शशांत शेखर ने देश के प्रतिष्ठित संस्थानों, आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi) से इंजीनियरिंग और आईआईएम कोलकाता (IIM Calcutta) से एमबीए किया है. जब उनसे पूछा गया कि इतनी शानदार पढ़ाई के बाद वे राजनीति में क्या कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा: "उसी पढ़ाई का इस्तेमाल जनता के लिए करना है. IIT के बाद मैंने स्टार्टअप शुरू किया, लेकिन सफलता नहीं मिली. फिर MBA किया. जर्मनी की दिग्गज कंपनी सीमेंस (Siemens) से मुझे डेढ़ करोड़ रुपये के पैकेज का ऑफर आया था, लेकिन मैंने वह नौकरी नहीं ली, क्योंकि मैं देश नहीं छोड़ना चाहता था."
पीके से लेकर राहुल गांधी तक
शशांत शेखर की राजनीति में एंट्री उनके पारिवारिक बैकग्राउंड से जुड़ी हुई है. उन्होंने बताया कि उनके दादा चार बार चुनाव लड़ चुके हैं और उनके पिता भी व्यापार के साथ-साथ सामाजिक रूप से सक्रिय हैं. राजनीति में सक्रिय होने से पहले उन्होंने मशहूर पॉलिटिकल कंसल्टेंट प्रशांत किशोर (PK) के साथ तीन साल तक उनकी संस्था IPAC में काम किया. साल 2022 में वे औपचारिक रूप से कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए. उन्होंने राहुल गांधी की यात्रा में भी काम किया और चुनावी रणनीतिकार सुनील कोनुगुलु के साथ मिलकर भी काम किया है.
पटना सिटी में 80 हजार घरों तक पहुंचे
शशांत शेखर 2024 से पटना सिटी विधानसभा में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. वे अब तक इस विधानसभा के 80 हजार घरों तक पहुंच चुके हैं. 'आपका बेटा आपके द्वार' कार्यक्रम के जरिए उन्होंने 45 हजार घर कवर किए. लोगों की समस्याएं पूछीं, उनके वोटर कार्ड बनवाए, और साढ़े छह हजार लोगों के नाम वोटर लिस्ट में जुड़वाए.
युवाओं की शिक्षा सबसे बड़ा मुद्दा
शशांत का कहना है कि उनकी उम्मीदवारी पार्टी के सर्वे में मेरिट के आधार पर तय हुई है, क्योंकि कांग्रेस पिछले तीन सालों से उम्मीदवारों को मेरिट पर तैयार कर रही है. उनके अनुसार, उन्हें जाति समीकरण से कोई फर्क नहीं पड़ता. उनका सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है, युवाओं के लिए बेहतर माहौल और अवसर बनाना, बिहार में शिक्षा का स्तर बहुत नीचे गया है, और इसमें सुधार लाना सबसे जरूरी है, पटना सिटी विधानसभा पिछले 30 सालों से रूका हुआ है, जिसमें तेजी से विकास लाना है.
प्रशांत किशोर पर क्या बोले
प्रशांत किशोर के बारे में शशांत शेखर ने कहा कि PK बहुत अच्छे पॉलिटिकल कंसल्टेंट हैं. लेकिन उन्होंने PK के राजनीतिक दावों पर सवाल भी उठाया. शशांत ने कहा, "वो बिहार बदलने की बात करते हैं, मगर तब क्यों नहीं बदला जब उन्हें नीतीश कुमार ने अपना नंबर दो बनाया था? और PK को या तो बोलना नहीं चाहिए था कि चुनाव लडूंगा, जब बोला था तो उन्हें चुनाव लड़ना चाहिए था."
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