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Sheikhpura Chunav Result: शेखपुरा में JDU के रणधीर कुमार सोनी जीते, RJD के मौजूदा विधायक विजय कुमार को हराया

Sheikhpura Result: 2025 के विधानसभा चुनाव में शेखपुरा सीट पर कांटे का मुकाबला देखा गया. एनडीए से इस सीट पर JDU को टिकट मिला तो वहीं महागठबंधन ने फिर से RJD के मौजूदा विधायक को उम्मीदवार बनाया था.

Sheikhpura Chunav Result: शेखपुरा में JDU के रणधीर कुमार सोनी जीते, RJD के मौजूदा विधायक विजय कुमार को हराया
शेखपुरा विधानसभा सीट पर NDA की जीत.
  • शेखपुरा विधानसभा सीट पर जेडीयू के रणधीर कुमार सोनी ने आरजेडी के विजय कुमार को शिकस्त दी है.
  • रंधीर कुमार सोनी दो बार विधायक रह चुके हैं और एनडीए ने 2025 के चुनाव में उन्हें फिर से उम्मीदवार बनाया था.
  • शेखपुरा सीट पर पहले कांग्रेस का दबदबा रहा है. राजो सिंह के परिवार का कब्जा यहां तीन दशक तक रहा है.
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पटना:

शेखपुरा विधानसभा सीट NDA के खाते में आ गई है. इस सीट पर मुख्य मुकाबला जेडीयू और आरजेडी के बीच था. जेडीयू उम्मीदवार रणधीर कुमार सोनी ने आरजेडी उम्मीदवार विजय सम्राट को हरा दिया है. वहीं जन सुराज के राजेश सिंह की भी करारी हार हुई है. रणधीर कुमार सोनी को शेखपुरा में 82922 वोट मिले हैं. उन्होंने 22547 वोटों के अंतर से आरडेजी उम्मीदवार को हराया है. जबकि अब तक इस सीट पर आरजेडी का कब्जा था. 

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शेखपुरा: मुख्य मुकाबला किन-किन के बीच था?

शेखपुरा में पहले चरण की वोटिंग में 61.95 प्रतिशत मतदान हुआ है. इस सीट पर मुख्य मुकाबला जेडीयू के रणधीर कुमार सोनी, आरजेडी के विजय सम्राट और जन सुराज के राजेश सिंह के बीच था. 

बिहार की शेखपुरा विधानसभा सीट एक जनरल सीट है. 2020 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर RJD ने जीत हासिल की थी. आरजेडी उम्मीदवार विजय कुमार ने 6,116 वोटों के अंतर से जीत हासिल कर जेडीयू के रणधीर कुमार सोनी को शिकस्त दी थी. NDA ने इस चुनाव में शेखपुरा विधानसभा सीट से पूर्व विधायक रणधीर कुमार सोनी को फिर से चुनावी मैदान में उतारा था. सोनी दो बार के विधायक हैं. पार्टी ने फिर से उन पर विश्वास जताया था जो कि सही साबित हुआ है. 

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  • शेखपुरा विधानसभा सीट पर अब तक 2 उपचुनाव समेत कुल 19 चुनाव हुए हैं.  यह क्षेत्र मुख्य रूप से कांग्रेस का गढ़ रहा है. कांग्रेस ने 12 बार इस सीट पर जीत दर्ज की है. 
  • शेखपुरा सीट 1967, 1969 और 1972 में CPI के पास रही, वह यहां लगातार 3 बार जीती थी.
  • जेडीयू ने इस विधानसभा सीट पर 2 बार जीत हासिल की.
  • एक बार आरजेडी और एक बार निर्दलीय प्रत्याशी ने भी यहां से जीत का परचम लहराया है.
  • 2010 और 2015 में इस सीट पर जेडीयू उम्मीदवार रणधीर कुमार सोनी जीते. 
  •  2020 के चुनाव में एलजेपी के अलग चुनाव लड़ने की वजह से वोट बंट गए, जिसकी वजह से RJD के विजय कुमार जीत गए थे. 
  • 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए जब एकजुट होकर चुनाव लड़ी तो एलजेपी (रामविलास) ने 13,684 वोटों से बढ़त बनाई थी.

