
- वैशाली में कार्तिक पूर्णिमा पर 10 से 15 लाख श्रद्धालु गंगा-गंडक संगम में पवित्र स्नान करते हैं.
- मतदान और कार्तिक पूर्णिमा की तिथियों के एक-दूसरे के करीब होने से चुनावी भागीदारी पर प्रभाव पड़ने की आशंका है.
- महिलाओं की बड़ी संख्या धार्मिक कार्यक्रमों में व्यस्त होने से पार्टियों को नुकसान हो सकता है.
बिहार के वैशाली ज़िले में पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होना है, जिसके ठीक एक दिन पहले 5 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा है. यह दिन वैशाली और आस-पास के जिलों के निवासियों के लिए धार्मिक-आध्यात्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. इस अवसर पर, गजग्राह की मुक्तिभूमि माने जाने वाले कोनहारा घाट पर पवित्र स्नान के लिए आस्था का विशाल जनसैलाब उमड़ता है. अनुमान है कि लगभग 10 से 15 लाख श्रद्धालु गंगा-गंडक के संगम में डुबकी लगाने के लिए पहुंचते हैं.
इस बार, जिले के मतदाता एक बड़ी दुविधा का सामना कर सकते हैं. एक तरफ उनकी गहरी धार्मिक आस्था और दूसरी तरफ मतदान के रूप में उनका राष्ट्रीय कर्तव्य. कार्तिक पूर्णिमा के विशाल मेले के ठीक अगले दिन चुनाव होने के कारण, विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों को आशंका है कि यह स्थिति मतदान प्रतिशत में भारी गिरावट ला सकती है, क्योंकि लाखों लोग धार्मिक आयोजनों में व्यस्त होने के कारण शायद वोट डालने से चूक जाएं.
अब सवाल है कि किसे होगा नफा-नुकसान?
नफा-नुकसान की बात करें तो निर्धारित तिथि मे ही चुनाव होने से दोनों गठबंधन को नुकसान होगा. श्रद्धालुओं का बड़ा वर्ग महागठबंधन के समर्थन करने वाले श्रद्धालुओं में ज्यादातर तादाद महिलाओं की होती है. इधर, महिलाओं को 10 हजार खाता में देकर सरकार महिलाओं को अपने ओर साधा, अगर धर्म के प्रति आस्थावान महिलाएं गंगा नहाने निकल गई तो एनडीए को भी अपेक्षित लाभ के बजाए नुकसान होगा.
पड़ोसी जिलों में भी मतदान प्रतिशत में भारी गिरावट आएगी
लोकतंत्र के महापर्व पर वैदिक सनातनी पर्व कार्तिक पूर्णिमा स्नान भारी पड़ा तो वैशाली जिले हैं नहीं सीमा से लगे पड़ोसी जिलों में भी मतदान प्रतिशत में भारी गिरावट आएगी. वैशाली जिले और सटे पटना, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर और सारण के सोनपुर अनुमंडल क्षेत्र के लाखों श्रद्धालु हाजीपुर व सोनपुर के 20 घाटों पर डुबकी लगाने पहुंचते हैं. हाजीपुर के 15 और सोनपुर के 05 घाटों पर 10 से 15 लाख श्रद्धालुओं का जुटान होता है.
तो 10 से 15 लाख श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जिले के सभी रूटों से लेकर जिला मुख्यालय हाजीपुर शहर और घाटों पर 400 से अधिक पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी कर्मियों एवं कई सेक्टर मे मजिस्ट्रेट की प्रतिनियुक्ति होती है. इस बार कार्तिक पूर्णिमा मेला में उनकी प्रतिनियुक्ति होगी या इलेक्शन ड्यूटी पर लगाए जाएंगे. ये सवाल जिले के नए जिलाधिकारी वर्षा सिंह के लिए चुनौती होगा. शायद उन्हें कार्तिक पूर्णिमा का गंगा स्नान की भीड़ कर तजुर्बा नहीं है और बताती है इसकी सारी रणनीति हमलोग तय कर लेंगे.
बहरहाल, श्रद्धालु एक दिन पहले यानी 4नावंबर शाम से आने लगते हैं. रात्रि विश्राम के बाद 5 नवंबर सुबह से पवित्र डुबकी लगाने का सिलसिला शुरू हो जाता है जो दोपहर बाद तक जारी रहता है. दोपहर से श्रद्धालु सोनपुर मेला की ओर प्रस्थान करते है और अगले दिन 6 नावंबर मतदान के दिन वापसी का सिलसिला शुरू हो जाता है. गाड़ियों की कमी के कारण शाम, देर रात श्रद्धालु घर पहुंच पाते हैं. ऐसे मे मतदान का प्रतिशत क्या होगा ये देखने वाली बात होगी.
DM सिंह वर्षा सिंह ने कहा कि इसकी जानकारी है और उसकी व्यवस्थाएं भी की जा रही हैं. 5 तारीख को स्नान है और 6 तारीख को मतदान है. ऐसे में ट्रैफिक व्यवस्था कैसी होगी, भीड़ का रेगुलेशन (नियंत्रण) कैसे किया जाना है और श्रद्धालु समय पर बूथों पर वोट कैसे डाल पाएंगे. इसकी सारी रणनीति तैयार की जा चुकी है. हम लोग इसे सफलतापूर्वक कार्यान्वित कर लेंगे.
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