Bihar Flood Report: बिहार में बाढ़ से हाहाकार मचा है, और यह हाहाकार कोई पहली बार नहीं मचा है. बिहार में हर साल बाढ़ आती है. जान-माल का भारी नुकसान होता है. बाढ़ राहत के नाम पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं. लेकिन सैलाब फिर भी थम नहीं रहा. आखिर बिहार में बाढ़ की यह स्थिति क्यों है? क्या कभी बिहार बाढ़ से मुक्त हो सकेगा? बिहार के बाढ़ पर 'बाढ़ मुक्ति अभियान' के संयोजक दिनेश मिश्र से NDTV ने विस्तृत बातचीत की. इस बातचीत के आधार पर बनी रिपोर्ट की पहली कड़ी में पढ़िए मॉनसून की बेरुखी के बाद भी बिहार के बाढ़ में डूबने की कहानी.
बिहार में अभी क्या हैं बाढ़ के हालात
राज्य के 17 जिलों के करीब 14.62 लाख बाढ़ से प्रभावित है. राज्य के 81 प्रखंडों के 429 पंचायत इस समय बाढ़ की विभीषिका झेल रही है. कोसी, गंडक, बागमती, महानंदा एवं राज्य की अन्य दूसरी नदियों में आई बाढ़ के कारण पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, अररिया, किशनगंज, गोपालगंज, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल, सीवान, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा, सारण, सहरसा और खगड़िया के कई इलाके डूब गए है. आपदा प्रबंधन विभाग के रिपोर्ट के 2.60 लाख लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है.
सड़क किनारे आशियाना, भूख से बिलबिला रहे बच्चे
लोग अपना गांव-घर छोड़ कर सड़कों पर शरण लिए हुए हैं. कई लोग घर की छतों पर शरण लिए हैं. बाढ़ के पानी में घिरे लोग चूड़ा-मूढ़ी खाकर दिन बीता रहे हैं. पशुओं को चारा तक मिल रहा है. बच्चे दूध के बिना बिलबिला रहे हैं. बुजुर्ग, बीमार और गर्भवती महिलाओं की स्थिति और दयनीय है.
मंत्री ने बताया- कोसी में 56 साल बाद आया इतना पानी
बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा, “साल 1968 के बाद कोसी में और 2003 के बाद गंडक नदी में इतना पानी पहली बार आया है. नेपाल में करीब 60 घंटे तक लगातार बारिश हुई. इस कारण 56 साल में सबसे अधिक पानी कोसी में आया." हालत यह हुई कि पहली बार कोसी बराज के ऊपर से पानी बहने लगा.
बिहार में हर साल क्यों आती है बाढ़?
दिनेश मिश्र ने बिहार में बाढ़ आने के 3 प्रमुख कारण गिनाए.
1. हिमालयी नदियों का बहाव
बिहार हिमालय के तटीय इलाकों में बसा है. हिमालय ने निकल कर नेपाल और तिब्बत होते हुए भारत में प्रवेश करने वाली नदियों का पानी बिहार में बाढ़ का बड़ा कारण बनती है. नेपाल, तिब्बत से निकलने वाली नदियों का पानी बिहार-बंगाल होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है.
लेकिन बंगाल की खाड़ी में भारत की नदियों का पानी को फरक्का बांध रोकता है. जब भारी बारिश से नेपाल डूबने लगता है तो पानी बिहार में छोड़ता है. जो बिहार क्रॉस कर बंगाल की खाड़ी तक पहुंचता है. यूपी ने आने वाली नदी भी बिहार होते हुए बंगाल तक जाती है.
लेकिन फरक्का बांध के गेट बंद होने से पानी का बहाव रुकता है. जिससे बिहार में तबाही मचती है. दूसरी दिक्कत बांग्लादेश को लेकर भी है. यदि फरक्का के सारे गेट खोल दिए गए तो बांग्लादेश जलमग्न हो जाएगा. ऐसे में पानी बिहार के मैदानी इलाकों में फैलता रहता है.
2. बिहार की नदियों पर बने बड़े-बड़े डैम
बिहार में नदियों को कंट्रोल करने के लिए अलग-अलग समय पर तटबंध, बांध, बैराज बनाए गए. जिससे पानी के बजाय नुकसान ज्यादा हुआ. जब पहाड़ से ज्यादा पानी इन नदियों में आता है तो दबाव से डैम टूटने का डर रहता है. इन बांधों के टूटने से आसपास के इलाके में बाढ़ आ जाती है.
3. नदियों के तल में जमा गाद
हिमायली पहाड़ों से निकलकर बिहार में आने वाली नदियां अपने साथ भारी मात्रा में गाद भी लाती है. जो सालों से नदियों की तल में जमा हो रही है. तटबंधों के कारण ये गाद जमा होती है. इससे नदी का लेवल ऊपर उठता जाता है. गाद के कारण पानी को नदी से होकर बहने का रास्ता नहीं मिलता है. जिस पानी को समुद्र में जाना चाहिए, वह पानी गांवों में जाता है और बाढ़ का रूप लेता है.
पहली बार कोसी बराज के ऊपर बहा पानी
औसत से 20 प्रतिशत कम मॉनसूनी बारिश के बाद भी बिहार कोसी के डिस्चार्ज ने 56 साल का रिकॉर्ड तोड़ा. साथ ही इस साल कोसी बराज के इतिहास में पहली बार हुआ, जब नदी का पानी बराज के ऊपर से बहा. जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल ने कहा, शाम 7 बजे तक कोसी नदी पर बीरपुर बैराज से कुल 5.79 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो 56 सालों में सबसे अधिक है.
कोसी का सर्वाधिक डिस्चार्ज, 5 अक्टूबर 1968, 9.13 लाख क्यूसेक
कोसी के डिस्चार्ज पर दिनेश मिश्र ने बताया कि 5 अक्टूबर 1968 को कोसी में सर्वाधिक 9.13 लाख डिस्चार्ज हुआ था. दुर्गा पूजा के समय में तब कोसी का पश्चिमी तटबंध पांच जगह टूटा था. जिससे सहरसा, खगड़िया और दरभंगा का बड़ा हिस्सा तबाह हुआ था.
उन्होंने बताया कि अब 4 से 4.5 लाख डिस्चार्ज में ही हालत खराब हो जाती है. उन्होंने आशंका जताई कि यदि 1968 जैसा पानी आ जाए तो पूरा कोसी क्षेत्र तबाह हो जाएगा. इस साल करीब 6 लाख क्यूसेक पानी के डिस्चार्ज के बाद जो हालात बने वो यह बताने को काफी है कि 1968 जैसी स्थिति हुई तो बिहार में किस स्तर का जल प्रलय मचेगा.
हवाई सर्वेक्षण पर निकले नीतीश, दिए निर्देश
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 1 अक्टूबर को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करने निकले. उन्होंने अधिकारियों को बाढ़ प्रभावितों को तत्काल राहत पहुंचाने का निर्देश दिया. सोशल मीडिया पर बिहार के बाढ़ की कई तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रही है. जिससे बाढ़ की विभीषिका का सहज ही समझा जा सकता है.
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