देश के बेहतरीन बनाए गए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के अजमेरी गेट के इंट्री गेट में अंदर न जाकर उसी सड़क पर अगर आप आगे बढ़ेंगे, तो आपके नथुनों में पेशाब की ऐसी तीखी बदबू दाखिल होगी, जो शायद आपके दिमाग को कुछ वक्त के लिए सुन्न कर दे।
आप वहां से दूर बहुत दूर भागने के लिए मजबूर हो जाएंगे। यहां लाल, नारंगी और हरी डीटीसी की बसें खड़ी मिलेंगे। साथ ही एक चमकीले स्टील से बने डिब्बानुमा जगह पर डीटीसी का एक खोखा मिलेगा। इसी खोखे के बगल में कुछ लोग खड़े होकर पेशाब करते दिख जाएंगे।
इसी बदबू के बीच खोखे में दो बुजुर्ग बैठे मिले, जो सरकारी काम को बड़ी मेहनत से अंजाम दे रहे थे। फोटो अगर आप ध्यान से देखें तो डीटीसी यानी दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के इस खोखे में बसों के कंडक्टर अपनी रूट का लेखा-जोखा देते मिलेंगे।
सरकारी नौकरी में कारण बताओ नोटिस की खासी अहमियत होती है। इसी के चलते इस खोखे में बैठे दो सरकारी कर्मचारियों के नाम नहीं बता सकता हूं। लेकिन मेरे मन में इन दो बुजुर्गों के प्रति बेहद सम्मान आया, जो बदबू के इस 'आतंकवाद' के बीच निडरता से सरकारी काम को अंजाम दे रहे हैं।
इसी खोखे के बगल में एक मानसिक रोगी बैठा था, जो पेशाब नहीं, बल्कि पेट का वजन हल्का कर रहा था। मेरे हाथ में माइक और कैमरा देखकर उस सरकारी कर्मचारी के सब्र का बांध टूट गया। खोखा दिखाते बोला 10 लाख लोगों को रोज़ाना घर पहुंचाने वाली डीटीसी का ये हाल देखिए, यहां न पानी है, न बिजली है, ऊपर से (उस मानसिक रोगी और पेशाब कर रहे दो चार लोगों को दिखाकर) इन बेशर्मों को शर्म भी नहीं आती है। आप यहां पांच मिनट भी रुककर दिखा दें बेटा...हम लोग क्या करें या तो इस पेशाब के बीच काम करो या नौकरी छोड़ो...मैं बगलें झांकने लगा।
पेशाब की गंध तीखे तरीके से दिमाग पर हमला करती महसूस हुई। मैं वहां से भाग जाना चाहता था। तभी उस बुजुर्ग ने कहा छोड़िए, आप क्या खबर बनाएंगे...उसने सिर झटका और उस खोखे में जाकर बैठ गया। जहां पेशाब और शौच का कॉकटेल बदबू किसी बाज की तरह उस डीटीसी के खोखे को दबोचे हुआ था, खोखे के बाहर खड़े कंडक्टर की आवाज सुनाई पड़ी जल्दी करो ताऊ क्यों दुर्गंध सुंघा रहे हो। मैं भी जल्दी से कार में बैठा और तेजी से दरवाजा बंद कर एक लंबी सांस ली और आगे बढ़ गया...