
- गोपालगंज विधानसभा सीट बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण है और यह गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है
- 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सुभाष सिंह ने चौथी बार जीत हासिल की
- गोपालगंज जिला आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव का गृह जिला है
गोपालगंज विधानसभा सीट बिहार की राजनीति में खास पहचान रखती है. यह सीट गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है और उत्तर बिहार के उस हिस्से में स्थित है जहां राजनीति और जातीय समीकरण एक साथ चलते हैं. 1952 में यहां कांग्रेस के कमल राय ने पहली जीत दर्ज की थी, लेकिन वक्त के साथ इस सीट का राजनीतिक रंग पूरी तरह बदल गया.
2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सुभाष सिंह ने लगातार चौथी बार जीत हासिल की. उन्होंने बीएसपी उम्मीदवार अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव को 36,752 वोटों से हराया था. सुभाष सिंह को 77,791 वोट मिले थे जबकि साधु यादव को 41,039 वोट. यह जीत सिर्फ आंकड़ों में नहीं, बल्कि राजनीतिक संदेश में भी बड़ी थी — क्योंकि यह वही जिला है जिसे आरजेडी प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का गृह जिला कहा जाता है.
गंडक नदी के पश्चिमी तट पर बसा गोपालगंज न सिर्फ अपनी राजनीतिक सक्रियता बल्कि अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए भी जाना जाता है. भोजपुरी भाषी इस जिले की अर्थव्यवस्था ईंख की खेती पर टिकी है. थावे दुर्गा मंदिर, नेचुआ जलालपुर का रामबृक्ष धाम और सिंहासनी मंदिर जैसे धार्मिक स्थल यहां की पहचान हैं.
राजनीतिक रूप से, गोपालगंज में बीजेपी ने पिछले एक दशक में मजबूत पकड़ बनाई है. लगातार चार बार की जीत ने इसे पार्टी का ‘सेफ ज़ोन' बना दिया है. हालांकि स्थानीय मुद्दों और क्षेत्रीय समीकरणों को देखते हुए 2025 का चुनाव यहां दिलचस्प होने वाला है, क्योंकि विपक्ष अब इस सीट पर अपनी वापसी के लिए आक्रामक रणनीति पर काम कर रहा है.
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