“क्या आप एनडीटीवी इंडिया पर हर रोज़ उन बीजेपी सांसदों के नाम चला सकते हैं, जो महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा और मतदान के वक्त संसद से गैरहाजिर रहते हैं? “एक वरिष्ठ मंत्री के इस सवाल ने मुझे चौंका दिया। मैंने उनसे पूछा था कि मंगलवार को जब राज्यसभा में राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर सीताराम येचुरी के संशोधन पर मतदान के समय सरकार की किरकिरी हुई तब बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के कई सांसद गैरहाजिर क्यों थे? वरिष्ठ मंत्री का यह सवाल उनकी हताशा बताता है, क्योंकि पार्टी अपने सांसदों को सदन में रखने के लिए धमकी, डांट, पुचकार जैसे तमाम हथकंडे अपना कर देख चुकी है।
सोमवार से बुधवार तक तीन दिनों के लिए बीजेपी ने अपने सभी सांसदों के लिए व्हिप जारी किया था। इन तीन दिनों में राष्ट्रपति अभिभाषण से लेकर बीमा, कोल, मोटर व्हीकल जैसे कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित होने थे। मंगलवार को राज्यसभा में जब भ्रष्टाचार और महंगाई रोकने में नाकाम रहने के विपक्ष के संशोधन को मंजूरी मिल रही थी तब बीजेपी के 46 में से दस और सहयोगी पार्टियों के 12 सांसद गैर-हाजिर थे। इसी तरह लोकसभा में बुधवार को जब बीमा विधेयक पर सीपीएम सांसद के संशोधन पर मतदान हुआ तब बीजेपी के सांसद बड़ी संख्या में गायब रहे।
मंगलवार के बाद से संसदीय कार्यमंत्री एम वेंकैया नायडू की ओर से सभी सांसदों को एसएमएस भेजे गए। व्हाट्स एप ग्रुप में संदेश दिए गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नाराजगी के बारे में बताया गया, लेकिन नतीजा रहा ढाक के वही तीन पात।
कई सांसदों ने कह दिया कि चूंकि शुक्रवार की होली के लिए गुरुवार को संसद में छुट्टी कर दी गई है इसलिए वो अपने संसदीय क्षेत्रों में बुधवार को ही निकल रहे हैं। कई सांसदों ने बुधवार दोपहर और शाम की ट्रेनों और विमानों में टिकट ले लिए थे। बीमा विधेयक पर लंबी खिंचती चर्चा इन सांसदों का रक्त चाप बढ़ा रही थी। इनमें से कई बार-बार आकर अपना संदेश भिजवा रहे थे कि वो निकलना चाह रहे हैं। मगर पार्टी व्हिप ने उनके पैरों में बेड़ियां बांध रखी थी। इनकी गुजारिशों से तंग आकर नायडू ने बोल दिया कि कोई भी सांसद 8 बजे से पहले की फ्लाइट न ले।
दूसरी तरफ, सांसदों की अपनी दिक्कतें हैं। कई सांसद इस बात से दुखी हैं कि उनके साथ स्कूली बच्चों की तरह व्यवहार किया जाता है। संसद सत्र के दौरान हर मंगलवार को होने वाली संसदीय दल की बैठक में उनसे कहा जाता है कि वह पीछे की कुर्सियों पर बैठने के बजाए आगे आएं। उन्हें सुबह साढ़े नौ बजे से पहले ही पहुंचना होता है। देर से आने पर चेतावनियां दी जाती हैं। प्रधानमंत्री मोदी क्लास लेते हैं। वो सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में उनसे पूछते हैं। हाथ उठा कर जवाब देने के लिए खुद को प्रस्तुत करना होता है। जवाब न आने पर बाकी सारे सांसदों के सामने शर्मिंदगी उठानी पड़ती है।
इस मंगलवार मोदी ने उनसे कहा कि वो अपने संसदीय क्षेत्रों में होली खेलने तो जाएं मगर जनता को बजट के बारे में भी बताएं। हर सांसद से कहा गया है कि वो अपने संसदीय क्षेत्र के हिसाब से बजट की बातों पर पर्चे छपवाएं। मिसाल के तौर पर अगर किसी सांसद के क्षेत्र में दलित आदिवासी आबादी अधिक है तो वहां के पर्चे में इस बात का खास जिक्र हो कि किस तरह से इन युवाओं के लिए रोजगार बढ़ाने के लिए अलग रकम का इंतजाम किया गया है। सिर्फ इतना ही नहीं, सभी सांसदों से कहा गया कि वो इन पर्चों की एक कॉपी प्रधानमंत्री कार्यालय भी भेजें ताकि ये देखा जा सके कि सांसदों ने इस काम को ठीक से किया है या नहीं।
इसके बाद कई बीजेपी सांसद संसद भवन में हैरान-परेशान घूमते नजर आए। उन्हें एक रेडी रेकनर की तलाश थी ताकि वो बजट के ये पर्चे बनवा सकें। यूपी के सांसदों का काम तो और बढ़ गया। उनसे कहा गया कि वो जनता को ये भी बताएं कि भूमि अधिग्रहण कानून में किए जा रहे संशोधन किसान विरोधी नहीं हैं। जबकि इनमें से कई सांसद ये मानते हैं कि इन संशोधनों से सरकार की छवि किसान विरोधी बन रही है।
कुछ सांसद ये कहते हुए भी मिल जाते हैं कि उनसे कहा जाता है कि वो संसद में अपने भाषणों को छोटा रखें ताकि सबको मौका मिल सके। वो कहते हैं कि ले-देकर अब उनके पास अब सिर्फ भाषण देने का ही काम बचा था और सिर्फ एक वही मौका है, जहां उनका मुंह खुल सकता है पर अब उस पर भी लगाम लगाई जा रही है।
दरअसल, संसद का हर सत्र सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होता है। नेतृत्व नहीं चाहता कि उसके सांसदों की वजह से किसी काम में अड़चन आए या उन्हें लेकर उसे सवाल झेलने पड़ें। यही वजह है कि नेतृत्व सांसदों को लेकर जरूरत से अधिक चौकन्ना है वहीं सांसदों की मायूसियों और दिक्कतों को लेकर अंजान भी।
This Article is From Mar 05, 2015
अखिलेश शर्मा की कलम से : सांसदों से दुखी सरकार और सरकार से दुखी सांसद
Akhilesh Sharma
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Updated:मार्च 05, 2015 10:41 am IST
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Published On मार्च 05, 2015 10:29 am IST
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Last Updated On मार्च 05, 2015 10:41 am IST
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