
बिहार के पूर्व मंत्री राजबल्लभ यादव ने बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राजद लीडर तेजस्वी यादव की पत्नी राजश्री की तुलना जर्सी गाय से कर दी. इसके बाद से राजबल्लभ और पूर्व विधायक कौशल यादव एक दूसरे पर हमलावर हैं. आखिर कौन है राजबल्लभ यादव और कौशल यादव. पढ़िये ये खास रिपोर्ट-
काला पहाड़ है राजबल्लभ का उपनाम
बिहार के पूर्व मंत्री और नवादा के पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव की मजबूत पृष्ठभूमि रही है. राजबल्लभ के पिता जेहल प्रसाद दिग्गज राजनीतिज्ञ थे. इसके अलावा वे पत्थर खनन का बड़े लीजधारी रहे हैं. इसके अलावा कांट्रेक्ट का भी काम करते रहे हैं. जेहल प्रसाद के काम में उनके बड़े पुत्र कृष्णा यादव और राजबल्लभ सहयोगी हुआ करते थे. कृष्णा यादव के आकस्मिक निधन के बाद राजबल्लभ पत्थर खनन का काम देखने लगे. राजबल्लभ के पास काफी पुस्तैनी जमीन है. यही नहीं, राजबल्लभ पत्थर के अलावा बालू खनन और बस स्टैंड की एजेंटी में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहे हैं. दबंग छवि और पहाड़ के कारोबार के कारण राजबल्लभ को ‘काला पहाड'़ के नाम से पहचान है.
विरासत में मिली राजबल्लभ को राजनीति
राजबल्लभ को राजनीति विरासत में मिली है. राजबल्लभ के पिता जेहल प्रसाद राजनीति करते थे. जेहल प्रसाद तीन दफा विधानसभा चुनाव लड़े थे, लेकिन जीत नही पाए थे. इसके बाद जेहल प्रसाद की सियासत को उनके पुत्र कृष्णा यादव ने आगे बढ़ाया. कृष्णा प्रसाद 1990 में नवादा सीट से बीजेपी से निर्वाचित हुए थे. फिर वह लालू प्रसाद के जनता दल में चले गए थे. 1994 में कृष्णा यादव का आकस्मिक निधन हो गया. इसके बाद राजबल्लभ यादव की राजनीति में इंट्री हुई. लेकिन 1995 में राजबल्लभ यादव को जनता दल से टिकट नही मिला. लिहाजा, राजबल्लभ निर्दलीय निर्वाचित हुए थे. फिर भी वह लालू प्रसाद के समर्थन में रहे. 2000 में राजबल्लभ जनता दल से निर्वाचित हुए और उन्हें राबड़ी सरकार के मंत्रिमंडल में श्रम राज्य मंत्री बनाए गए थे.
इसके बाद राजबल्लभ 2015 के चुनाव में नवादा सीट पर राजद से निर्वाचित हुए थे. लेकिन नाबालिग से रेप मामले का आरोपी हो जाने के कारण राजद ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था. हालांकि 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद ने राजबल्लभ की पत्नी विभा देवी को मौका दिया. फिलहाल वह राजद की विधायक हैं. लेकिन वह बागी हैं. बता दें कि राजबल्लभ का भतीजा अशोक यादव विधान पार्षद हैं. यही नहीं, राजबल्लभ की भाभी प्रमिला देवी विधान पार्षद रह चुकी हैं. जबकि राजबल्लभ के पिता जेहल प्रसाद जिला परिषद के अध्यक्ष रह चुके हैं.
हत्या और रेप के आरोपी रहे हैं राजबल्लभ
वैसे तो, राजबल्लभ के खिलाफ अब लगभग मुकदमा खत्म हो गया है. लेकिन उनकी छवि दबंग जैसी रही है. नब्बे की दशक में नवादा, नालंदा और शेखपुरा में जब जातीय नरसंहार का दौर था. तब राजबल्लभ का नाम अशोक महतो गिरोह के संरक्षक के रूप में जोड़कर देखा जाता था. राजबल्लभ के खिलाफ बस एजेंट आशु मलिक हत्याकांड का मामला दर्ज हुआ था. इस मामले में बरी हो चुके हैं. दूसरा बड़ा मामला 2016 में नाबालिग से रेप था. पिछले माह 14 अगस्त को पटना हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है. 2015 के चुनावी हलफनामा में राजबल्लभ यादव ने दो मुकदमा का जिक्र किया. शेखपुरा जिले के शेखोपुरसराय और नवादा थाना के मामले का.
