8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर नरेंद्र मोदी चाय की चुस्कियों के बीच देश-विदेश में महिलाओं से रूबरू हुए। नई दिल्ली में बीजेपी मुख्यालय पर आयोजित दो घंटे के इस कार्यक्रम में महिलाओं से घिरे बैठे मोदी ने महिला सशक्तीकरण के बारे में अपनी राय रखी और सवालों के जवाब दिए।
इस कार्यक्रम की खास बात यह थी कि लाइव टेलीकास्ट के माध्यम से नरेंद्र मोदी 500 शहरों में 1500 स्थानों पर एक साथ एक ही वक्त मौजूद रहे। पांच महाद्वीपों और 15 देशों में अलग-अलग जगहों पर मोदी एक साथ पहुंचे। वाशिंगटन, लंदन, फ्रैंकफर्ट, सिडनी और नैरोबी जैसे कई शहरों में भी। चुनाव प्रचार के लिए तकनीक के इस्तेमाल का यह एक बेहतरीन नमूना है।
एक तरफ, बीजेपी के दिल्ली के नेताओं में टिकटों के बंटवारे, अपनी सीटों, संभावित सहयोगियों और गठबंधनों को लेकर आपसी मार-काट मची है। लोकसभा की एक-एक सीट के लिए आपस में झगड़ रहे हैं और अपनी छवि चमकाने के चक्कर में पार्टी की अंदरूनी कलह को सतह पर ला रहे हैं। 'पार्टी विद ए डिफरेंस' के बजाए 'पार्टी विद डिफरेंसेज' की पुरानी टैग लाइन को दोबारा याद दिलाने की कोशिश कर रहे हैं।
ऐसे में इन सबसे दूर नरेंद्र मोदी अपने जीवन की सबसे कठिन लड़ाई को जनता के बीच सीधे ले जा रहे हैं। रैलियों और तकनीक के माध्यम से आम लोगों से सीधा संवाद स्थापित कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में पार्टी के भीतर उन्होंने अपना कद ऊंचा कर लिया है और दिल्ली के नेता उनके सामने अचानक बौने लगने लगे हैं।
चाय पे चर्चा के दो घंटे के कार्यक्रम में नरेंद्र मोदी ने पहले अपनी बात रखी और फिर देश-विदेश से महिलाओं के अपनी सुरक्षा, समाज में स्थान, बराबरी का दर्जा, महिलाओं के लिए बने कानूनों जैसे दसियों सवालों के जवाब दिए। मोदी ने आधी आबादी की आजादी की वकालत की। शिक्षा, कैरियर, जीवन साथी और परिवार चुनने की आजादी।
मोदी ने महिलाओं की शिक्षा की जरूरत पर महात्मा गांधी की बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि जब एक महिला शिक्षित होती है, तो दो परिवार नहीं, दो पीढ़ियां शिक्षित हो जाती हैं। महिला सुरक्षा बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि पुलिस बल में महिलाओं की संख्या बढ़ाई जाए। राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए नरेंद्र मोदी ने संसद में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण के लिए लंबे समय से लटके महिला आरक्षण बिल को तुरंत पास करने की मांग भी की है।
पिछले तीन विधानसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी को गुजरात में महिलाओं का जबर्दस्त समर्थन मिला है। इसी को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने हाल के विधानसभा चुनावों में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी महिला और युवा मतदाताओं पर खास जोर दिया और उसे इसका फायदा भी मिला।
राजस्थान में बीजेपी ने वसुंधरा राजे को ही आगे रखा और चुनावों में ऐतिहासिक जीत हासिल की। छत्तीसगढ़-मध्य प्रदेश में सस्ते दामों पर गेहूं-चावल की योजनाओं के ज़रिए महिलाओं को लुभाया। बढ़ती महंगाई से बिगड़ते घर के बजट को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। एलपीजी सिलिंडरों में कटौती और केरोसीन के बढ़े दाम इन चुनावों में बड़ा मुद्दे बने और महिलाओं ने इनके लिए केंद्र की यूपीए सरकार को जिम्मेदार मानते हुए बीजेपी को बड़ी संख्या में वोट दिया। दिल्ली में निर्भया कांड ने महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे को केंद्र में ला दिया और कांग्रेस को इसका खमियाज़ा भी भुगतना पड़ा।
बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना है कि किसी भी परिवार में यह फैसला करने में कि वोट किसे देना है, घर के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति की राय अहम होती आई है। लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। शहरों में परिवार छोटे होते जा रहे हैं। संयुक्त परिवारों की परंपरा खत्म हो रही है। किसी भी शहर के एक छोटे परिवार, जिसमें माता-पिता काम पर जाते हैं और पुत्र-पुत्री कॉलेज, वहां सभी संवेदनशील फैसलों में घर की स्त्री की बड़ी भूमिका हो गई है। लिहाजा कोशिश यह हो कि महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर पूरा ध्यान रहे, ताकि मतदान के दिन उस परिवार के वोट अपने खाते में लेने में दिक्कत न आए।
इसके लिए बीजेपी ने महंगाई और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों पर खास ध्यान देने का फैसला किया है। चाय पे चर्चा के दौरान नरेंद्र मोदी ने महिला सुरक्षा के नाम पर बने एक हजार करोड़ रुपये के निर्भया फंड से एक पैसा भी खर्च करने के लिए मोदी ने यूपीए सरकार को आड़े हाथों लिया। इसी तरह 181 नंबर के हेल्पलाइन बंद होने का भी जिक्र किया, जहां काम कर रही महिला कर्मचारियों को पैसा नहीं दिया गया।
अपने चुनावी घोषणा पत्र और विजन डॉक्यूमेंट में भी बीजेपी महिलाओं पर खास ध्यान देगी। मोदी ने कहा है कि पार्टी का लक्ष्य आज़ादी के 75 साल पूरे होने पर 2022 तक हर घर में बिजली, पानी और शिक्षा की सुविधा पहुंचाना है।
जब महिला मतदाताओं का प्रश्न आता है, तो उन्हें लुभाने में कोई भी राजनीतिक दल पीछे नहीं रहना चाहता। व्यक्तिगत छवि के चलते कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी दोनों ही महिलाओं में बेहद लोकप्रिय हैं। शायद इसीलिए बीजेपी ठोस मुद्दों और वादों के साथ मैदान में उतरी है, ताकि महिला मतदाताओं का साथ ले सके और मोदी ने आगे रहकर इसकी कमान अपने हाथों में ली है।