कर्नाटक का विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है राजनैतिक दलों का पारा भी चढ़ता जा रहा है. लगता है बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इसे अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है. प्रधानमंत्री पहले यहां 15 रैलियां करने वाले थे अब वे 21 रैलियां करेंगे. यानि बीजेपी ने सबकुछ दांव पर लगा दिया है यहां तक की प्रधानमंत्री को भी. मगर सबसे बडा सवाल उठता है कि आखिर कर्नाटक बीजेपी के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है. यदि भारत के नक्शे को देखें तो यह साफ साबित होता है कि बीजेपी ने उत्तर भारत में अपना दबदबा बना रखा है.
बीजेपी 22 राज्यों में सत्ता पर है. यहां तक कि असम और त्रिपुरा जीतने और कुछ उत्तर पूर्वी राज्यों में भी सरकार बना कर वह पूरे भारत में छा गई है. अब जरा नजर डालते हैं दक्षिण पर यहां बीजेपी का खाता खुलना बाकी है. वजह है कि कर्नाटक बीजेपी के लिए के लिए खासा महत्व रखता है. चुनाव प्रचार चरम पर है और आरोप-प्रत्यारोप भी. नेता एक दूसरे पर निजी तौर पर हमला करने लगे हैं. यही नहीं यह जंग ट्वीटर पर भी जारी है जो कि लगातार बढ़ती ही जा रही हैं. इस सब का मतलब क्या है साफ है बीजेपी को हर हाल में कर्नाटक चाहिए उसके लिए उसने प्लान बी भी तैयार कर रखा है.
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कर्नाटक में एक तीसरा कोण भी है और वो है जेडीएस, यानि देवगौडा की पार्टी यह पार्टी दिखाना तो यह चाहती है कि वो बीजेपी के खिलाफ है मगर बीजेपी के लिए दरवाजे खुले भी रखना चाहती है. देवगौडा जहां यह दिखाते हैं कि वो बीजेपी के खिलाफ हैं वहीं कुमारास्वामी का कोई भरोसा नहीं है. वो पहले भी बीजेपी के साथ जा चुके हैं. यदि त्रिशंकु विधान सभा हुई तो जेडीएस किंग मेकर की भूमिका में होगी. कर्नाटक के लिए बीजेपी ने साम, दाम, दंड, भेद की रणनीति अपना रखी है और कोई भी कसर नहीं छोड रखी है. खासकर लिंगायत वोटों की अहमियत को देखते हुए येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनने के लिए ताल ठोंक रहे हैं. कर्नाटक में लिंगायत की आबादी 17 फीसदी है, जो काफी महत्वपूर्ण है किसी भी पार्टी के लिए.
यही वजह है कि अमित शाह और राहुल गांधी दोनों लिंगायत मठों का चक्कर लगा चुके हैं और तो और सिद्धारमैया तो एक कदम जाते हुए लिंगायत को एक अलग धर्म और अल्पसंख्यक का दर्जा दे डाला. बीजेपी ने इसको देखते हुए एक और घेराबंदी कर रखी है तो अपार धन बल के साथ रेड्डी बंधु बीजेपी की गोद में बैठे चुके हैं. सुधाकर रेड्डी को तो टिकट नहीं दिया गया मगर उनके भाई करूणाकर रेड्डी और शोमशेखर रेड्डी सहित परिवार के 6 सदस्यों को टिकट दिए गए हैं. यानि कर्नाटक तो हरहाल में बीजेपी को चाहिए मगर सबसे बड़ा सवाल है मगर आखिर क्यों? वजह दक्षिण में पैर जमाना तो है ही साथ में यह छोटा सा राज्य केरल जहां अभी तक वामपंथ या कांग्रेस का ही शासन रहा है. हाल के दिनों में बीजेपी और वाम दलों के कार्यकताओं के खूनी संर्घष से केरल की धरती लहुलुहान ही हुई है..एक अनुमान के अनुसार केरल में बीजेपी के 44 और वामदलों के 45 और कांग्रेस के 17 कार्यकत्ताओं ने अपनी जान गवांई है. यही वजह है कि कर्नाटक जीतने के बाद मिशन केरल के लिए कर्नाटक को जीतना जरूरी है. बीजेपी को वामदलों के हाथ से केरल जीतने की खुशी त्रिपुरा जीतने से ज्यादा आत्म संतोष देगी और एक बार कर्नाटक और केरल अमित शाह और प्रधानमंत्री की झोली में आ जाता है तो दोनों कह सकते हैं कि भारत को कांग्रेस मुक्त करने का उनका सपना लगभग पूरा हो गया है.
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This Article is From May 04, 2018
कर्नाटक बना कुरूक्षेत्र: क्या कांग्रेस के आखिरी किले को ध्वस्त कर पाएगी बीजेपी
Manoranjan Bharati
- ब्लॉग,
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Updated:मई 14, 2018 21:15 pm IST
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Published On मई 04, 2018 15:09 pm IST
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Last Updated On मई 14, 2018 21:15 pm IST
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