बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. इसे चुनावी साल कहें तो गलत नहीं होगा. यही कारण है कि सभी राजनीतिक दल चुनाव अभियान में लगे हुए हैं. खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) अभी 'प्रगति यात्रा' (Pragati Yatra) पर हैं. मुख्य विपक्षी दल आरजेडी आज राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक करने जा रही है. इसमें वो तेजस्वी यादव को लेकर कोई बड़ी घोषणा कर सकती है. बीजेपी तो लगातार चुनाव की तैयारी कर ही रही है और प्रशांत किशोर छात्रों के जरिए 'कमाल' करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में एक बयान बिहार में चर्चा का विषय बना हुआ है.
निशांत कुमार क्या बोले?
ये बयान आया है नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार (Nishant Kumar ) की तरफ से. दरअसल, निशांत शुक्रवार को बख्तियारपुर पहुंचे थे. यहां उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्ति पर माल्यार्पण किया.यह राजकीय सम्मान के साथ पिछले चार सालों से हो रहा है. इस मौके पर उनके बेटे निशांत कुमार ने अपने दादा कविराज रामलखन सिंह की मूर्ति पर भी माल्यार्पण किया. इस दौरान मीडिया से बात करते हुए निशांत ने बड़ा बयान दे दिया.निशांत ने कहा कि वे इस साल में पहली बार मीडिया से रूबरू हो रहे हैं. इसलिए सभी लोगों को नए वर्ष की शुभकामना. उन्होंने कहा, "मेरे दादा जी स्वतंत्रता सेनानी रहे थे. जेल भी गए थे. आजादी के लिए, तो उसी के उपलक्ष्य में पिता जी ने यहां राजकीय सम्मान का दर्जा दिया है. हो सकेगा तो पिता जी को, उनकी पार्टी को, आप सब जनता वोट करें. फिर से लाएं. पिता जी ने अच्छे काम किए हैं." संवादाताओं ने जब उनसे सवाल किया कि क्या वे भी राजनीति में आएंगे? तो निशांत कुमार बिना कुछ बोले चले गए.
निशांत कुमार का ये बयान इसलिए मायने रखता है कि वो अब तक राजनीति से काफी दूर रहे हैं. मीडिया के सामने बहुत कम दिखते हैं. पिछले साल एक बार वह इलेक्ट्रॉनिक सामान लेने के लिए पटना के बाजार में निकले थे तो मीडिया से रूबरू हुए थे. उस वक्त भी उन्होंने राजनीति पर कुछ नहीं कहा था. बताया था कि वे भजन सुनने के लिए स्पीकर खरीदने आए हैं. आज जब चुनाव की बात हुई तो कुछ शब्दों में ही सही, लेकिन पिता को फिर से मुख्यमंत्री बनाने के लिए जनता से अपील कर दी है.
निशांत कुमार कौन हैं?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे अब 49 साल के हो चुके हैं. निशांत अभी अविवाहित हैं. पिता की राजनीतिक विरासत से जुड़े होने के बावजूद निशांत इससे दूर रहते हैं. निशांत ने अपनी स्कूली शिक्षा पटना के सेंट कैरेंस स्कूल से शुरू की, लेकिन चीजें तब बदल गईं जब एक शिक्षक ने उन्हें मारा, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए. अपने बेटे की सुरक्षा को लेकर चिंतित नीतीश कुमार ने निशांत को दूसरे स्कूल में भेजने का फैसला किया. इसके चलते निशांत को मसूरी के मानव भारती इंडिया इंटरनेशनल स्कूल में दाखिला मिला, जो उत्तराखंड की पहाड़ियों में स्थित एक बोर्डिंग स्कूल है.
निशांत ने अपनी स्कूली शिक्षा पटना केंद्रीय विद्यालय से की, जो एक प्रतिष्ठित सरकारी स्कूल है. स्कूल के बाद निशांत ने झारखंड के रांची में बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (बीआईटी) मेसरा से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. निशांत की मां मंजू सिन्हा एक स्कूल शिक्षिका थीं. उनका 2007 में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था.
क्या नीतीश कुमार की जगह लेंगे निशांत?
अब निशांत कुमार के इस बयान से बिहार में चर्चा है कि क्या तेजस्वी, तेज प्रताप, चिराग की तरह क्या निशांत भी अपने पिता के राजनीतिक उत्तराधिकारी होंगे. इस मामले में अब तक नीतीश कुमार के साथ-साथ जनता दल यूनाइटेड (JDU) के नेता चुप ही रहे हैं. हालांकि, इससे पहले भी मतदान के दौरान निशांत अपने पिता का समर्थन करते रहे हैं, लेकिन ये पहला मौका है, जब उन्होंने चुनाव से पहले ही इस तरह की अपील अपने पिता के लिए की है.
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