क्या बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर पर निशाना साधने के लिए भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को जिम्मा दिया है? यह सवाल तब उठा, जब बिहार भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल ने दिल्ली में पत्रकारों से बात करते हुए उन पर निशाना साधा. नागरिकता संशोधन बिल पर जदयू के समर्थन के फैसले पर सवाल उठाए जाने पर ना तो प्रशांत किशोर के विरोध में कोई जदयू नेता आया और ना ही किसी ने नीतीश कुमार के फैसले के समर्थन में बयान दिया. प्रशांत किशोर ने नागरिकता बिल का समर्थन करने के फैसले पर नीतीश कुमार पर निशाना साधा था. जायसवाल ने मीडिया से कहा, 'प्रशांत एक कारोबारी हैं, जिनका चुनाव संचालन करना एक व्यवसाय हैं और वो उसी उद्देश्य से काम करते हैं.
संजय जायसवाल ने कहा कि कुछ लोग राजनीति में सेवा करने आते हैं तो कुछ कारोबार करने. जो लोग राजनीति में धंधा करने आएंगे वो जिससे पैसा लेते हैं, उसी के पक्ष मेंबयान देंगे. निश्चित रूप से संजय का इशारा प्रशांत किशोर के ममता बनर्जी के पक्ष में काम करने को लेकर हैं, जो खुलकर इस बिल का विरोध कर रही हैं.
नागरिकता संशोधन बिल पर राज्यसभा में भी क्यों नीतीश का हाथ रहेगा भाजपा के साथ...
बिहार भाजपा के नेताओं को प्रशांत किशोर की सक्रियता कभी भी नहीं भायी. जब वो पिछले विधान सभा चुनाव से पहले अपने संगठन के साथ नीतीश कुमार के लिए काम कररहे थे, तब सुशील मोदी उनके खिलाफ हर दूसरे दिन बयान देते थे. जब वो जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने और पटना विश्वविद्यालय चुनाव में एबीवीपी से सीधामुकाबला कर छात्र संघ चुनाव में पराजित किया तो वो बिहार भाजपा के नेताओं को नागवार गुजरा. उन्होंने नीतीश कुमार से मिलकर प्रशांत को बिहार की राजनीति से अलग करनेकी मांग की थी, जिसके बाद नीतीश ने लोकसभा चुनावों से उनसे बिल्कुल किनारा कर लिया था.
नागरिकता संशोधन बिल: प्रशांत किशोर के बाद अब पवन वर्मा भी नीतीश कुमार के फैसले से खुश नहीं
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