बिहार के पटना जिले में कई अहम सीटें आती हैं. इनमें से एक बाढ़ विधानसभा सीट भी है, जो मुंगेर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. बाढ़ को राजपूतों का गढ़ भी कहा जाता है, इसीलिए ये पटना का 'मिनी चित्तौड़गढ़' कहलाता है. इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां राजपूत वोटर्स का ही बोलबाला है. यही वजह है कि इस सीट से अब तक सिर्फ एक बार ही ऐसा हुआ है, जब किसी गैर राजपूत ने चुनाव जीता हो. इस बार बीजेपी ने यहां बाजी मार ली है.
राजपूत वोटर सबसे ज्यादा
बाढ़ सीट की बात करें तो यहां से बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद 2005 में चुनाव जीती थीं, इसके बाद ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू इस सीट पर लगातार चार बार चुनाव जीते थे. वो दो बार जेडीयू और दो बार बीजेपी से विधायक बने. पिछला चुनाव उन्होंने बीजेपी के टिकट पर लड़ा और जीता था. यानी पिछले लंबे समय से यहां पर एनडीए का ही दबदबा है. बाढ़ विधानसभा सीट पर राजपूत वोटों के अलावा यादव, मुस्लिम और अनुसूचित जातियों के वोटर्स की संख्या सबसे ज्यादा है. बाढ़ सीट से बीजेपी के सियाराम सिंह 24813 वोटों से जीते हैं, उन्होंने आरजेडी के करणवीर सिंह यादव को हराया है.
कुल कितने हैं वोटर
बाढ़ विधानसभा क्षेत्र में कुल 274837 वोटर हैं. बाढ़ विधानसभा का सबसे बड़ा मुद्दा फिलहाल अलग जिला बनाना था. पिछले लंबे समय से यहां के लोग अलग जिला बनाए जाने की बात कर रहे हैं. इसके अलावा सड़क, बेरोजगारी और कृषि में होने वाला नुकसान को भी लोगों ने मुद्दा बताया था.
किसके बीच थी टक्कर
बाढ़ विधानसभा सीट पर इस बार कांटे की टक्कर मानी जा रही थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. महागठबंधन की तरफ से आरजेडी ने बाहुबली कर्ण वीर सिंह उर्फ लल्लू मुखिया को मैदान में उतारा था. इस बाहुबली नेता ने 2020 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और अच्छा प्रदर्शन किया था. उधर बीजेपी की तरफ से इस बार ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू का टिकट काटकर डॉ सियाराम सिंह को उम्मीदवार बनाया गया था.
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