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This Article is From Feb 25, 2015

अयोध्या मसले पर समझौते की कोशिशों को बड़ा झटका

Kamal Khan, Rajeev Mishra
  • Blogs,
  • Updated:
    फ़रवरी 25, 2015 23:35 pm IST
    • Published On फ़रवरी 25, 2015 23:32 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 25, 2015 23:35 pm IST

अयोध्या मसले में समझौते की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है क्योंकि इस मामले में दोनों तरफ से मुक़दमा लड़ रहे चार बड़े दावेदारों निर्मोही अखाड़ा, वीएचपी, हिन्दू महासभा और सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड ने किसी तरह के समझौते से इनकार कर दिया है। निर्मोही अखाड़े और वीएचपी ने तो कहा है कि उनका दवा पूरी विवादित ज़मीन पर है, इसलिए वहां मंदिर और मस्जिद दोनों उन्हें क़ुबूल नहीं।

मालूम हो कि अयोध्या में हनुमान गढ़ी के महंत और निर्मोही अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत ज्ञानदास और बाबरी मस्जिद मुक़दमे के सबसे बुज़ुर्ग पैरोकार हाशिम अंसारी ने विवादित ज़मीन पर अगल-बगल मंदिर मस्जिद और उनके बीच 100 फ़ीट की दीवार उठाने की पेशकश की थी। महंत ज्ञानदास उस अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष हैं, जिसका निर्मोही अखाड़ा सदस्य है। इसलिए वह निर्मोही अखाड़े की तरफ से यह पेशकश कर रहे थे।

1961 में जिस वक़्त मुल्क में "धर्मपुत्र" फिल्म का गाना, "यह मस्जिद है और वह बुतखाना, चाहे यह मानो, चाहे वह मानो सुपरहिट हुआ था, उसी साल चार मुस्लिम पैरोकारों ने बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक़ का दावा पेश किया था। उनका कहना था कि मस्जिद में मूर्तियां रख दी गई हैं। वह मस्जिद है बुतखाना नहीं। सालों से यह तय नहीं हो पाया है कि वहां किसके खुदा की इबादत हो।

समझौता वार्ता की खबरें आते ही उस पर हर तरफ से तीखी प्रतिक्रियाएं आने लगीं। निर्मोही अखाड़े के महंत रामदास ने कहा, "समझौते की कोई भी कोशिश सिर्फ उन्हीं तीन लोगों के बीच हो सकती है, जिन्हें हाई कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित ज़मीन का एक तिहाई हिस्सा दिया है। चूंकि यह ज़मीन निर्मोही अखाड़े, रामलला विराजमान की तरफ से वीएचपी और सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड को मिली है इसलिए सिर्फ वही कोई समझौता कर सकते हैं, महंत ज्ञानदास नहीं। और चूंकि हमारा दावा पूरी ज़मीं पर मंदिर का है इसलिए हम वहां मंदिर-मस्जिद दोनों बनाने का कोई समझौता नहीं कर सकते।"

वीएचपी भी इस मुक़दमे में आ गई थी उसके केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम नारायण सिंह ने भी कहा है कि पूरी ज़मीन रामलला की है इसलिए इस पर कोई समझौता नहीं हो सकता। उधर, सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी का कहना है कि "इसके पहले जितनी बार भी अदालत से बाहर समझौते की कोशिशें हुई हैं, हर बार मंदिर पक्ष ने यही मांग रखी कि मस्जिद के दावेदार अपना दावा छोड़ दें, ऐसे में समझौते का कोई सवाल नहीं, अदालत जो भी फैसला देगी हमें मंजूर होगा।"

उधर, हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रमोद पंडित जोशी ने मुंबई से हमें बताया कि वे भी पूरी ज़मीन मंदिर के लिए चाहते हैं, इसलिए महासभा इस तरह का कोई समझौता नहीं चाहती।

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