व्हाइट हाउस है कौशल का उपनाम
वैसे तो, नवादा के पूर्व विधायक कौशल यादव की पृष्ठभूमि सियासत से जुड़ी रही है. लेकिन कौशल यादव राजनीति के साथ साथ कई बड़े धंधे से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहे हैं. कौशल यादव नाम बालू, शराब, बस स्टैंड और बैरियर पर चूंगी वसूली जैसे धंधे में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा रहा है. हालांकि फिलहाल ऐसे धंधे से कौशल परिवार की दूरी बनी है. लेकिन ऐसे धंधे के कारण कौशल की छवि दबंग जैसी बनी है. इसके चलते कौशल यादव को लोग व्हाइट हाउस के नाम से भी जानते हैं.
विरासत में मिली है कौशल को राजनीति
कौशल यादव को राजनीति विरासत में मिली है. कौशल यादव के पिता युगल किशोर यादव गोविंदपुर से विधायक निर्वाचित हुए थे. उनके निधन के बाद कौशल यादव की मां गायत्री देवी विधायक निर्वाचित हुई थीं. कौशल यादव कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई से अपनी राजनीति शुरू की थी. वह एनएसयूआई के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने थे. हालांकि उनकी मां गायत्री देवी उन्हें राजनीति में नही उतारना चाहती थी. फिर भी कौशल यादव सियासत में उतरे. यही नहीं, कौशल अपनी मां के खिलाफ गोविंदपुर में कई चुनाव भी लड़े. हालांकि मां से जीत नही पाए.
बता दें कि कौशल यादव पहली दफा फरवरी 2005 में गोविंदपुर से चुनाव जीते थे. उसके बाद अक्टूबर 2005 और 2010 में निर्वाचित हुए. फिर 2019 में नवादा विधानसभा के उपचुनाव में निर्वाचित हुए. लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में कौशल यादव राजबल्लभ की पत्नी विभा देवी से पराजित हो गए. दूसरी तरफ, कौशल यादव की पत्नी पूर्णिमा यादव भी चार दफा निर्वाचित हुई. फरवरी 2005 और अक्टूबर 2005 और 2010 के चुनाव में राजबल्लभ यादव को पराजित कर पूर्णिमा यादव नवादा सीट से निर्वाचित हुई. 2015 में पूर्णिमा यादव गोविंदपुर से निर्वाचित हुई. देखें तो, चार दफा कौशल यादव, चार दफा पूर्णिमा यादव और छह दफा उनकी मां गायत्री देवी और एक दफा उनके पिता युगल किशोर यादव निर्वाचित हुए.
बालू घोटाले का आरोपी हैं कौशल यादव
कौशल यादव के खिलाफ कुल सात आपराधिक मामले दर्ज है. 2020 में दायर चुनावी हलफनामा में कौशल यादव ने सभी सात मामलों का जिक्र किया है. नवादा थाना में बालू घोटाला से संबंधित तीन मामले हैं, जिसमें करीब दो करोड़ रूपए का खनन घोटाला का आरोप है. ये मामला नवादा सिविल कोर्ट में विचाराधीण है. यही नहीं, नरहट, रजौली, कौआकोल और नवादा थाना में कौशल के खिलाफ आपराधिक घाराओं में मामले दर्ज है. राजबल्लभ के मुताबिक, कौशल के खिलाफ कोडरमा में भी अपहरण का मामला है.
क्या है विवाद की वजह
दरअसल, राजबल्लभ और कौशल यादव के बीच सियासी शह मात का खेल होता रहता है. धंधे में ठेकेदारी के वर्चस्व को लेकर भी दांव पेंच चलते रहा है. लेकिन ताजा विवाद राजबल्लभ यादव एक बयान को लेकर है, जिसमें राजबल्लभ ने कहा है कि -जात पात खाली वोट के लिए किया जाता है. विवाह की बात आई तब कहां विवाह किया. एक यादवजी की लड़की का कल्याण होता. क्या जरूरत थी हरियाणा, पंजाब में शादी कराने की. लड़की लाना है कि जर्सी गाय. यादव समाज में कोई लड़की नही थी. एक ने यादव समाज में शादी किया तो उसे पार्टी से निकाल दिया. हालांकि बाद में राजबल्लभ ने कहा कि उनकी बातों को तोड़मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया.
दूसरी तरफ, कौशल यादव ने कहा है कि यादव समाज के लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव सर्वमान्य नेता हैं, उनकी बहू के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी से राजबल्लभ की घटिया सोच को दर्शाता है. इसके अलावा राजबल्लभ पर कई गंभीर आरोप लगाया. दूसरी तरफ, राजबल्लभ ने भी कौशल यादव पर कई गंभीर आरोप लगाया.
देखें तो, राजबल्लभ यादव राजद की राजनीति करते थे. जबकि कौशल यादव जदयू की. लेकिन मौजूदा समय में कौशल राजद का दामन थाम चुके हैं. जबकि राजबल्लभ एनडीए की ओर मुखातिब हैं.
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