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बिहार चुनाव 2025: दूसरे चरण की वोटिंग के बीच महागठबंधन में ‘फ्रेंडली फाइट’, 6 सीटों पर सहयोगी दल आमने-सामने

महागठबंधन की सीट शेयरिंग में देरी और आपसी खींचातानी के चलते सीटों पर फ्रेंडली फाइट हो रही है. लोग इस फ्रेंडली फाइट को गृहयुद्ध का नाम दे रहे हैं. जहां पहले चरण में 5 सीटों पर सहयोगी दलों के बीच सीधी लड़ाई देखने मिली वहीं अब दूसरे चरण में भी 6 सीटों पर फ्रेंडली फाइट जारी है.

बिहार चुनाव 2025: दूसरे चरण की वोटिंग के बीच महागठबंधन में ‘फ्रेंडली फाइट’, 6 सीटों पर सहयोगी दल आमने-सामने
फाइल फोटो
  • बिहार चुनाव के दूसरे चरण में महागठबंधन के दलों ने 6 सीटों पर एक-दूसरे के उम्मीदवार खड़े किए हैं
  • दूसरे चरण की 122 सीटों पर कुल 1302 उम्मीदवार मुकाबला कर रहे हैं, जिसमें राजद 71 सीटों पर लड़ रही है
  • महागठबंधन के अंदर सीट बंटवारे में देरी और स्थानीय नेताओं की दावेदारी के कारण सीटों पर आपसी टकराव है
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पटना:

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का चुनाव बंपर वोटिंग के साथ-साथ फ्रेंडली फाइट के लिए भी याद रखा जाएगा. दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन के दलों ने एक ही सीट पर अपने-अपने उम्मीदवारों को खड़ा कर दिया हैं. बिहार विधानसभा चुनाव का पहला चरण 6 नवंबर को समाप्त हो गया. चुनाव का दूसरा और अंतिम चरण आज 11 नवंबर को है. अब ऐसे में महागठबंधन (राजद,कांग्रेस,VIP,CPIMLC) की एकजुटता पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है.

महागठबंधन की सीट शेयरिंग में देरी और आपसी खींचातानी के चलते सीटों पर फ्रेंडली फाइट हो रही है. लोग इस फ्रेंडली फाइट को गृहयुद्ध का नाम दे रहे हैं. जहां पहले चरण में 5 सीटों पर सहयोगी दलों के बीच सीधी लड़ाई देखने मिली वहीं अब दूसरे चरण में भी 6 सीटों पर फ्रेंडली फाइट जारी है. इस चरण में 20 जिलों की 122 सीटों के कुल 1302 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला 5.5 करोड़ मतदाता करेंगे. दूसरे चरण में राजद की साख दांव पर लगी है क्योंकि वह सबसे ज्यादा 71 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इस चरण की 6 सीटों पर महागठबंधन आपस में ही लड़ता नजर आ रहा है. जिन सीटों पर महागठबंधन के नेता आपस में तलवारें भांज रहे हैं. उनमें कैमूर की चैनपुर सासाराम की करगहर पश्चिम चंपारण की नरकटियागंज, जमुई की सिकंदरा और भागलपुर जिले की कहलगांव और सुल्तानगंज सीट शामिल हैं. यहां महागठबंधन के नेताओं के बीच खुलकर जुबानी जंग देखने को मिल रही है.

विवादित 6 सीटें 

  • जमुई की सिकंदरा सीट पर RJD से उम्मीदवार उदय नारायण चौधरी वहीं कांग्रेस से विनोद कुमार चौधरी के बीच मुकाबला है.
  • पश्चिम चंपारण की नरकटियागंज की सीट पर भी इन्हीं दोनों पार्टियों के बीच मुकाबला होने वाला हैं. यहां RJD नेदीपक यादव को और कांग्रेस ने शाश्वत केदार को मैदान में उतारा हैं.
  • कैमूर की चैनपुर में मुकाबला VIP और RJD के बीच है. VIP ने यहां से गोबिंद बिंद को तो RJD ने बृज किशोर बिंद को चुनावी मैदान में उतारा है.
  • भागलपुर जिले की कहलगांव में मुकाबला RJD और कांग्रेस के बीच है. यहां कांग्रेस से प्रवीण सिंह और राजद के रजनीश भारती के बीच टक्कर देखने को मिलेगा.
  • इसी जिले की सुल्तानगंज सीट पर राजद ने चंदन कुमार सिंह और कांग्रेस ने लल्लन कुमार को मैदान में उतारा है.
  • अगर बात करें सासाराम जिले की करगहर सीट की तो इस सीट पर CPI से महेंद्र प्रसाद गुप्ता मैदान में हैं तो वहीं कांग्रेस पार्टी ने संतोष कुमार मिश्रा को मौका दिया है.
  • कुल मिलाकर दूसरे चरण के मतदान से पहले महागठबंधन की रणनीति और तालमेल पर सवाल खड़े हो गए हैं.  अंदरूनी “सीट वार” ने इस चरण की सियासी तस्वीर को और दिलचस्प बना दिया है.

