नई दिल्ली:
17वें एशियाई खेलों के लिए भारतीय ओलिंपिक संघ ने क़रीब हज़ार खिलाड़ियों की लिस्ट भेजी है। भारतीय खेल प्राधिकरण यानी साई को इस नंबर से ऐतराज़ है। लेकिन कई खिलाड़ी और खेल संघों के अधिकारी मानते हैं कि बड़ा दल होने में कोई बुराई नहीं है।
भारतीय खेल प्राधिकरण यानी साई ने एशियन गेम्स के लिए जा रही टीम को छोटा करने का इशारा किया और भारतीय ओलिंपिक संघ के अधिकारी भड़क गए। कई खिलाड़ी भी इस बात से इत्तेफ़ाक नहीं रखते कि बहुत बड़ी टीम को भेजने का कोई नुकसान है।
पूर्व वर्ल्ड नंबर वन शूटर मानवजित सिंह संधू कहते हैं कि इससे फ़र्क नहीं पड़ना चाहिए कि कितने खिलाड़ी जा रहे हैं। यह देखना चाहिए कि उनमें मेरिट है या नहीं। मैं अपने खेल के बारे में कह सकता हूं कि जितने सपोर्ट स्टाफ़ जा रहे हैं, सबकी उपयोगिता है। सब हमारे खेल में मदद करते हैं।
पहली बार एशियाई खेलों में हिस्सा लेने जा रहीं मलाइका गोयल भी मानवजित सिंह संधू से सुर मिलाती दिख रही हैं। ग्लासगो कॉमनवेल्थ खेलों की रजत पदक विजेता 16 साल की मलाइका कहती हैं कि नंबर्स क्यों देख रहे हैं, इससे क्या फ़र्क पड़ेगा। ज्यादा एथलीट बाहर जाएंगे तो उन्हें ज्यादा एक्सपोज़र मिलेगा जो खेलों के लिए अच्छा है।
भारतीय ओलिंपिक संघ यानी आईओए के अधिकारी ज्यादा ही भड़के हुए हैं। आईओए के महासचिव राजीव मेहता कहते हैं कि भारतीय खेल प्राधिकरण का यह अधिकार नहीं है कि वह तय करे कि कितने एथलीट एशियाई खेलों में हिस्सा लेने जाएंगे। मंत्रालय कहे तो फिर भी मैं समझ सकता हूं।
आईएओ के महासचिव होने के नाते मैं आपको यकीन दिलाता हूं कि सारे खिलाड़ी एशियाड के लिए जाएंगे। अगर इनके लिए सरकार पैसा नहीं देगी तो हम पैसा देने को तैयार हैं।
भारतीय खेल प्राधिकरण यानी साई के डीजी जीजी थॉमसन ने एक दिन पहले बयान दिया कि अगर मुक्केबाज़ी संघ के चुनाव वक्त पर नहीं हुए तो भारतीय मुक्केबाज़ों का एशियाड में खेलना मुश्किल हो सकता है। साई के इस बयान ने भारतीय ओलिंपिक संघ के अधिकारियों को और भड़का दिया है।
भारतीय ओलिंपिक संघ की बॉक्सिंग की एडहॉक कमेटी के चेयरमैन तरलोचन सिंह आक्रामक अंदाज़ में पूछते हैं कि साई का काम खेलों को बढ़ावा देना है या खेलों को बंद करवाना है। उन्होंने बॉक्सिंग को लेकर जो बयान दिया है, वह ग़लत है। मुक्केबाज़ एशियाड के लिए जाएंगे और तिरंगे के नीचे ही प्रतियोगिताएं खेलेंगे।
इंचियन में होने वाले 17वें एशियाई खेलों में खिलाड़ियों के जाने से पहले विवाद की शुरू हो गए हैं, जिसे अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता। एशियाई खेलों में जाने से पहले अधिकारियों और खिलाड़ियों के रवैये से साफ़ है कि माहौल में तनाव है जो खेलों के लिए अमूमन अच्छा नहीं माना जाता। खेल से पहले विवाद जितने कम हों खिलाड़ियों को अपना फ़ोकस बनाए रखने में उतनी मदद मिलेगी।