ओबीसी में शामिल करने की मांग की। इस रैली में करीब दस हज़ार लोग मौजूद थे। इसके बाद 17 अगस्त को सूरत में हुई रैली में उम्मीद से ज्यादा लोग मजूद थे। हार्दिक का दावा है कि इस रैली में करीब दस लाख लोग आए थे।
हार्दिक जहां-जहां भाषण देते हैं, वहां उन्हें सुनने वालों की भारी भीड़ जुट रही है। हार्दिक कड़वा और लेउवा पटेल समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। हार्दिक का कहना है कि पिछले कुछ सालों में इस समुदाय के 6000 से भी ज्यादा किसानों ने आत्महत्याएं की हैं। इस समुदाय के बच्चों को सरकारी नौकरी नहीं मिलती है। हार्दिक अब 25 अगस्त को अहमदाबाद में एक बड़ी रैली करने जा रहे हैं जिसमें काफी भीड़ जुटने की उम्मीद की जा रही है।
गुजरात सरकार हार्दिक की मांग को लेकर कितनी गंभीर है, यह अभी तक पता नहीं चला पाया है, लेकिन हार्दिक के खिलाफ कई संगठनों ने अपनी आवाज़ उठाना शुरू कर दिया है। गुजरात का ओबीसी समुदाय अपनी एक महा-रथयात्रा 1 सितम्बर को शुरू करने जा रहा है। रणवीर देसाई की अगुवाई में 'आरक्षण सुरक्षा संगठन रथयात्रा' पूरे गुजरात में निकलेगी। रणवीर देसाई ने बताया की यह रथयात्रा गुजरात की 248 तहसीलों, 162 नगर पालिकाओं, 8 महा नगरपालिकाओं में पहुंचेगी। यह यात्रा 26 जनवरी 2016 तक चलेगी।
रणवीर देसाई का कहना है कि अगर सरकार पटेल समुदाय के लिए कुछ करना चाहती है तो करे, लेकिन ओबीसी के लिए जो 27 प्रतिशत आरक्षण है, उसमें इस समुदाय को शामिल न न करे। अगर सरकार 27 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण देती है तो इस पर विचार किया जा सकता है। रणवीर देसाई ने यह भी सवाल उठाया है कि जब सरदार पटेल खुद आरक्षण के विरोध में थे तो यह लोग अब आरक्षण क्यों मांग रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि आर्थिक मापदंड को लेकर सरकार कुछ करना चाहती है तो सभी जातियों के लिए करे।
उधर, ठाकुर सेना ने भी हार्दिक के खिलाफ अपनी जंग छेड़ दी है। ठाकुर सेना के कन्वेनर अल्पेश ठाकुर 23 अगस्त से अहमदाबाद में धरने पर बैठने वाले हैं। उनका मकसद ओबीसी समुदाय को हक दिलाना है। उन्हें लगता है कि पटेल समुदाय के ओबीसी में आने पर इस वर्ग में पूर्व से मौजूद जातियों को नुकसान होगा। हार्दिक पटेल की मांग को वह गलत मानते हैं। गुजरात में लगभग 54 प्रतिशत ओबीसी हैं और उनमें 36 प्रतिशत ठाकुर समुदाय के हैं। अल्पेश ने यह भी बताया कि इतने साल में ओबीसी का ज्यादा विकास नहीं हुआ है। अगर 12 प्रतिशत पटेल ओबीसी में आ जाएंगे तो मुक़ाबला और बढ़ जाएगा। इस लड़ाई में कौन जीतेगा और कौन हारेगा, यह तो मालूम नहीं, लेकिन ऐसी लड़ाई गुजरात की राजनीति में भूचाल जरूर लाएगी।