बीजेपी को नोटबंदी पर नरेंद्र मोदी के सहारे नैया पार लगने की उम्मीद

बीजेपी को नोटबंदी पर नरेंद्र मोदी के सहारे नैया पार लगने की उम्मीद

नोटबंदी पर सड़क की लड़ाई संसद तक पहुंचने के साथ ही इसके राजनैतिक नफे-नुकसान का संघर्ष निर्णायक दौर में पहुंच गया है. विपक्ष की कोशिश है कि आम लोगों को इस फैसले से हुई तकलीफ को इतना बड़ा मुद्दा बना दिया जाए कि उत्तर प्रदेश में वोट डालते वक्त लोग सिर्फ इसी तकलीफ को ध्यान में रखें, और फायदे गिनाने की भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की कोशिशें नाकाम हो जाएं. वहीं बीजेपी ने कमर कस ली है कि हर हाल में लोगों को याद दिलाया जाए कि देश से काले धन को खत्म करने के लिए नोटबंदी का यह फैसला कितना ज़रूरी था और सरकार लोगों की तकलीफ कम करने के लिए भरपूर कोशिश कर रही है.

हालांकि बीजेपी नेता मानते हैं कि तमाम दिक्कतों के बावजूद अगर अधिकांश लोग सरकार के इस फैसले के साथ खड़े हैं, तो इसकी एकमात्र वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता है. बीजेपी नेताओं का कहना है कि लोग इस बात से बेहद प्रभावित हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निर्णय लेते हैं. चुनावों को लेकर चल रही मशक्कत के बीच भी इसीलिए बीजेपी को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री के नाम पर ही उसकी नैया पार लग सकेगी. जापान से आने के बाद 14 नवंबर को गाज़ीपुर की रैली में प्रधानमंत्री के भाषण को भी यूपी में बीजेपी के चुनावी अभियान की दिशा तय करने वाला माना जा रहा है. इस भाषण में प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया था कि नोटबंदी का मकसद ईमानदार लोगों को नहीं, बेईमानों को तकलीफ पहुंचाना है. यानी मुद्दा ईमानदार बनाम बेईमान का है. बीजेपी यूपी चुनाव में इसी बात को लेकर आगे बढ़ेगी.

वैसे यह काम इतना आसान नहीं होगा. गांवों में खासतौर से रिपोर्ट आ रही हैं कि नोटबंदी के कारण किसानों को तकलीफ झेलनी पड़ रही है. उन्हें बुआई के लिए बीज और खाद के लिए नकदी का इंतजाम करने में परेशानी हो रही है. कुछ ऐसी ही दलील शादियों को लेकर दी जा रही है कि गांवों-कस्बों और शहरों में लोगों को शादियों के लिए पैसों का इंतज़ाम करने में परेशानी हो रही है.

बीजेपी के पास इसकी भी जवाबी दलीलें हैं. पार्टी का कहना है कि किसानों के लिए खाद और बीज का इंतजाम सहकारी बैंकों के ज़रिये होता है. वैसे भी बुआई के लिए कोई तय तिथि नहीं है और इसे एक मियाद के भीतर निपटाया जाता है. अधिकांश किसानों ने दीपावली के आसपास अपनी फसल बेच कर बुआई का इंतजाम कर लिया था. किसानों को बुआई के लिए खाद और बीज नहीं खरीदने होते हैं, बल्कि सहकारी बैंकों और आढ़तियों से इन्हें दिया जाता है. बीजेपी का कहना है कि किसानों को इस बात की खुशी है कि मोदी सरकार ने काले धन पर अंकुश लगाने के लिए बड़ा फैसला किया है. चूंकि सहकारी बैंकों में जाली नोटों की छानबीन की सुविधा नहीं होती, इसीलिए फिलहाल इन बैंकों में नोट बदलने की सुविधा नहीं दी गई है. हालांकि पार्टी नेता यह मानते हैं कि शादियों में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

बीजेपी का कहना है कि लोगों की दिक्कतें दूर होने में अभी और समय लगेगा. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि उन्हें 50 दिन चाहिए. सरकार ने लोगों की तकलीफें कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं और इनका असर देखने को मिलेगा. इनमें नए नोटों को दूरदराज के इलाकों में भेजना, जिन इलाकों में बैंकिग की सुविधा नहीं है, वहां बैंक मित्रों के ज़रिये नकदी को बांटना जैसे कदम शामिल हैं. बीजेपी का मानना है कि यूपी चुनाव नज़दीक आते-आते हालात सामान्य होने लगेंगे और लोगों की दिक्कतें दूर होंगी. नियंत्रण रेखा पर हुई सर्जिकल स्ट्राइक को बीजेपी पहले ही चुनावी मुद्दा बना चुकी है. अब उसका इरादा काले धन के खिलाफ हुई सर्जिकल स्ट्राइक को लोगों को बीच ले जाकर मुद्दा बनाना है. माना जा रहा है कि 'परिवर्तन यात्रा' के दौरान प्रधानमंत्री की रैलियों में यह मुद्दा ज़ोर-शोर से उठाया जाएगा. बीजेपी को भरोसा है कि प्रधानमंत्री के नाम, चेहरे और साख के सहारे यूपी में वह लोगों को अपने पक्ष में करने में कामयाब होगी.

अखिलेश शर्मा NDTV इंडिया के राजनीतिक संपादक हैं...

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