राज्यसभा के उप सभापति पद के लिए कल सुबह मतदान होगा. मुकाबला दो हरि के बीच है. एक हरि हैं जेडीयू के हरिवंश. दूसरे हरि हैं कांग्रेस के बीके हरिप्रसाद. हरि बनाम हरि के मुकाबले में विपक्ष उम्मीदवार चुनने में अंग्रेजी वाली 'हरी' यानी जल्दबाजी नहीं कर पाया. इसलिए फिलहाल बीके हरिप्रसाद की हालत कमजोर दिख रही है. कांग्रेस उन पार्टियों का समर्थन हासिल नहीं कर सकी जो उससे और बीजेपी से समान दूरी रखना चाहते हैं. पहले कोशिश थी कि एनसीपी की वंदना चव्हाण को मुकाबले में उतारा जाए. लेकिन जब शरद पवार को बीजू जनता दल के नेता और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के समर्थन का भरोसा नहीं मिला तो उन्होंने चव्हाण के नाम पर ना कर दी.
दरअसल, राज्यसभा का अंक गणित ऐसा है कि बीजेडी नौ सांसदों के साथ किंग मेकर बनकर उभरी है. सोमवार को चुनावों के ऐलान के बाद ही नीतीश कुमार ने पटनायक से संपर्क साधकर हरिवंश के लिए समर्थन मांग लिया था. वहीं विपक्ष बैठक पर बैठक करता रहा मगर उम्मीदवार तय नहीं कर सका. नतीजा यह हुआ कि कुछ विपक्षी पार्टियां अब कांग्रेस के साथ जाने को तैयार नहीं दिख रहीं. समाजवादी पार्टी का कहना है कि अगर आम राय बनती तो बेहतर होता. दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी ने कहा कि अगर समर्थन चाहिए तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अरविंद केजरीवाल को फोन करना पड़ेगा.
एक नज़र राज्यसभा के अंक गणित पर डाल लेते हैं. राज्यसभा की कुल संख्या 245 और मौजूदा संख्या 244 है. जीत के लिए 123 सदस्यों का समर्थन चाहिए. एनडीए के पास 95 सांसद हैं. एआईएडीएमके, बीजेडी, टीआरएस तथा कुछ निर्दलीय और मनोनीत सांसदों को मिलाकर उसकी संख्या 124 हो जाती है जो जीत के लिए पर्याप्त है. वहीं विपक्ष में यूपीए के पास 61 सांसद हैं. टीएमसी, बसपा और टीडीपी जैसे दलों को मिलाकर आंकड़ा 104 हो जाता है. सपा और आप के 16 सांसदों का रुख साफ नहीं. लेकिन अगर ये विपक्ष के साथ जाते हैं तो आंकड़ा 120 ही रहता है जो कि काफी नहीं है. पीडीपी के दो सांसद मतदान में हिस्सा नहीं लेंगे. यानी विपक्ष का आंकड़ा 118 रह सकता है. अगर इंडियन नेशनल लोक दल ने हरिवंश को वोट दिया तो एनडीए की संख्या 125 और विपक्ष की 117 ही रह जाएगी. वायएसआर कांग्रेस भी अगर गैर हाजिर रहती है तो विपक्ष की संख्या घट कर 116 ही आ जाएगी. डीएमके के चार सांसद करुणानिधि के निधन के कारण अनुपस्थित रह सकते हैं. ऐसे में संख्या घट कर 111 रह जाएगी. विपक्ष को तब निराशा हाथ लगी जब शिवसेना और अकाली दल ने हरिवंश के समर्थन का फैसला किया.
विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव में शिवसेना ने गैरहाजिर रहकर एनडीए को झटका दिया था. अविश्वास प्रस्ताव की ही बात करें तो उसमें एआईएडीएमके के समर्थन से एनडीए को 330 वोट मिले थे जबकि विपक्ष को 135, जो विपक्ष की उम्मीद से कम थे. लेकिन सोमवार को लोक लेखा समिति के लिए राज्यसभा से सदस्यों के चुनाव में विपक्ष की रणनीति ने सरकार को चौंका दिया था. उसमें कांग्रेस के समर्थन से टीडीपी के सी एम रमेश को सबसे ज्यादा 106 वोट मिले थे. जबकि बीजेपी के भूपें यादव को 69 वोट मिले. हरिवंश को सिर्फ 26 वोट मिले थे और वे हार गए थे.
सरकार इसका बदला कल के चुनाव में चुकाना चाहेगी. उसकी कोशिश होगी कि विपक्ष में फूट सबके सामने दिखे. 2019 के चुनाव से पहले विपक्ष में एक राय न बन पाना बीजेपी के लिए बड़ा मुद्दा है. बीजेपी कह सकती है कि जो पार्टियां उपसभापति के नाम पर एक नहीं हुईं वे प्रधानमंत्री के नाम पर एक कैसे होंगी. दूसरी तरफ कांग्रेस की कोशिश यह दिखाने की होगी कि बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में कौन कहां खड़ा है खासतौर से तब जबकि ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव हैं.
(अखिलेश शर्मा NDTV इंडिया के राजनीतिक संपादक हैं)
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This Article is From Aug 08, 2018
हरि बनाम हरि में हारे को हरिनाम
Akhilesh Sharma
- ब्लॉग,
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Updated:अगस्त 08, 2018 20:49 pm IST
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Published On अगस्त 08, 2018 20:49 pm IST
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Last Updated On अगस्त 08, 2018 20:49 pm IST
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