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This Article is From Feb 13, 2015

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के नाम खुली चिट्ठी

Gaurav Tamrakar, Vivek Rastogi
  • Blogs,
  • Updated:
    फ़रवरी 13, 2015 17:05 pm IST
    • Published On फ़रवरी 13, 2015 16:56 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 13, 2015 17:05 pm IST

प्रेसीडेंट बराक ओबामा
द व्हाइट हाउस
1600, पेन्सिलवेनिया एवेन्यू, एनडब्ल्यू
वॉशिंगटन डीसी, 20500


मिस्टर प्रेसीडेंट,

आपने कई बार कहा कि आप गांधी जी और मार्टिन लूथर किंग से प्रेरणा लेते हैं। आप भारत आए तो गांधी जी की समाधि पर भी गए, लेकिन भारत दौरे से जाने के बाद आपने कहा कि भारत में पिछले कुछ सालों में धार्मिक असहनशीलता बढ़ी है और अगर आज गांधी होते, तो आहत होते।

आपके देश में 9/11 के बाद मुसलमान को किस नज़र से देखा जाता है...? पगड़ी पहने सिखों पर हमले किए जाते हैं, यह बात किसी से छिपी नहीं है। चैपल हिल में यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ केरोलिना के नज़दीक तीन मुस्लिम नौजवानों को एक सनकी ने गोली मार दी। पुलिस इसे पार्किंग की लड़ाई बता रही है, लेकिन मारी गई एक लड़की के पिता की मानें तो तीनों मुस्लिम नौजवानों को मार देने वाला क्रैग स्टीफन हिक्स उनसे नफरत करता था और यह नफरत इसलिए थी, क्योंकि वे मुस्लिम थे।

आपके ही अमेरिका में भारत से गए एक नन्हे बच्चे का दादा और अमेरिका में काम करने वाले बेटे का बाप, आपकी पुलिस की मारपीट का शिकार बना। उसे लकवा मार गया है और वह अस्पताल में भर्ती है। उसका कसूर इतना था कि उसका रंग सफेद नहीं था और वह इंग्लिश नहीं बोल पाता था। मुझे यकीन है कि जिसने पुलिस को उसके संदिग्ध होने की ख़बर दी होगी, उसने उन्हें आतंकी या चोर-उचक्के की नज़र से ही देखा होगा, क्योंकि उसकी चमड़ी का रंग सफेद नहीं था।

आप तो अमेरिका के अश्वेत राष्ट्रपति हैं, लेकिन आपके राज में पिछले कुछ महीनों में काले रंग के लोगों को गोली मारने की घटनाएं हुईं, बदला लेने की कोशिश हुई और कुछ पुलिसवालों को भी जान गंवानी पड़ी है। यह आपको इसलिए नहीं कह रहा हूं, बॉलीवुड का वह डॉयलॉग आपको याद दिलाऊं कि 'जिनके घर शीशे के होते हैं वो दूसरों के घर पत्थर नहीं फेंकते' और 'सेनोरिटा बड़े-बड़े देशों में होने वाली हर बात छोटी नहीं होती'... यू नो वॉट आई मीन...

मुझे तो हमारे-आपके गांधी जी की एक कहानी याद आई गई थी। आपने भी पढ़ी होगी। शायद भूल गए होंगे, इसलिए ज़िक्र कर रहा हूं। गांधी जी पर लोगों का अटूट भरोसा था। एक दिन एक मां-बाप अपने बेटे को लेकर आए और गांधी जी से कहा कि यह गुड़ बहुत खाता है। गांधी जी ने उनसे कहा कि आप अगले हफ्ते आइए, ऐसे ही कुछ हफ्ते गुज़रते गए और गांधी जी अगले हफ्ते फिर आने को कहते। एक दिन गांधी जी ने बच्चे को समझाया कि ज़्यादा गुड़ मत खाओ, तो मां-बाप ने बापू से कहा कि यह बात तो आप पहले भी कह सकते थे... तो गांधी जी ने कहा, मैं उस समय खुद बहुत गुड़ खाता था, अब बंद कर दिया है। मैं जो काम खुद नहीं कर सकता, उसके लिए दूसरों को नहीं कहता हूं।

गांधी के देश का बाशिंदा

गौरव ताम्रकार

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