शेखपुरा की राजनीति में कांग्रेस का दबदबा

शेखपुरा की राजनीति में राजो सिंह उर्फ 'राजो बाबू' के परिवार का कब्जा लंबे समय तक रहा है. 5 बार वह खुद यहां से जीते, एक बार वह यहां से निर्दलीय जीतकर विधायक बने थे. राजो सिंह के बेटे संजय सिंह और उनकी बहू सुनीला देवी 2-2 बार यहां से जीत हासिल कर चुके हैं. इस तरह राजो सिंह के परिवार का शेखपुरा सीट पर 33 सालों तक कब्जा रहा है. 2010 में उनकी बहू सुनीला देवी चुनाव हार गईं थी, जिसके बाद कांग्रेस यहां से कमजोर हो गई.

शेखपुरा में दिलचस्प था मुकाबला

2025 के विधानसभा चुनाव में शेखपुरा सीट पर कांटे का मुकाबला देखा गया. एक तरफ एनडीए की एकजुटता तो वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन.. कांग्रेस इस सीट को अपने कब्जे में रखना चाहती थी लेकिन टिकट आरजेडी के मौजूदा विधायक को मिली. लेकिन वह हार गए हैं. 

शेखपुरा भारत के 250 सबसे पिछड़े और गरीब जिलों में शामिल

शेखपुरा जुलाई 1994 में मुंगेर से अलग होकर एक नया जिला बना था. यह जिला मुख्यालय भी है. इसके गठन में स्थानीय नेता राजो सिंह की अहमम भूमिका रही. जनसंख्या के लिहाज से शेखपुरा बिहार का सबसे छोटा जिला है. इस जिले को बनाने के पीछे का मकसद क्षेत्र में विकास और समृद्धि को बढ़ावा देना था. ऐसा माना जा रहा था कि जिला बनने के बाद यहां के लोगों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और जमकर विकास होगा. लेकिन शेखपुरा की गिनती भारत के 250 सबसे पिछड़े और गरीब जिलों में होती है. शेखपुरा उन जिलों में शामिल है, जिसको केंद्र सरकार की "बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड प्रोग्राम" के तहत मदद मिल रही है. 

शेखपुरा विधानसभा सीट पर मुद्दे

 यहां की जमीन उपजाऊ होने के बाद भी किसानों के पास सिंचाई की सुविधाएं नहीं हैं, जिसकी वजह से किसान मॉनसून पर निर्भर रहते हैं. किसानी ही यहां के लोगों की आजीविका का मुख्य साधन है. रोजगार और विकास यहां बड़ी समस्या हैं.

शेखपुरा विधानसभा सीट का इतिहास

शेखपुरा का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है. मान्यता के मुताबिक, भीम की पत्नी हिडिंबा यहां के गिरिहिंडा पहाड़ियों में रहती थीं. शेखपुरा पल्लव शासनकाल में एक केंद्र रहा था. मुगल काल में यहां थाना बनाया गया. अंग्रेजों के शासन में यह कोतवाली बना और देश आजाद होने के बाद यह एक ब्लॉक के रूप में उभरा. शेखपुरा की स्थापना सूफी संत हजरत मखदूम शाह शोएब रहमतुल्लाह अलैह ने की थी. उन्होंने घने जंगलों को साफ कर यहां लोगों को बसाना शुरू किया था. 

शेखपुरा विधानसभा सीट पर वोटर्स की संख्या

शेखपुरा 1951 में विधानसभा क्षेत्र बना था. यह जमुई लोकसभा क्षेत्र के छह हिस्सों में से एक है. साल 2020 में यहां 2,56,789 रजिस्टर्ड वोटर्स थे. साल 2024 में बढ़कर ये 2,62,743 हो गए थे. यहां अनुसूचित जाति के वोटर्स 19.2% और मुस्लिम वोटर्स 8.5% हैं. यह क्षेत्र पूरी तरह से ग्रामीण है, जहां सिर्फ 18.45% शहरी वोटर्स हैं. 2020 विधानसभा चुनाव में यहां 56.28% वोटिंग हुई थी.
 

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