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This Article is From Jun 28, 2018

सर्जिकल स्ट्राइक का फुटेज आखिर अब क्यों जारी किया गया ?

Akhilesh Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जून 28, 2018 21:13 pm IST
    • Published On जून 28, 2018 21:13 pm IST
    • Last Updated On जून 28, 2018 21:13 pm IST
सितंबर 2016 में पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाके में घुसकर आतंकवादी कैंपों को ध्वस्त करने और दर्जनों आतंकवादियों और पाकिस्तानी सैनिकों को मारने की कार्रवाई सर्जिकल स्ट्राइक का फुटेज आखिरकार सामने आ गया है. उड़ी आतंकवादी हमले में 18 भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद यह सैनिक कार्रवाई की गई थी. स्पेशल फोर्सेज ने पाकिस्तान के भीतर आतंकवादी कैंपों पर कार्रवाई की थी. इस कार्रवाई में दर्जनों पाकिस्तानी सैनिक और आतंकवादी मारे गए थे.

अब जारी किए गए फुटेज में कुछ पाकिस्तानी ठिकानों पर हमले को दिखाया गया है. यह फुटेज ड्रोन कैमरों और कमांडो के हैलमेट में लगे कैमरों से लिए गए हैं. इस पूरी कार्रवाई में हिस्सा लेने वाले सभी भारतीय सैनिक सुरक्षित वापस आ गए थे. सूत्रों के अनुसार यह फुटेज प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी किया गया है. फुटेज जारी करने से पहले रक्षा मंत्रालय या सेना को जानकारी नहीं दी गई. यह फुटेज भारत सरकार के प्रचार विभाग पीआईबी की ओर से जारी नहीं किया गया. 

सर्जिकल स्ट्राइक के वक्त रक्षा मंत्री रहे मनोहर पर्रिकर ने कहा कि जो फुटेज सामने आया वो पूरी कार्रवाई का बहुत छोटा हिस्सा है. इस बीच फुटेज को लेकर भी बहस छिड़ गई है. क्या इस तरह का संवेदनशील फुटेज जारी किया जाना चाहिए था? एक सवाल यह भी है पूछा जा रहा है कि क्या इस फुटेज को डेढ़ साल पहले सितंबर-अक्तूबर 2016 में सैनिक कार्रवाई के बाद ही जारी नहीं कर दिया जाना चाहिए था, ताकि सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर संदेह कर रहे लोगों का मुंह बंद करा दिया जाता. तब इस फुटेज को कुछ लोगों ने देखा था. लेकिन इसे जारी नहीं किया गया था. 

वैसे सिर्फ फुटेज ही नहीं बल्कि सर्जिकल स्ट्राइक भी सियासत के मैदान में फुटबॉल बन कर रही गई है, जिसका कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां एक-दूसरे के खिलाफ गोल करने के लिए इस्तेमाल कर रही हैं. इसकी शुरुआत पूर्व केंद्रीय मंत्री और बागी बीजेपी नेता अरुण शौरी के बयान से हुई, जिसमें उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक को फर्जिकल स्ट्राइक करार दिया था. इसी के बाद सर्जिकल स्ट्राइक का फुटेज पहली बार सामने आया. यह बताने के लिए कि पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक फर्जिकल स्ट्राइक नहीं थी. 

दरअसल, न तो सर्जिकल स्ट्राइक और न ही उसके फुटेज के बारे में आम जनता के मन में कोई संदेह रहा. लेकिन यह कुछ सियासी पार्टियों की ही करामात थी जिन्होंने इसे मुद्दा बनाने की कोशिश की थी. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहले नेता थे जिन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगा था. इसके बाद राहुल गांधी ने बीजेपी पर सर्जिकल स्ट्राइक के बहाने सियासत करने का आरोप लगाया था. वो यहां तक कह गए थे कि बीजेपी खून की दलाली कर रही है. 

सर्जिकल स्ट्राइक का फुटेज आने के बाद कांग्रेस एक बार फिर बीजेपी पर आक्रामक है. बीजेपी सर्जिकल स्ट्राइक को कड़ी सुरक्षा नीति का हिस्सा बताती है जिसमें दुश्मन को उसके घर में घुस कर मारा गया. कांग्रेस कहती आई है कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की सर्जिकल स्ट्राइक की गईं. लेकिन फर्क सिर्फ यह है कि पहली बार इसका ढिंढोरा पीटा जा रहा है, क्योंकि बीजेपी इसका सियासी फायदा उठाना चाहती है. तो अब जब हाल-फिलहाल कोई चुनाव सामने नहीं है आखिर यह फुटेज क्यों जारी किया गया? क्या यह जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगने के बाद सरकार के ठोस और सख्त इरादों को देश के सामने रखने के लिए आया या फिर सिर्फ अरुण शौरी जैसे नेताओं के बयानों पर पानी फेरने के लिए? क्या इसका मकसद 2019 से पहले राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर मोदी सरकार की सख्त छवि को और ज्यादा दुरुस्त करना है? क्या सर्जिकल स्ट्राइक पर विपक्ष के हमलावर तेवर उस पर भारी तो नहीं पड़ जाएंगे?

(अखिलेश शर्मा एनडीटीवी इंडिया के राजनीतिक संपादक हैं)

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इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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