
सिवान जिले की बड़हरिया विधानसभा सीट बिहार की उन सीटों में से एक है, जहां हर चुनाव में मुकाबला बेहद करीबी होता है. यह सीट सिवान लोकसभा क्षेत्र के तहत आती है और जातीय समीकरण, स्थानीय मुद्दों और उम्मीदवार की व्यक्तिगत छवि तीनों फैक्टर यहां परिणाम तय करते हैं. 1952 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सघिरुल एच. ने जीत दर्ज की थी, लेकिन समय के साथ यहां का राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल गया.
2020 के विधानसभा चुनाव में राजद उम्मीदवार बच्चा पांडे ने जेडीयू के श्याम बहादुर सिंह को सिर्फ 3,559 वोटों के मामूली अंतर से हराकर जीत हासिल की. बच्चा पांडे को कुल 71,793 वोट मिले, जबकि श्याम बहादुर सिंह को 68,234 वोट मिले. यह जीत न केवल राजद के लिए राजनीतिक राहत थी बल्कि सिवान जिले में पार्टी की वापसी का संकेत भी बनी.
बहरिया का राजनीतिक समीकरण यादव, राजपूत, ब्राह्मण, और मुस्लिम मतदाताओं पर आधारित है. यहां आरजेडी को यादव-मुस्लिम समीकरण का लाभ मिला, जबकि जेडीयू ने एनडीए के सामाजिक संतुलन और विकास कार्यों के सहारे मुकाबला किया. नतीजा बेहद करीबी रहा, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि यह सीट किसी एक दल की "सेफ सीट" नहीं है.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि 2025 का विधानसभा चुनाव बहरिया सीट पर बेहद दिलचस्प होने वाला है. आरजेडी अपने जनाधार को मजबूत करने की कोशिश में है, जबकि जेडीयू इस हार का बदला लेने के लिए नए चेहरों और गठबंधन रणनीति पर काम कर रही है.
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