बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने अल्पसंख्यक बेटियों को हुनरमंद बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. उनके लिए सरकार ने ‘हुनर' कार्यक्रम (Biiha Hunar Programme) की शुरुआत की है. इस कार्यक्रम के तहत बच्चियां ट्रेनिंग लेकर स्व-रोजगारकर बन रही हैं. सरकार की तरफ से कहा गया है कि जो अल्पसंख्यक बच्चियां पहले विकास की धारा से कोसों दूर रहती थीं उनके लिए सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने जमीनी स्तर पर अध्ययन कर जरुरतमंदों के लिए ‘हुनर' कार्यक्रम की शुरुआत की. सरकार की तरफ से कहा गया है कि पहले इतनी गरीबी थी कि अल्पसंख्यक समुदाय की बच्चियां प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद पढाई छोड़ने के लिए मजबूर हो जाती थीं.
अल्पसंख्यक लड़कियों के लिए खास पहल
नीतीश सरकार ने एक तरफ उनको शिक्षा के लिए प्रेरित किया, वहीं दूसरी तरफ ‘हुनर' कार्यक्रम चलाकर व्यावसायिक कार्यों का प्रशिक्षण भी देना शुरु किया. ‘हुनर' कार्यक्रम के तहत अल्पसंख्यक समुदाय की हजारों लड़कियां ऐसे व्यवसायों में प्रशिक्षित की गई, ताकि उन्हें बेहरतर स्व-रोजगार मिल जाये और उनके परिवार की आमदनी बढ़ सकें.
लड़कियों के लिए निशुल्क ट्रेनिंग कार्यक्रम
अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों को रोजगारोन्मुखी शिक्षा की तरफ आकर्षित करने के लिए 16 साल की लड़कियों के लिए निःशुल्क व्यावसायिक प्रशिक्षण से संबंधित हुनर कार्यक्रम साल 2008-09 में शुरू किया गया था. हुनर कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित एवं सफल अल्पसंख्यक समूह की बालिकाओं को औजार योजना के तहत टूल किट के लिए 2500 रुपये की राशि दिए जाने का प्रावधान है. बाद के सालों में मुस्लिम समुदाय के साथ-साथ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग की बालिकाओं को भी इसके तहत शामिल किया गया है. अब तक कुल 1 लाख 20 हजार से भी ज्यादा महिलाएं इस योजना के तहत लाभान्वित हो चुकी हैं.
'हनुर' कार्यक्रम के तहत दी जा रही इन कामों की ट्रेनिंग
हनुर कार्यक्रम के तहत राज्य के अलग-अलग हिस्सों से लड़कियों को चिन्हित कर उन्हें कढ़ाई, सिलाई-बुनाई, कटाई, ग्राम सखी, बेसिक कंप्यूटिंग सौंदर्य संवर्द्धन आदि की मुफ्त ट्रेनिंग दी जाती है. ट्रेनिंग खत्म होने के बाद सर्टिफिकेट और वजीफा भी दिया जाता ह. इस कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए बाद में जनजाति समुदाय की लड़कियों के लिए भी यह कार्यक्रम प्रारंभ किया गया.
कब हुई 'हुनर' कार्यक्रम की शुरुआत?
बिहार में ‘हुनर' कार्यक्रम के पहले चरण की शुरुआत साल 2008 में हुई थी. इस कार्यक्रम को बिहार मुक्त विद्यालयी शिक्षण एवं परीक्षा बोर्ड ने लागू किया था. इस योजना के तहत अल्पसंख्यक लड़कियों और समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों को कौशल प्रशिक्षण दिया जाता था.
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