आपसी टकराव की मुख्य वजहें

महागठबंधन में यह टकराव मुख्य रूप से सीट बंटवारे की खींचतान को उजागर करता है. विशेषज्ञों के अनुसार, इन ‘दोस्ताना' लड़ाइयों के पीछे निम्नलिखित कारण हो सकते हैं. जैसे कि चुनाव से ठीक पहले हुए गठबंधन में सीटों के अंतिम निर्धारण को लेकर शीर्ष नेतृत्व और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच सही समन्वय का अभाव रहा. वहीं कुछ सीटों पर, स्थानीय नेताओं ने परंपरागत रूप से अपनी दावेदारी मजबूत रखी थी, और गठबंधन के बावजूद नामांकन वापस लेने से इनकार कर दिया.

कांग्रेस की बिहार में कठिन परीक्षा

राजनीति के पद का मानना है कि यह कांग्रेस के लिए एक पद का चुनाव है. इसका मतलब यह है कि पार्टी उन इलाकों में चुनावी मैदान में है जहां उसकी स्थिति काफी खराब हो गई है, इसके बजाय वह मजबूत ताकत पर ध्यान दे. इसके पीछे दो मुख्य कारण बताए जा रहे हैं. प्रथम महागठबंधन में राजद की प्रमुख भूमिका है, इसलिए कांग्रेस को ‘कमज़ोर क्षेत्र' में समझौता करना पड़ा. दूसरा, पार्टी चाहती है कि वह अपने संगठन को फिर से सक्रिय कर दे, ताकि आने वाले लोकसभा चुनाव में वह एक ‘प्रभावी साझीदार' के रूप में उभर कर सामने आए लेकिन सवाल यह है कि क्या यह रणनीति सफल होगी? कांग्रेस के पास इस बार चुनावी एजेंडा है-बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा और सामाजिक न्याय लेकिन, बिहार में यह एजेंडा तभी असर दिखाता है जब उसके साथ स्थानीय नेतृत्व की पकड़ हो. राजद की लोकप्रियता और तेजस्वी यादव की सक्रियता के बीच कांग्रेस के नेताओं की आवाज दब जाती है. यही वजह है कि कई सीटों पर कांग्रेस को अपने ही सहयोगियों से वोट ट्रांसफर की उम्मीद है, लेकिन यह हकीकत में होगा भी, इसको लेकर सवाल है.

6 विवादित सीटों पर एनडीए से कहां पर कौन मैदान में

  • करगहर सीट- बशिष्ठ सिंह (जेडीयू)
  • चैनपुर सीट- मो. जमा खान (जेडीयू)
  • नरकटियागंज सीट- संजय कुमार पांडेय (बीजेपी)
  • सिकंदरा सीट- प्रफुल्ल कुमार मांझी (HAM)
  • कहलगांव सीट- शुभानंद मुकेश (जेडीयू)
  • सुल्तानगंज सीट- ललित नारायण मंडल (जेडीयू)

इन 20 जिलों में चुनाव

दूसरे चरण में बिहार के पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, बांका, जमुई, नवादा, गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, कैमूर और रोहतास की 122 सीटों पर वोटिंग होगी. इस चरण में लगभग 3.7 करोड़ रजिस्टर्ड मतदाता हैं जो अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. पहले चरण में रिकॉर्ड 65.01 फीसदी मतदान हुआ था. अब देखना यह है कि महागठबंधन के भीतर की यह खींचतान किसे फायदा पहुंचाती है. क्या एनडीए इस बिखराव का लाभ उठा पाएगी, या इन सीटों पर होने वाला नुकसान दोनों सहयोगियों को ही भुगतना पड़ेगा. चुनाव परिणाम 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे.

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