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This Article is From Dec 01, 2014

सेंट्रल हाल से : संसद के मैन्यू का नया मेहमान

Manoranjan Bharti, Rajeev Mishra
  • Blogs,
  • Updated:
    दिसंबर 01, 2014 16:59 pm IST
    • Published On दिसंबर 01, 2014 16:26 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 01, 2014 16:59 pm IST

संसद के सेंट्रल हॉल में आजकल हैदराबादी बिरयानी की खासी चर्चा में है। वजह है कि यह संसद के मैन्यू में अभी-अभी शामिल किया गया है। इस बार संसद की फूड समिति में तेलंगाना के सांसद भी हैं जिन्होंने मैन्यू में हैदराबादी बिरयानी के अलावा मीठे में खूबानी का मीठा और शाही टुकड़ा भी शामिल करवाया है।

हैदराबादी बिरयानी की खपत रोज 150 प्लेट से अधिक है और कीमत है 50 रु, बिरयानी की मात्रा भी ठीक-ठाक है, साथ में सालन भी मिलता है, मगर खूबानी का मीठा 75 रु में मिलता है वो भी थोड़ा सा। अब वो दिन भूल जाइए जब संसद भवन में 13 रू में वेज थाली मिल जाती थी। हमने इतनी बार संसद के सस्ते कैंटिन पर ख़ूब स्टोरी की। लगता है कि उसी की वजह से सांसदों के सस्ते खाने के अच्छे दिन चले गए। वैसे अभी भी बाजार से कम कीमत पर मिलता है। नए नियम के अनुसार चम्मच छूरी और कांटे एक कागज के लिफाफे में दिया जाता है।

मगर ये असली कहानी नहीं है। संसद में पांच जगह कैंटिन है, जिसमें सेंट्रल हॉल भी शामिल है। मगर खाना केवल दो जगह ही पकता है। एक रिशेप्सन की कैंटिन में और दूसरे संसद की लाइब्रेरी कैंटिन में। पिछली लोकसभा की अध्यक्ष मीरा कुमार ने एक समिति बनाई थी जिसने अपनी रिपोर्ट में यह कहा कि संसद भवन के अंदर खाना बनाना सुरक्षित नहीं है।

आप भी सोच रहे होंगे कि यह विशालकाय संसद लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही के लिए भी सुरक्षित है या नहीं। जी हां इस पर पिछले लोकसभा अध्यक्ष के वक्त बहस चली थी कि अब एक नई संसद बनाने की जरूरत है। वो बहस बीच में ही ख़त्म हो गई। इस सब से यह हुआ कि संसद के अंदर खाना बनना बंद हो गया।

अब खाना संसद की लाइब्रेरी में बनता है। वो भी 6 बजे सुबह से। स्टाफ पांच बजे से आने लगते हैं। संसद भवन के अंदर बना बनाया नाश्ता 9 बजे से पहले लाया जाता है। लंच 11 बजे तक आ जाता है जो 3 बजे तक परोसा जाता है। यहां खाना माइक्रोवेव में दुबारा गरम किया जाता है।

अब समस्या है कि बरतन कैसे धोया जाए क्योंकि अंदर बरतन धोने की कोई व्यवस्था नहीं है। ये बरतन तब तक वहां पड़े रहते हैं जब तक सदन की बैठक चलती रहती है। सदन की बैठक यदि शाम 6 बजे खत्म हुई तभी ये बरतन बाहर धुलने जाते हैं। आप सोच सकते हैं स्टाफ का क्या हाल होता है।

फिलहाल संसद के सेंट्रल हाल में हैदराबादी बिरयानी का जलवा कायम होने लगा है। पिछले हफ्ते सीपीएम सांसद ने मानव संसाधन मंत्री को ख़त लिखा था कि आईआईटी दिल्ली में मांसाहार बंद कर दिया गया है। सीताराम येचुरी चाहते थे कि मंत्री इस फैसले को वापस ले लें। मांसाहार को हटा देना छात्रों के अधिकार के ख़िलाफ़ है। गनीमत है, सांसदों ने अपने इस अधिकार को बनाए रखा है और सही मायने में भारत के अलग-अलग प्रांतों की भोजन विविधता वहां दिख रही है।

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